Wednesday, January 1, 2020

41 की उम्र में भिलाई स्टील प्लांट के कैप्टन 

बन गए थे ठेठ छत्तीसगढ़िया शिवराज जैन

 

मुहम्मद जाकिर हुसैन

राजनांदगांव में पले-बढ़े और भिलाई स्टील प्लांट को शून्य से शिखर तक तैयार करने में अहम भूमिका निभाने वाले छत्तीसगढिय़ा शिवराज जैन ने मंगलवार 31 दिसंबर 2019 को नई दिल्ली में आखिरी सांस ली। 85 वर्षीय जैन भिलाई स्टील प्लांट के आखिरी जनरल मैनेजर, पहले मैनेजिंग डायरेक्टर और स्टील अथारिटी ऑफ इंडिया (सेल) के चेयरमैन थे। उनके निधन की खबर मिलने के बाद सेल कार्पोरेट आफिस, सेल की सभी इकाईयों और भिलाई स्टील प्लांट में शोकसभा आयोजित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई। शिवराज जैन भिलाई के बाहर रहने वाले उन लोगों में से एक थे,जिनसे मेरा निरंतर संपर्क रहा। दिल्ली जाने पर अक्सर फोन कर उनके गुडग़ांव वाले घर पहुंच जाता था और वे घंटे-डेढ़ घंटे तक छत्तीसगढ़, भिलाई, सेल और स्टील सेक्टर पर बातचीत करते थे। उनसे हुयी मुलाक़ातों के दौरान मिली जानकारियों को समेटते हुए कुछ दुर्लभ फोटोग्राफ के साथ मेरी ओर से एक श्रद्धांजलि-

 

बीएसपी कर्मियों के बीच उल्लसित मुद्रा में
 भिलाई और स्टील सेक्टर के लिए शिवराज जैन की अहमियत कुछ इस क़दर थी की रिटायरमेंट के बाद भी उनकी सक्रियता बानी हुयी थी। जब उन्हें अपनी मिटटी की कशिश महसूस होती तो तुरंत भिलाई चले आते। दरअसल भिलाई निर्माण के साथ ही उनका करियर भी शुरू हुआ था। यहाँ की कार्य संस्कृति में वो इस क़दर घुले-मिले थे कि कर्मचारी और भिलाई के लोग उन्हें हमेशा अपने बीच का मानते थे। उनके कार्यकाल में जब-जब कीर्तिमान बने, कर्मियों ने उन्हें सर-आँखों में बिठा लिया। ऐसी कई तस्वीरें उनकी अल्बम की शान हैं। मेरा उनसे परिचय बीते दशक में भिलाई पर किताब लिखने के दौरान हुआ और वो रूबरू मुलाक़ातों के अलावा टेलीफोनिक बातचीत तक क़ायम रहा। जब भी उनसे बात मुलाक़ात होती तो सबसे पहले भिलाई के  लोगों को याद कर कर के पूछते थे। फलां क्या कर रहा है? फलां कहां है? उनके संबोधन की खास बात 'तू' और 'तेरा' थी।
 वे जब भी बात करते तो ऐसा लगता कोई बेहद अपना बात कर रहा है। आखिरी बार उनसे 2014 में उनके घर पर तसल्ली से मुलाक़ात-बात हुयी थी। इसके बाद मोबाइल फ़ोन पर संपर्क में रहे लेकिन बढ़ती उम्र के चलते उनकी तबीयल लगातार बिगड़ रही थीपिछले दो साल से वे बिस्तर पर थे। सेहत बहुत ज्यादा खराब थी। इसके बावजूद महीने दो महीने फोन पर बात होती तो पहले पूछते थे-कैसा है तू? भिलाई में सब कैसे हैं? पिछले साल जून में मैं दिल्ली में था तो उन्हें फोन किया। उनकी आवाज से समझ में रहा था कि अब ठीक से बात करने की भी हालत में नहीं हैं। फिर भी लडख़ड़ाते हुए उन्होंने कुछ देर बात की लेकिन मेरी बार-बार गुजारिश के बावजूद उन्होंने कह दिया-अभी तू मत , मेरी तबीयत ठीक लगेगी तो तेरे को खबर करूंगा फिर अपन बैठेंगे। शायद बिस्तर पर पड़ी अपनी हालत की वजह से उन्हे संकोच था। खैर, इसके बाद मैनें भी जोर नहीं दिया। पिछले साल आखिरी बार उनसे बात हुई थी। अब आज उनके गुजरने की खबर आई।

