घने जंगल के बीच बसा है एक घर का राजस्व गांव
राजस्व रिकार्ड में शुरू से गांव का दर्जा, रहता है सिर्फ एक परिवार,देश-विदेश में हैं बच्चे
बंजारीडीह गांव और एकमात्र घर |
आम तौर पर जंगलों के अंदर इक्का-दुक्का घरों के वनग्राम बहुतायत पाए जाते हैं लेकिन अंचल में बंजारीडीह संभवत: अपनी तरह का इकलौता राजस्व ग्राम है। इस इलाके में चल रही मोहड़ जलाशय परियोजना का मुख्य बांध इसी बंजारीडीह गांव की सीमा पर ही बनना है।
रिजर्व फारेस्ट से होकर जाता है बंजारीडीह का पहुंच मार्ग |
ऐसा नहीं कि इस गांव में कभी दूसरे परिवार बसे नहीं। दरअसल घने जंगल के बीच में होने की वजह से यहां बसने वाले ज्यादातर परिवार एक या दो साल में ही यहां से चले गए। वर्तमान में यहां सुंदरा बालोद के मूल निवासी दाऊ भारत सिंह देशमुख के वंशज पूनम कुमार देशमुख, स्व.ऋषि कुमार और ललित कुमार का परिवार एक ही घर में रह रहा हैं। 100 साल पहले यहां आकर बसा देशमुख परिवार आज भी खेती कर रहा है। देशमुख परिवार के वरिष्ठ सदस्य पूनम कुमार देशमुख बताते हैं कि पहले तो बिजली तक नहीं थी और जंगली जानवरों का खतरा बहुत ज्यादा था। बारिश में तो गांव करीब डेढ़ महीने तक बाहरी दुनिया से कटा रहता था। इतनी विपरीत परिस्थितियों के बावजूद हमारे पूर्वजों ने जब गांव नहीं छोड़ा तो हम कैसे छोड़ सकते हैं। पूनम बताते हैं कि-हमारे दादाजी ने जेवरतला से रूपसिंह साहू परिवार को यहां लाकर बसाया था। इसी तरह राज्य शासन ने भी 4 किसानों को जमीन देकर यहां बसाने का प्रयत्न किया था। लेकिन सब कुछ साल बाद यहां से चले गए। अब कोई 16-17 परिवार की यहां खेती की जमीन है, जो समय-समय पर खेती के नाम से आते हैं लेकिन यहां स्थाई रूप से रहने कोई नहीं आता।
इस तरह जेठासी में मिला था जंगल के बीच का गांव
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पूनम कुमार देशमुख |
बच्चे पढ़ रहे देश-विदेश में
बंजारीडीह गांव पूरी तरह समृद्ध और शिक्षित है। साक्षरता का आलम यह है कि यहां सभी 'निवासीÓ पढ़े-लिखे हैं। वहीं इनकी नई पीढ़ी अब देश-विदेश में पढ़ाई कर रही है या फिर कर चुकी है। पूनम कुमार देशमुख का बड़ा बेटा प्रतुल कुमार देशमुख रशिया में एमडी की पढ़ाई करने गया हुआ है। छोटा बेटा राहुल देशमुख इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी कर चुका और बिटिया बीसीए कर रही है।
कभी पत्नी तो कभी पति बनते हैं पंच
त्रिभुवन व सुनीता (बारी-बारी से पंच ) |
एक मकान वाले गांव की खास बातें
गोबर गैस का इस्तेमाल |
आबादी 25 लेकिन रहते हैं 11 लोग, बाकी बच्चे देश-विदेश में पढ़ रहे
उन्नत और आधुनिक खेती है आय का मुख्य जरिय
तत्कालीन दुर्ग जिले के प्रथम शत-प्रतिशत साक्षर गांव में से एक
गोबर गैस का शत-प्रतिशत इस्तेमाल
बालोद व राजनांदगांव दोनों जिले का बिजली कनेक्शन इस गांव में
'' ये जानना काफी रोचक है कि जंगल के अंदर मात्र एक घर वाला राजस्व गांव है। मैं एक बार जाकर जरूर देखना चाहूंगा। अगर वहां किसी प्रकार के कार्यों की जरूरत है तो जिला प्रशासन जरूर करवाएगा।''राजेश सिंह राणा, कलेक्टर बालोद