Monday, December 23, 2019



एनआरसी-सीएए के विरोध में उमड़ा हुजूम 

अब आगे जेल भरो आंदोलन की भी तैयारी



मुस्लिम समुदाय के साथ मंच पर नजर आए दलित 

 भी, काले गुब्बारे आसमान में छोड़ जताया विरोध




20-12 -19  को बाद नमाज़े जुमा विरोध प्रदर्शन में उमड़ा हुजूम, आसमान में छोड़ा गया कला गुब्बारा

केन्द्र सरकार के नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और जल्द ही राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनआसी) की प्रक्रिया शुरू किए जाने की घोषणा के विरोध में शुक्रवार 20 दिसंबर 2019 को जामा मस्जिद सेक्टर-6 के ईदगाह मैदान में विशाल शांतिपूर्ण प्रदर्शन हुआ। खास बात यह थी कि इसमें सिर्फ मुस्लिम ही शामिल नहीं थे बल्कि बड़ी तादाद में दलित-पिछड़ा समाज के लोगों ने भी मंच साझा किया।
भारी पुलिस बल की व्यवस्था के बीच जुमे की नमाज के बाद सेक्टर-6 ईदगाह मैदान में भिलाई नगर मस्जिद ट्रस्ट, जामा मस्जिद सेक्टर-6 और रजा जामा मस्जिद कैम्प-2 के संयुक्त तत्वावधान में यह विरोध प्रदर्शन सभा आयोजित की गई। इसकी तैयारी शहर की सभी मस्जिदों में तमाम अंजुमनों की ओर से की गई थी। दुर्ग भिलाई की तमाम मस्जिदों  में काली पट्टी के साथ नमाज अदा की गई और शांतिपूर्ण जुलूस की शक्ल में लोगों का हुजूम नमाज के बाद ईदगाह मैदान पहुंचा। जामा मस्जिद सेक्टर-6 के साबिक पेशईमाम हजरत मौलाना अजमुलुद्दीन हैदर ने एडीएम गजेंद्र सिंह ठाकुर को इस संबंध में ज्ञापन सौंपा और मंच से ही केंद्र सरकार की इन कोशिशों के विरोध में काले गुब्बारे उड़ाए गए।
 

हम कुरआन के लिए नहीं संविधान के लिए हुए हैं एकजुट

सभा में मौजूद लोगों ने हाथ में तिरंगा झंडा लेकर संविधान बचाने, देश की एकता बचाने, इस कानून को वापस लेने बैनर पोस्टर लेकर भी अपना विरोध जाहिर किया। निजामत कर रहे मौलाना गुलाम मोहियुद्दीन ने साफ किया कि इस तरह की कोशिशें मुल्क को बांटने वाली है और यह मसला किसी एक समुदाय का नहीं बल्कि समूचे हिंदुस्तान का है। रजा जामा मस्जिद कैम्प-2 के इमाम मुफ्ती कलीम अशरफ ने कहा कि आज यहां हम कुरआन के लिए नहीं बल्कि संंविधान के लिए एकजुट हुए हैं और यही इस मुल्क की खुबसूरती है कि यहां गैर मुस्लिम भाई-बहन भी समर्थन देने आए हैं।

हमारी विरासत मौलाना फजले हक खैराबादी की

सेक्टर 6 जामा जस्जिद के पेश ईमाम हाफिज इकबाल अंजुम हैदर ने कहा कि जैसे घर बनाने के लिए ईंट, रेट सीमेंट की जरूरत होती है,इसी प्रकार संविधान को बचाने को लिए आज हिन्दू मुस्लिम, सिख, ईसाई सभी को एकजुट होना पड़ेगा। पहले हम जिस तरह गोरों से लडऩे सभी कौम के लोग एकजुट हुए थे, आज फि वही वक्त गया है कि हम सभी कौम के लोग गोरों के इन वंशजों और गोडसे को महान बताने वालों से लडऩा है। उन्होंने खास तौर पर मौलाना फजले हक खैराबादी की याद दिलाई, जिन्होंने 1857 की क्रांति में अंग्रेजों के खिलाफ सबसे पहले जेहाद का तवा दिया था। उन्होंने कहा कि हमारी विरासत मौलाना फजले हक खैराबादी की है और अशफ ाक उल्लाह खान- रामप्रसाद बिस्मिल की सांझी शहादत की है। जिसे कोई कमजोर नहीं कर सकता।
 