सेक्टर-1 में रहे, रूस में प्रशिक्षण भी लिया

29 अक्टूबर 1934 को जन्मे शिवराज जैन ने राजनांदगांव से स्कूली और रायपुर से इंजीनियरिंग की शिक्षा के बाद बिट्स पिलानी से इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की और 22 साल की उम्र में वर्ष 1956 में भिलाई स्टील प्रोजेक्ट में टेक्नीकल असिसटेंट इंजीनियर के रूप में अपनी सेवा शुरू की। उस दौर को याद करते हुए उन्होंने एक बार बताया  था कि तब सेक्टर-1 में एवेन्यू स्ट्रीट में कुछ मकान बन चुके थे और उन्हें एक अन्य इंजीनियर साथी एसके राय के साथ एक आवास आवंटित किया गया। उन्हें बाद में उच्च तकनीकी प्रशिक्षण के लिए सोवियत संघ भी भेजा गया।

पहले सीएमई, आखिरी जीएम, पहले एमडी

2014 में  रूबरू आखिरी मुलाक़ात
भिलाई में उन्हें लगातार एक के बाद एक जवाबदारी मिलती गई। 1969 तक रशियन इंजीनियर के लिए आरक्षित चीफ मेकेनिकल इंजीनियर (सीएमई) का पद उन्हें दिया गया। तब रशियन सीएमई मेतियाविस्की स्वदेश जा रहे थे तो उनकी जगह सीधे शिवराज जैन को जवाबदारी दे दी गई। 
 इसके बाद वे जनरल सुप्रिंटेंडेंट बने और 10 मई 1975 को उन्होने महज 41 साल की उम्र में जनरल मैनेजर का पद संभाला था। उस वक्त शिवराज जैन पूरे देश में किसी भी सार्वजनिक उपक्रम के सबसे युवा प्रमुख थे। जीएम का पद जब मैनेजिंग डायरेक्टर हुआ तो जैन 30 अक्टूबर 1976 को भिलाई के पहले एमडी बने और 15 सितम्बर 1980 तक यह जवाबदारी संभाली। इसके बाद उनका तबादला  हैवी इंजीनियरिंग कार्पोरेशन (एचईसी) में सीएमडी पद पर हुआ। 1985 में उनकी सेल में वापसी उपाध्यक्ष के तौर पर हुई। इसी दौरान 10 नवंबर 1987 को जब अप्रत्याशित घटनाक्रम के तहत भिलाई के एमडी केआर संगमेश्वरन का तबादला आरडीसीआईएस रांची कर दिया गया तो अगली व्यवस्था तक शिवराज जैन कार्यकारी एमडी के तौर पर संकटमोचक बन अगले दिन भिलाई पहुंचे। इसके करीब हफ्ते भर बाद तब के सेल चेयमैन वी. कृष्णामूर्ति ने नाइजीरिया से लौटे भिलाई के पूर्व एमडी ईआरसी शेखर को दूसरी बार जवाबदारी सौंपी।

