Tuesday, March 3, 2020

जब प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी के खिलाफ भिलाई के शीर्ष अफसर
 से नशे की हालत में बुलवा कर टेप भिजवाया गया था दिल्ली


रवि से पहले भी कई शीर्ष अफसर निकले चुके हैं इस कूचे से बेआबरू होकर


मुहम्मद ज़ाकिर हुसैन 


एम रवि के साथ लेखक तालपुरी बंगले में 
भिलाई स्टील प्लांट के अब तक के 65 साल के इतिहास में हर 10-15  साल में ऐसे मौके आए हैं जब शीर्ष पद पर जवाबदारी संभालने वाले अफसर को किसी न किसी वजह से अपमानजनक परिस्थितियों का सामना करते हुए विदा होना पड़ा है।
चुनौतीपूर्ण दायित्व को निभाते हुए अक्सर शीर्ष पद के अफसरों के सामने दिल्ली से टकराव या स्थानीय राजनीति सहित ऐसी कई नौबत आती रही है, जब अचानक तबादले का दंश झेलना पड़ा या फिर अचानक विदाई तय कर दी गई।
29 फरवरी 2020 को भी ऐसा ही वाकया हुआ, जब बीएसपी के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) एम  रवि को निलंबन की हालत में ही रिटायर होना पड़ा और गुमनामी ओढ़े यह शख्स चुपचाप अपने गृह नगर भोपाल के लिए रवाना हो गया। कोक ओवन हादसे के दूसरे दिन 10 अक्टूबर 2018 को तूफानी दौरे पर आए तत्कालीन इस्पात मंत्री चौधरी विरेंद्र सिंह ने मीडिया और जनसमूह के समक्ष उन्हें काम से अलग करने की घोषणा सार्वजनिक रूप से की थी।
 तब से रवि अपने तालपुरी के बंगला नंबर-1 में निर्वासित जीवन जी रहे थे। उनसे मिलने वाले कम हो गए थे और बहुत से लोगों से उन्होंने खुद ही मिलने से इनकार भी कर दिया था। हालांकि कुछ दिन पहले एक मौका ऐसा आया था कि मैनें उन्हें कॉल किया तो उन्होंने मिलने का समय दे दिया और फिर उनके बंगले में पहुंच कर मैनें उन्हें अपनी किताब 'वोल्गा से शिवनाथ तक' भेंट की। कुछ अनौपचारिक चर्चा भी हुई, जिसे सार्वजनिक करने का कोई तुक नहीं है। बस, रवि और उनके परिवार की सुखद भविष्य की कामना कर सकते हैं।
वैसे शीर्ष पद पर बैठे लोगों के साथ यह विडम्बना कोई नई बात नहीं है। इस पद पर नियुक्ति जिन समीकरणों के तहत होती है, कई बार यही समीकरण भी अफसर पर भारी पड़ जाते हैं। ऐसे मेें हालात के शिकार बहुत से अफसरों पर गाज गिरती रही है। भिलाई स्टील प्लांट में पहले शीर्ष पदनाम जनरल मैनेजर (जीएम) हुआ करता था, बाद में मैनेजिंग डायरेक्टर (एमडी) और अब यह पदनाम मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) है।
पदनाम  वक्त जरूरत के हिसाब से बदलता रहा है लेकिन गौर करने वाली बात यह है की यहां नेतृत्व करने वाले अफसरों में बहुतों को शान के साथ ससम्मान विदाई दी गई है लेकिन कुछ के साथ हालात ऐसे भी रहे कि उन्हें विदाई तक नसीब नहीं हुई। एम. रवि की गुमनाम विदाई के साथ ऐसे बहुत से किस्से फिर से लोगों के जहन में ताजा हो गए हैं।
आईए, ऐसे ही कुछ प्रसंग के बारे में जानते हैं। इनमें बेहद विवादास्पद हालात में भिलाई छोडऩे वाले कुछ शीर्ष दिवंगत नेतृत्व कर्ताओं के नाम उनके परिजनों की निजता का सम्मान करते हुए नहीं दिए गए हैं।

स्थानीयता के मुद्दे पर इस्तीफा दिया था मेहता ने 

दवे दम्पति के साथ भोपाल स्थित उनके निवास में (2006) 
भिलाई की स्थापना काल से ही शीर्ष नेतृत्वकर्ता कई वजहों से विवाद में घिरते रहे हैं। पहले जनरल मैनेजर श्रीनाथ मेहता (कार्यकाल 17-5-55 से 31-5-57) मध्यप्रदेश कैडर के आईसीएस आफिसर थे। तब देश भर से बड़ी संख्या में युवाओं को भिलाई में रोजगार दिया जा रहा था।
 इस दौरान मध्यप्रदेश के लोगों की रोजगार के मामले में उपेक्षा किए जाने और दिल्ली में बैठी आईएसएस लॉबी के चलते कुछ प्रांत विशेष के लोगों की सर्वाधिक भरती किए जाने के मुद्दे पर मेहता की दिल्ली से ठन गई थी। इस संबंध में मुझे मेहता की बेटी मालती दवे और दामाद केके दवे (मध्यप्रदेश के रिटायर डीजी पुलिस) ने विस्तार से बताया था।
दवे दम्पति अब इस दुनिया में नहीं है। केके दवे शुरुआती दौर में भिलाई के चीफ सिक्योरिटी ऑफिसर भी रहे हैं। उन्होंने बताया था कि यह टकराव इतना बढ़ा था कि मेहता ने आनन-फानन में भिलाई छोड़ दिया था। हालात ऐसे बन गए थे कि नए जनरल मैनेजर क नियुक्ति नहीं हुई थी और मेहता के अचानक नाराज होकर चले जाने से तत्कालीन चीफ इंजीनियर के एन सुब्बारमन को जनरल मैनेजर का अतिरिक्त प्रभार दिया गया था।

इस्पात मंत्री से सीधे टकराव मोल ले लिया था सेन ने 

काजल भट्टाचार्य
तीसरे जनरल मैनेजर सुकू सेन (कार्यकाल 10-4-61 से 10-4-63 तक) अब तक के एकमात्र उदाहरण है,जिन्हें 60 वर्ष की आयु में भिलाई का दायित्व दिया गया था।
 सुकू सेन स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे और टाटा स्टील से उन्हें खास तौर पर भिलाई लाया गया था। सुकू सेन की विदाई भी अप्रत्याशित घटनाक्रम के चलते हुई थी, जिसमें दिल्ली की किसी बैठक में उन्होंने तत्कालीन इस्पात मंत्री से ठन गई थी।
 इस बैठक से सुकू सेन यह कह कर निकल गए थे कि आपको दूसरा सुकू सेन फिर नहीं मिलेगा और उन्होंने इस्तीफा दे दिया था। हालांकि उन्हें औपचारिक रूप से भिलाई में भव्य विदाई दी गई थी और उनका बाद के दिनों में भिलाई से संपर्क भी बना हुआ था। उनके इस्तीफे की बात उनकी बड़ी बेटी काजल भट्टाचार्य ने मुझे एक इंटरव्यू के दौरान बताई थी।

                        किस्सा नशे में धुत्त जीएम से प्रधानमंत्री को अपशब्द बुलवाने का 

अब एक बेहद चर्चित किस्सा जान लीजिए। भिलाई में एक प्रमुख इंजीनियर का करियर बेहद तेज गति से बुलदिंयों पर पहुंचा और उन्हें उस समय के सर्वोच्च पद जनरल मैनेजर की जवाबदारी दी गई। उनके नेतृत्व में सब कुछ ठीक चल रहा था कि अचानक मगडंप कांड हो गया, जिसकी सीबीआई जांच शुरू हुई।
इससे बौखलाए एक बड़े ठेकेदार और पेट्रोल पंप के मालिक ने नेहरू नगर के अपने बंगले पर उन्हें बुलाया और शराबनोशी के दौरान उनसे तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के खिलाफ अपशब्द बुलवा लिए। इस दौरान फ्लावर पॉट में छिपा कर रखे गए रिकार्डर से ठेकेदार ने सबकुछ रिकार्ड कर लिया और यह कैसेट तत्कालीन इस्पात मंत्री चंद्रजीत यादव तक भेज दिया गया।
इसके बाद जाहिर है जनरल मैनेजर को बेहद शर्मिंदगी उठानी पड़ी। हालात ऐसे बन गए थे कि इस्पात मंत्री चंद्रजीत यादव ने प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से साफ कह दिया था कि या तो उन्हें हटाइए या फिर मुझे। इसके बाद जीएम साहब को इस्तीफा देना पड़ा। इस प्रकरण के प्रत्यक्षदर्शी बताते हैं कि तब जीएम साहब को लेकर इतनी ज्यादा नाराजगी थी कि इस्पात भवन के कमरे से जैसे ही बाहर निकले तो उनके नाम की प्लेट को नाराज लोगों ने तोड़ कर गिरा दिया था।

मित्रा ने इसलिए छोड़ दिया था भिलाई और एमडी का पद 

मित्रा  के साथ कोलकाता में  (2006 )
40 लाख टन परियोजना के दौरान दिल्ली की नाराजगी तब के मैनेजिंग डायरेक्टर निमाई कुमार मित्रा (कार्यकाल 11-8-81 से 08-10-84 तक)  को भी झेलनी पड़ी थी। मित्रा (अब दिवंगत) ने मुझे इस संबंध में इंटरव्यू में ऑन रिकार्ड सब कुछ बताया था।
 मित्रा के मुताबिक तब कोक ब्लेंडिंग सिस्टम से जुड़े ठेके को लेकर उन पर मंत्रालय से दबाव था कि ''ए'' पार्टी को ठेका दिया जाए लेकिन तकनीकी पक्ष जानने के बाद वो खुद ''बी'' पार्टी के पक्ष में थे। ऐसे में टकराव बढ़ा को मित्रा ने 51 साल की उम्र में अचानक स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली थी।
हालांकि तत्कालीन सांसद चंदूलाल चंद्राकर ने उन्हें प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से मिलवाने पहल की थी लेकिन अपमानित महसूस कर रहे मित्रा ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति मंजूर नहीं किए जाने और सेल में उपाध्यक्ष पद का प्रस्ताव दिए जाने के बावजूद मैनेजिंग डायरेक्टर का पद के साथ साथ भिलाई भी  छोड़ दिया और कोलकाता चले गए थे ।
अपमानजनक परिस्थिति में विदा होने वालों में तीन दशक पहले के एक मैनेजिंग डायरेक्टर को आज भी लोग याद करते हैं। भिलाई से ही अपना करियर शुरू वाले ये सज्जन एमडी बनने के बाद 40 लाख टन परियोजना का निर्माण कार्य पूरा कराने और उत्पादन की गति बनाए रखने में सामंजस्य बिठाने के बजाए लोक कला संस्कृति के आयोजनों में ज्यादा व्यस्त हो गए।
 कई मामलों में ये सज्जन मैनेजिंग डायरेक्टर से ज्यादा जननेता साबित होते जा रहे थे। ऐसे में विभिन्न मुद्दों पर दिल्ली से उनका टकराव हुआ। यह टकराव इतना बढ़ा कि एक रोज अचानक शाम को उनका रांची तबादला करने आदेश जारी हो गया और अगली सुबह सेल के उपाध्यक्ष शिवराज जैन ने भिलाई आकर कार्यकारी एमडी का कार्यभार अगली व्यवस्था तक संभाल लिया। इन प्रकरणों के अलावा भी कई ऐसे नाम हैं, जिन्हें दिल्ली की नाराजगी का कोपभाजन बनना पड़ा।

राजनीति का शिकार हो गए एम. रवि..?

बीएफ-8 से उत्पादन की शुरुआत 
भिलाई स्टील प्लांट में डेढ़ साल पहले 9 अक्टूबर 2018 को हुए कोक ओवन बैटरी विस्फोट कांड की जांच अंतत: पूरी नहीं हो पाई और निलंबित चल रहे सीईओ एम. रवि अपनी सेवानिवृत्ति की आयु पूरी कर शनिवार 29 फरवरी 2020 को विदा भी हो गए।
 आम चर्चा यही है कि उन्हें 'उपर की राजनीति' के चलते 'बलि का बकरा' बना दिया गया। हालांकि रवि आखिर तक इस प्रयास में लगे थे कि जांच रिपोर्ट पर फैसला पहले हो जाए और निर्दोष साबित होकर कम से कम एक दिन ही सही वे सीईओ के पद से रिटायर हो जाएं लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। सूत्र बताते हैं कि जांच की कार्रवाई पूरी हो चुकी है और अब गेंद इस्पात मंत्रालय के पाले में है।
अगर सामान्य परिस्थिति होती तो संभव था कि उन्हें भव्य समारोह में विदाई दी जाती। लेकिन अब हालात बेहद अलग है। रवि पिछले डेढ़ साल से अपने बंगले में अकेले थे। यहां तक कि इस बीच उनकी माता का निधन भी हुआ और उनके बेटे का विवाह भी हुआ लेकिन समय विपरीत होने की वजह से बीएसपी उच्च प्रबंधन के ही बहुत से प्रमुख लोगों ने उनके सुख-दुख में कन्नी काट ली थी।
 तमाम हालात को देखते हुए रवि ने भी लोगों से मिलना जुलना कम कर दिया था और अपना समय जांच कार्रवाई का सामना करने और किताबें पढऩे में बिता रहे थे। खबर है कि हफ्ते भर से उन्होंने अपना घरेलू सामान अपने गृह नगर भोपाल भिजवा दिया था और खुद भी परिवार सहित भोपाल रवाना होने की तैयारी कर ली है।
इस मामले में निलंबित चल रहे तत्कालीन जीएम सेफ्टी टी. पांड्याराजा भी रिटायर हो चुके हैं। वहीं तीसरे अफसर ईएमडी के डीजीएम प्रभारी नवीन कुमार अकेले ऐसे अफसर हैं, जो सेवारत हैं। अब दोनों रिटायर अफसरों को जांच पर कार्रवाई अनुशंसा का इंतजार रहेगा। इस्पात मंत्रालय इससे पहले नरेंद्र कोठारी की अध्यक्षता वाले जांच आयोग से मामले की जांच करवा चुका है और आयोग ने अपनी जांच रिपोर्ट सौंप भी दी है।
 

जितने दोस्त-उतने दुश्मन भी बनाए रवि ने

एम. रवि ने अपनी सेवा की शुरूआत चूंकि भिलाई से ही की थी और सिर्फ 4 साल छोड़कर उन्होंने पूरी सेवा भिलाई में ही दी थी, इसलिए हर चेहरा उनका पहचाना हुआ था। ऐसे में सीईओ बनने के बाद अपनी कार्यशैली की वजह से रवि ने दोस्तों के साथ-साथ दुश्मन ज्यादा बना लिए थे। 
पद की गरिमा को एक तरफ रख जिस तरह रवि सहज होकर किसी से भी मिल रहे थे, उससे उच्च प्रबंधन में बैठे अफसरों को परेशानी हो रही थी। इसके अलावा रवि ने जिस अंदाज में एकतरफा ढंग से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भिलाई कार्यक्रम तय करवाया, उससे जाहिर तौर पर इस्पात मंत्रालय और सेल में बैठे लोगों का अहं प्रभावित होना ही था।
इसका नजारा लोगों ने प्रधानमंत्री के दौरे के समय लोगों ने लाइव भी देखा। ऐसे में उन्हें निपटाने का रास्ता देख रहे लोगों को मौके की तलाश थी और 9 अक्टूबर 2018 के हादसे ने आग में घी का काम किया। इसके बाद जो भी हुआ सभी के सामने है।
हालांकि रवि सार्वजनिक मंचों पर गाना गाने और अवांछित लोगों को इस्पात भवन में बुलाकर बैठक कराने जैसे कदमों की वजह से विवादों में आए तो कर्मियों के साथ शॉप फ्लोर पर उतर कर कंधे से कंधा मिलाकर काम करने जैसे कदमों के चलते लोगों की नजरों में चढ़े भी हुए थे। यह लोगों को रास नहीं आ रहा था, जिसकी परिणति निलंबित हालत में उनके रिटायरमेंट के साथ हुई। उम्मीद की जानी चाहिए कि अब कम से कम इस्पात मंत्रालय उनके मामले में जल्द फैसला लेगा।

7 comments:

  1. Each and every word of your writing is true and heart touching. Personally I also found these facts. I wish ravi sir a very peaceful and happy future now.

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  2. रवि सि को जिस बात के लिए सहानुभूति देने का प्रयास किया जा रहा है, मै समझता हूं कि वो उसके काबिल नहीं है। था सहानुभूति से अधिक सुरक्षित कार्यशैली की चर्चा होनी चाहिए।
    क्युकी प्लांट में अभी भी वही हालत है जैसे उस समय थे।
    और परसो की रात हुई बीएफ8 की दुर्घटना उसका उदाहरण है।

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  3. जहा तक मै कहूं रवि जी इंसान बहुत सही रहे,किन्तु प्रशासक नहीं थे,हा यह भी ठीक है कि कुछ लोगो को सुपर शिट किया एसएमएस के राय जी प्रमुख थे,किन्तु फिर भी मी रवि जी को किसी भी हालत में दोषी नहीं मानता,हा जिम्मेदार सेफ्टी विभाग ओर स्टील मंत्रालय है,जिसमें बजट का ना होना,

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  4. In visl you have good job through surviving visl plant... sir you inspire some people like work is worship... we thankfull to you ravi

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  5. Ravi sir, you are a crusader, honest, hardworking. I am personally very sorry for the bad done to you. But I am sure one day everyone will recognize your sincere efforts. God bless you for a peaceful retired life.

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