इंकलाब-जिंदाबाद के नारों से गूंज उठा

आसमान, इमाम ने चूमा अंबेडकर का फोटो

पूरी विरोध सभा के दौरान उस वक्त आसमान इंकलाब-जिंदाबाद के नारों से गूंज उठा, जब भीड़ में मौजूद लोगों से डॉ. बाबा साहब अंबेडकर का फोटो मंच पर लेकर इमाम इकबाल अंजुम हैदर ने उसे चूमा और बताया कि आज इनके बनाए संविधान की वजह से हम महफूज हैं और इसे बदलने की किसी भी कोशिश का सख्त विरोध होगा। उन्होंने कहा कि अभी तो हम घरों से निकले हैं और हमारी खानकाहों से पहल होनी बाकी है। उन्होंने बताया कि अगर सरकार इन विवादास्पद और काले कदमों से पीछे नहीं हटती है तो खानकाहों से जेल भरों आंदोलन की शुरूआत होगी, जिसमें हम सब भी शामिल होंगे। मौलाना इकबाल अंजुम ने आगे कहा कि घर में मां बाप भूखे हैं और केंद्र सरकार पड़ोसी पर मेहरबानी वाला काम कर रही है।
हैदर इकबाल अंजुम ने कहा कि केन्द्र की मौजूदा हुकूमत जबरिया एनआरसी, सीएए और कैब लागू कर रही है। इससे मुल्क की गंगा जुमनी तहजीब में फूट पड़ रही है। ये पहले बाबरी मस्जिद के मामले मे हमें आपस में लड़ाना चाहते थे, लेकिन सुप्र्रीम कोर्ट का फैसला आया तो हमने बड़े ही सुकून और इत्मिनान के साथ आपसी एकता और भाईचारा बनाये रखा। जब इन्होंने देखा कि अब ये मामला खत्म हो रहा है, देश में कोई फसाद नही हुआ तो हमारी हुकूमत आगे कैसे चलेगी? इसलिए ये नए कानून का डर दिखाकर हमें आपस में लड़वाने का कार्य किया जा रहा है। हम हमेशा हिन्दुस्तान से मोहब्बत करते थे, मोहब्बत करते है और करते रहेंगे। आज सीएए कानून के माध्यम से हमें हिन्दुस्तानी होने का सबूत मांगा जाने वाला कार्य किया जा रहा है। संविधान को बदलने का कार्य किया जा रहा है।
 

घर में मां बाप भूखे और पड़ोसी पर मेहरबान

मौलाना इकबाल अंजुम ने आगे कहा कि मौजूदा केन्द सरकार ऐसा कर कर रही है कि घर में मां बाप भूखे हैं और पड़ोसी पर मेहरबानी वाला कार्य कर रहे है। देश में माताएं बहने सुरक्षित नही है, करोड़ों युवा बेरोजगार है, मंहगाई चरमसीमा पर है और एनआरसी सीएए के जरिए लोगों को इन समस्याओं से भटकाने का कार्य कर रही है। उन्होंने अपने एससी, एसटी और पिछडा वर्ग तथा बौद्ध समाज के लोगों का आरक्षण का समर्थन करते हुए कहा कि आप लोगों का आरक्षण खत्म कर रही है ये सरकार हम इसका भी विरोध करते है, आरक्षण खत्म नही होना चाहिए। उन्होंने कहा कि आप लोगों को ये केन्द्र सरकार हिन्दू नही मानती और बड़े शातिराना तरीके से आप लोगों का आरक्षण खत्म कर रही है। जिसमें निजीकरण को बढ़ावा दिया जा रहा है और जब सरकारी नौकरी ही नही रहेगी और सब निजी हो जाएगा तो फिर आरक्षण कहां से मिलेगा? उन्होने आगे कहा कि केन्द्र की मौजूदा हुक्मरान कानून बनाकर बेशक पड़ोसी देशों से अपने लोगों को लेकर आये हम उसका विरोध उस समय नही करेंगे पहले अपने देश में अमन शांति कायम रखे, देश की बेरोजगारी, भूखमरी सहित अन्य समस्याएं खत्म करे। सारे जहां से अच्छा हिन्दुस्तान हमारा पर लोगों ने हाथ उठाकार और कई मौको पर अपने इस मुल्क से प्यार का इजहार किया।
 