सेल चेयरमैन बनने के दौरान ठन गई थी शेखर से

उच्च पदों पर होने वाली रस्साकशी से उन्हें भी दो-चार होना पड़ा। वी. कृष्णामूर्ति के बाद अगले सेल चेयरमैन की तलाश शुरू हुई तो भिलाई के एमडी डॉ. ईआरसी शेखर प्रबल दावेदार थे लेकिन तमाम राजनीतिक समीकरणों के आधार शिवराज जैन का पलड़ा भारी हुआ। उन दिनों चर्चा राजनांदगांव के प्रभावशाली कांग्रेसी नेता इंदरचंद जैन के दखल की थी और मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री इस्पात राज्यममंत्री रहे प्रकाश चंद्र सेठी से उनकी नजदीकियां जगजाहिर थी। हालांकि मैनें निजी तौर पर शिवराज जैन से इस बारे में पूछा था तो उन्होंने साफ इनकार कर दिया था। 
खैर, इस पूरे घटनाक्रम की परिणति के चलते 27 जून 1990 को उन्होंने सेल चेयरमैन की जवाबादारी संभाली। दूसरी तरफ नाराज शेखर ने सेल इस्तीफा दे दिया। हालांकि उन्हें उपाध्यक्ष का पद देकर दिल्ली बुलाने की कोशिश हुई लेकिन 21 मार्च 1991 को शेखर ने सेल-भिलाई को अलविदा कह दिया। इधर सेल चेयरमैन के रूप में कार्य करते हुए शिवराज जैन ने दुर्गापुर और राउरकेला इस्पात संयंत्र के आधुनिकीकरण कार्य को संपादित करने में नेतृत्वकर्ता की उल्लेखनीय भूमिका निभाई। वहीं उनका   भिलाई से लगाव बरकरार रहा। अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए जैन 31 अक्टूबर 1992 में रिटायर हुए। सेवानिवृत्ति के बाद प्रधानमंत्री ट्रॉफी निर्णायक समिति के चेयरमैन विभिन्न कमेटियों के प्रभारी के तौर पर वे अक्सर भिलाई आते रहते थे। सेल के बाद उन्होंने नीलांचल इस्पात निगम लिमिटेड जाजपुर ओडिशा को पटरी पर लाने सलाहकार के तौर पर अपनी सेवाएं दी।

उनके दौर में रशियन कांप्लेक्स, बीआरपी और साडा बने

शिवराज जैन चूंकि मूल रूप से छत्तीसगढिय़ा थे, इसलिए भिलाई की नब्ज को वे बखूबी समझते थे। उनके नेतृत्व में भिलाई की 40 लाख टन सालाना हॉट मेटल उत्पादन की तीसरी आधुनिकीकरण-विस्तारीकरण की परियोजना पर जमीनी काम शुरू हुआ। उनके कार्यकाल में भिलाई के सेक्टरों को छोड़ शेष क्षेत्र तत्कालीन मध्यप्रदेश शासन को दिया गया, जिसके बाद विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण (साडा) का गठन हुआ। 
उनकी रूचि के चलते भिलाई एजुकेशन ट्रस्ट बना, जिसने महिला महाविद्यालय और नर्सिंग कॉलेज शुरू किए। उनके रहते 25 मिलियन टन संचयी इस्पात उत्पादन की जयंती पर 7 दिसंबर 1976 को भव्य आयोजन हुआ। जिसमें आज के जवाहर उद्यान के पास की विशाल कलाकृति स्थापित की गई। वहीं भारत और सोवियत संघ के बीच 2 फरवरी 1955 को हुए ऐतिहासिक समझौते की रजत जयंती का भव्य आयोजन 2 फरवरी 1980 को उनके कार्यकाल में हुआ। 
उनके दौर में राजहरा के बाद दल्ली मेकेनाइज्ड माइंस से खनन शुरू हुआ। वहीं भिलाई में पूरी तरह अवैध रूप से चल रहे जवाहर मार्केट को नियमित किया गया। भिलाई रिफ्रैक्ट्री प्लांट (बीआरपी) की आधारशिला रखी गई। गंगरेल बांध से सीधे भिलाई को पानी देने जोड़ा गया। उनके कार्यकाल में सेक्टर-9 अस्पताल की केजुअल्टी वाले हिस्से की नई बिल्डिंग बनीं। इसी तरह सेक्टर-9 में ही चेस्ट-टीबी वार्ड की नई बिल्डिंग बनाई गई। वहीं सेक्टर-7 में रशियन कांप्लेक्स और सेक्टर-8 में नए आवास भी बनाए गए।
 

