Monday, June 10, 2013

देश का सबसे उम्दा लौह अयस्क कवर्धा में

बीएसपी-सीएमडीसी के बीच करार के बाद कवर्धा के जंगलों में बढ़ी हलचल

अकलीआमा में जीएसआई ने ड्रिलिंग पूरी कर ली है 
कवर्धा के जंगलों में जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया को देश में अब तक का सबसे उम्दा आयरन ओर (लौह अयस्क) मिला है। राज्य सरकार की रिपोर्ट के अनुसार इसमें लौह तत्वों की मात्रा 65 फीसदी से ज्यादा है।जीएसआई के वैज्ञानिक ओर की क्वालिटी इससे भी बेहतर होने की उम्मीद जता रहे हैं।
आने वाले सालों के लिए भिलाई स्टील प्लांट की धमन भट्ठियों में कबीरधाम (कवर्धा) जिले का लौह अयस्क ही ज्यादा इस्तेमाल होगा। तीन नवंबर 2012 को हुए ग्लोबल इन्वेस्टर्स मीट में लौह अयस्क की आपूर्ति के लिए छत्तीसगढ़ खनिज विकास निगम (सीएमडीसी)और सेल के बीच करार हुआ था। आगे सीएमडीसी और बीएसपी का ज्वाइंट वेंचर बनना है। जिसके अधीन कवर्धा के अकलीआमा-चेलिकआमा क्षेत्र की 1920 हेक्टेयर की लौह अयस्क खदानें होंगी। इसी के तहत इन दिनों कवर्धा जिले के घने जंगलों से घिरे पहाड़ों में जीएसआई के भू-वैज्ञानिक अपने काम में जुटे हुए हैं। पिछले साल मार्च से शुरू हुए पूर्वेक्षण में अब तक अकलीआमा क्षेत्र में ड्रिलिंग हो चुकी है। इसके बाद अब भाला पुरी और चेलिकआमा क्षेत्र में जीएसआई की ड्रिलिंग मशीनें लगी हुई हैं। तकरीबन 300 मीटर की गहराई तक इन मशीनों के जरिए लौह अयस्क के नमूने निकाले जा रहे हैं। जीएसआई के भू-वैज्ञानिक पूर्वेक्षण के नतीजों को लेकर गोपनीयता बरत रहे हैं। भू-वैज्ञानिक  सिर्फ इतना ही कहते है कि यहां के अयस्क में तो 65 फीसदी से ज्यादा लौह तत्व की मौजूदगी प्रमाणित हो रही है।आगे इससे भी ज्यादा शुद्ध अयस्क यहां मिल सकता है। जीएसआई को यहां पूर्वेक्षण के लिए सीएमडीसी ने दो साल का ठेका  दिया है। ठेके का एक साल पूरा होने को आ रहा है। एक अफसर ने बताया कि उन्होंने अपने अब तक के करियर में इतना शुद्धतम अयस्क कहीं नहीं देखा है। हालत यह है कि ड्रिलिंग के दौरान गर्म होकर कटर के ब्लेड बार-बार टूट रहे हैं। ऐसे में जीएसआई के लिए यहां ड्रिलिंग बेहद चुनौतीपूर्ण हो गई है। पहले जहां कोलकाता से कटर मंगाए जा रहे थे। वहीं अब चाईबासा (झारखंड)से स्पेशल ऑर्डर देकर बुलवाया जा रहा है।
कहां-कहां हो रही ड्रिलिंग
चेलिक आमा में ड्रिलिंग जनवरी 2 0 1 3 
कबीरधाम जिले के बोड़ला तहसील की सहसपुर लोहारा उपतहसील के अंतर्गत जीएसआई की टीम ड्रिलिंग में जुटी हुई है। इसमें भाला पुरी और केसदा क्षेत्र (चेलिक आमा) में वरिष्ठ भू-वैज्ञानिकों पी. भट्टाचार्य, जीएस पुंढीर और पीपी कुंदेवार की देखरेख में ड्रिलिंग हो रही है। जीएसआई ने अपनी सुविधा के लिए यहां के बोर होल को सीकेबी (छत्तीसगढ़, कवर्धा, भाला पुरी ब्लॉक) का कोड नाम दिया है।
लौह अयस्क सबसे शुद्ध कैसे
क्षेत्र अयस्क मात्रा का प्रतिशत
दल्ली राजहरा 62-63
रावघाट 54-62
बैलाडीला 58-64
कबीरधाम 65 से 69 तक संभावित
छत्तीसगढ़ ही नहीं देश में भी सबसे शुद्धतम
अकलीआमा-चेलिकआमा में मिलने वाला अयस्क छत्तीसगढ़ ही नहीं बल्कि देश का शुद्धतम अयस्क है। वरिष्ठ भू-वैज्ञानिक शलभ शाहा ने बताया कि आम तौर पर 60 फीसदी तक लौह तत्व वाले अयस्क को बेहतर क्वालिटी का माना लिया जाता है, वहीं सर्वोत्कृष्ट ओर में लौह तत्व की मात्रा 69 प्रतिशत तक हो सकती है। रावघाट और दल्ली राजहरा के ओर को अब तक श्रेष्ठ माना जाता था लेकिन कवर्धा के जंगलों में लौह अयस्क भंडारों के बारे में शुरुआती सूचना तो यही है कि इनमें 65 फीसदी से ज्यादा लौह तत्व है। इस हिसाब से यह देश का शुद्धतम लौह अयस्क है। कर्नाटक के बेल्लारी स्थित सेंडूर वैली की 150 खदानों में 64 से 65 फीसदी तक लौह तत्व की गुणवत्ता वाला अयस्क मिलता है।

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