हिंदी हैं हमवतन हैं हिंदुस्तां हमारा

मौलाना  हैदर
जामा मस्जिद सेक्टर-6 के साबिक इमाम हाफिज मौलाना अजमलुद्दीन हैदर ने मौलाना फजले हक खैराबादी से लेकर शहीद अशफाकुल्लाह खान और शहीद कैप्टन हमीद तक का जिक्र करते हुए कहा कि यह वतन हम सबका है और इसमें लोगों के बीच आपस में बांटने की किसी भी साजिश को कामयाब नहीं होने दिया जाएगा। 
उन्होंने विरोध प्रदर्शन में पहुंची गैर मुस्लिम बिरादरी का खास तौर पर शुक्रिया अदा करते हुए कहा कि यहां ईदगाह में हर साल ईद और बकरीद के मौके पर ऐसा ही भाईचारे का माहौल रहता है, जब हमारे गैर मुस्लिम भाई ईद की मुबारकबाद देने आते हैं। आज जरूरत पडऩे पर हमारे ये गैर मुस्लिम साथी कंधे से कंधा मिलाकर हमारे साथ खड़े हैं, यही इस मुल्क की खुबसूरती है। उन्होंने कहा कि डॉ. इकबाल ने ''सारे जहां से अच्छा हिंदुस्तां हमारा लिखा'' और उसमें खास तौर पर यह लाइन लिखी कि ''हिंदी हैं हमवतन है।'' लिहाजा हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि हम सब हिंदी (हिंद) के हैं। उन्होंने मंच से जब इकबाल का यह कलाम सुनाया तो वहां मौजूद लोगों ने उनके साथ आवाज मिलाते हुए कहा-''हिंदी हैं हमवतन हैं हिंदुस्तान हमारा।''
 

इनकी भी रही भागीदारी

इस दौरान बौद्ध समाज के अनिल मेश्राम, आल इंडिया पिछड़ा वर्ग फाउंडेशन के अध्यक्ष गिरधर मढ़रिया, ब्राइट एसोसिएशन के बालेश्वर चौरे, कांग्रेस के प्रभाकर जनबंधु, छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा एवं लोकतांत्रिक इस्पात एवं इंजीनियरिंग मजदूर यूनियन (लोइमु) से कलादास डेहरिया, जेपी नायर, मूलनिवासी कला साहित्य और फि ल्म फेस्टिवल के अध्यक्ष एल. उमाकांत की अगुवाई में नरेंद्र खोब्रागड़े, जीडी राऊत,चित्रसेन कोसरे,अरविंद रामटेके,गजेंद्र साय, लक्ष्मीनारायण कुंभकार,अलेक्स शाक्य,अवि मरकाम और वर्षा बागड़े सहित महिलाओं ने ईदगाह मैदान पहुंचकर अपना समर्थन दिया और मुस्लिम समाज के साथ कंधा से कंधा मिलाकर केंद्र सरकार के कदमों का पुरजोर विरोध किया।
इस दौरान पूर्व पार्षद गफ्फार खान, नूर मोहम्मद, हाजी एमएच सिद्दीकी, लाल मोहम्मद, शमशीर कुरैशी, अय्यूब खान, अनीस खान, तौकीर खान, मोहम्मद इमरान खान,मुर्तुजा हुसैन,इब्राहिम,अजहर,अलीम, फखरुद्दीन, जफर अहमद, हाफिज खान, सुब्हान, बेचन रिजवी,सैलानी अशरफी, गुलाम सैलानी, हाजी कलाम, जकी अहमद,शाहिद रज्जन, अमीरअहमद, वहीदुल्लाह और जमील अहमद सहित  दुर्ग भिलाई की तमाम मस्जिदों से हजारों की तादाद में मुस्लिम समाज के लोग इस विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए।