Tuesday, December 27, 2016

  21 हजार फीट की ऊंचाई पर उड़ान भरता है हमारा अंकित

समूचे छत्तीसगढ़ से इकलौता फाइटर पायलट, दीक्षांत में मिला स्वार्ड आॅफ आॅनर और प्रेसीडेंट प्लॉक, प्रशिक्षण में तमाम प्रतिस्पर्धाओं में देश भर के जवानों को पछाड़ कर रहा अव्वल, परेड का नेतृत्व भी किया


  इंटरव्यू के दौरान 
भिलाई नेहरू नगर निवासी अंकित अग्रवाल भारतीय वायु सेना में फाइटर पायलट बन गए हैं। अंकित समूचे छत्तीसगढ़ से इकलौते युवा हैं, जिन्होंने डेढ़ साल के कठोर प्रशिक्षण के बाद अपनी मंजिल पा ली है।
 दिसंबर-16 बैच में शामिल देश भर के 110 फ्लाइंग आफिसर्स के बीच विभिन्न प्रतिस्पर्धा में प्रथम रहने की वजह से पिछले सप्ताह हैदराबाद में हुई कमीशनिंग (दीक्षांत) के दौरान परेड का नेतृत्व करने का अवसर भी अंकित को मिला। उनकी इस उपलब्धि पर माता-पिता खुद को बेहद गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं।
कमीशनिंग परेड के बाद विधिवत फाइटर पायलट बन चुके अंकित हफ्ते भर की छुट्टी पर घर आए हुए हैं। वायुसेना में जाने की अपनी यात्रा का जिक्र करते हुए अंकित ने बताया कि एमजीएम सेक्टर-6 से स्कूलिंग के बाद उन्होंने नागपुर यूनिवर्सिटी से मेकेनिकल में डिग्री की पढ़ाई की और इसके बाद  इंस्टीट्यूट आॅफ मैनेजमेंट टेक्नालॉजी (आईएमटी) गाजियाबाद में एमबीए में दाखिला ले लिया था। इसी दौरान वायुसेना में सेवारत कजिन सुमीत अग्रवाल ने सर्विस सलेक्शन बोर्ड (एसएसबी) की जानकारी दी और तत्काल आवेदन करवाया।फिर एयरफोर्स कॉमन एप्टीट्यूट टेस्ट हुआ। जिसमें सफलता के बाद हफ्ते भर का इंटरव्यू मैसूर में हुआ। इसके बाद जुलाई 15 से अगले डेढ़ साल कठोर प्रशिक्षण में बीते और पिछले सप्ताह 17 दिसंबर को हैदराबाद के डुंडीगल स्थित एयरफोर्स अकादमी में कमिशनिंग परेड हुई। जिसमें फायटर पायलट का ओहदा मिला।
  अंकित अपने माता-पिता के साथ एयरफोर्स अकादमी में 
अंकित ने बताया कि स्कूल अथवा कॉलेज की पढ़ाई करते हुए उन्होंने कभी भी नहीं सोचा था कि एक दिन वो फाइटर पायलट बनेंगे, इसलिए सबकुछ अचानक हुआ और इसमें सबसे ज्यादा परिवार का सपोर्ट रहा। अंकित के मुताबिक वायुसेना में शामिल होने से पहले उन्होंने कभी हवाई सफर तक नहीं किया था लेकिन अब वह स्विटजरलैंड में बना पिलेटस पीसी-7 और अपने ही देश में बना किरण एमके 1/1ए लड़ाकू विमान सफलतापूर्वक उड़ा चुके हैं।
अंकित की इस सफलता से माता-पिता बेहद अभिभूत हैं। पेशे से व्यवसायी उनके पिता योगराज अग्रवाल कहते हैं-हमारे पूरे खानदान को गौरवान्वित किया है बेटे ने। अब ईश्वर से और क्या मांगे ? वहीं उनकी मम्मी सरोज अग्रवाल कहती हैं-बेटे की सफलता हमारे जीवन का सबसे अनमोल उपहार है। बेटा देश की सेवा करेगा और हमें क्या चाहिए।अंकित के छोटे भाई नितिन अग्रवाल इन दिनों नई दिल्ली में रहकर यूपीएससी की तैयारी कर रहे हैं।
श्रीलंका के वायुसेना प्रमुख के हाथों में मिले प्रतिष्ठित सम्मान
''हरिभूमि'' 27 दिसंबर 2016
अंकित अग्रवाल भिलाई और छत्तीसगढ़ से पहले फाइटर पायलट है। छह माह पूर्व भिलाई से फ्लाइंग आॅफिसर अमितेश हरमुख हुए हैं। लेकिन वह फाइटर पायलट नहीं है। अंकित की उपलब्धि इसलिए भी उल्लेखनीय है कि उन्होंने उन्होंने प्रशिक्षण के दौरान विभिन्न प्रतिस्पर्धाओं में भी प्रथम स्थान पाया है। जिससे कमीशनिंग परेड के दौरान सम्मान स्वरूप  राष्ट्रपति की पट्टिका (प्रेसीडेंट्स प्लॉक),भारतीय वायुसेना की विंग्स (प्रतीक) और भारतीय वायुसेना प्रमुख की तलवार (स्वार्ड आॅफ आॅनर) मुख्य अतिथि श्रीलंका एयरफोर्स के कमांडर एयरमार्शल केवीबी जयमपति के हाथों अंकित को प्रदान की गई। इसके साथ ही अपने लड़ाकू विमान से हवा में करतब दिखाने में भी अव्वल रहे अंकित को कमीशनिंग परेड के दौरान प्रतिष्ठित राजाराम ट्रॉफी प्रदान की गई। यह सारे सम्मान पाने वाले अंकित अपने बैच के इकलौते फाइटर पायलट हैं।
21 हजार फुट की ऊंचाई पर फाइटर विमान अकेले उड़ाने का रोमांच
फाइटर प्लेन के पास माता-पिता के साथ
अंकित अग्रवाल को विभिन्न फाइटर प्लेन उड़ाने का मौका मिला है और आगे भी मिलेगा। आसमान में उड़ने का रोमांच बताते हुए उनकी आंखें चमक उठती हैं। अंकित बताते हैं-पहली बार जब फाइटर प्लेन में बैठा तो साथ में संधू सर थे। दिल की धड़कन भी बढ़ी हुई थी। संधू सर ने कहा- खुद को एक पंछी की तरह समझो और बादलों को महसूस करो। इसके बाद तो 16 हजार से लेकर 21 हजार फुट की ऊंचाईं तक विमान बेखौफ उड़ा चुका हूं। खास कर रात के वक्त जब आसमान में आप अकेले होते हैं और चांद-तारों के अलावा कुछ नजर नहीं आता है, ऐसे में फाइटर प्लेन उड़ाने का रोमांच कई गुना बढ़ जाता है।

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