अपनों ने याद किया स्टील सेक्टर के 'भीष्म पितामह' का योगदान 

शिवराज जैन के समकालीन और भिलाई स्टील प्लांट के दो मरतबा मैनेजिंग डायरेक्टर रहे डॉ. ईआरसी शेखर ने उन्हें शिद्दत से याद किया। फोन पर चर्चा करते हुए बताने लगे कि दिन में कार्पोरेट आफिस से संदेश आया था, इसके बाद दिन भर उनकी बहुत सी बातेें याद आती रहीं। 
 भले ही एसआर जैन साहब छोटे कद के थे लेकिन उनका व्यक्तित्व विशाल था। हम लोग तो गुस्सा कर भी लेते थे लेकिन जैन हमेशा विनम्रता से काम लेते थे। उनके बाद मैनें भिलाई का कार्यभार संभाला और मुझे हमेशा उनका मार्गदर्शन मिला। शुरूआती दौर में जैन साहब कंस्ट्रक्शन में थे। बाद में आपरेशन में आए। सेल को उन्होंने कई चुनौतियों से बखूबी उबारा।
भिलाई स्टील प्लांट के मैनेजिंग डायरेक्टर रहे राघवचारी रामाराजू अपने श्रद्धांजलि वक्तव्य में कहते हैं-शिवराज जैन जी का ऊर्जा स्तर किसी को भी चकित कर देता था। एक बार वह भिलाई में थे। हमने साथ में डिनर किया। इसके पहले उन्होंने पूरा दिन, प्लांट विजिट, इस्पात भवन में मीटिंग करने और लोगों से मिलने में बिताया था। मुझे याद है रात के खाने में तुरंत बाद लगभग 11 बजे उन्होंने भिलाई स्टील प्लांट से जुड़े एक प्रोजेक्ट पर चर्चा के लिए तुरंत संबंधित इंजीनियरिंग ड्राइंग मंगवाई। इसके बाद डाइनिंग टेबल पर ड्राइंग मंगाकर फैलाई गई और अगले आधे घंटे तक हम लोगों को शिवराज जैन सारी तकनीकी बारीकियां समझाते रहे। ऐसा था उनका ऊर्जा का स्तर। उन्हें अपने काम से प्यार था और तकनीकी विषयों की गहरी समझ थी। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे।
सेक्टर 2  पार्क में सार्वजनिक टेलीविजन प्रसारण शुरू 10 /11 /75
बीएसपी के रिटायर जीएम इंचार्ज पीएंडए कमलकांत पटेल ने शिवराज जैन का पूरा कार्यकाल देखा है। फोन पर चर्चा करते हुए पटेल बताने लगे एसआर जैन साहब को मैनें विभिन्न जवाबदारियों के साथ काम करते देखा है और उनकी कई मीटिंग में मैं शामिल रहा हूं। उनमें निर्णय लेने की अद्भुत क्षमता थी। इंसेंटिव स्कीम को लेकर एक बार बैठक हो रही थी तो उन्होंने जोर देकर कहा मेन शॉप को ज्यादा मिलना चाहिए। वे पूरे प्लांट का बैलेंस व्यू लेते थे। हम लोग अक्सर उन्हें सुनने के लिए भिलाई बुलाते थे।
सेल में चीफ जनरल मैनेजर बिश्वजीत सेनगुप्ता लिखते हैं-शिवराज जैन एक असाधारण व्यक्तित्व, एक विलक्षण टेक्नोक्रेट और एक सच्चे विनम्र छत्तीसगढ़ी थे। भिलाई और दिल्ली में उनसे मुलाकात का सौभाग्य रहा। वह एक परिवार के वरिष्ठ सदस्य के तौर पर 'भीष्म पितामह' के रूप में हमारे सामने आए। सेल के साथ उनका लगाव उनकी सेवानिवृत्ति के वर्षों बाद भी साफ झलकता था। मुझे याद है, एक बार भिलाई में पीएम ट्रॉफी के लिए निर्णायकों की समिति के चेयरमैन के तौर पर भिलाई आए थे। तब वही थे जो तमाम मानकों पर भिलाई का बचाव कर रहे थे। भिलाई में हमारे सीनियर उनके युवा दिनों के बारे में बहुत सी बातें बताते थे। खास तौर पर सेल के पूर्व डायरेक्टर आपरेशन एस के रॉय के साथ उनकी दोस्ती के किस्से शामिल थे। रॉय की तत्कालीन चीफ  इंजीनियर पीपी दानी की बेटी से शादी में उनकी भूमिका के बारे में तब हमारे सीनियर सगर्व बताते थे। जैन और रॉय दोनों ने भिलाई के निर्माण काल से अपने करियर की शुरुआत की थी। सचमुच, सेल परिवार के लिए एक बड़ा नुकसान है उनका जाना।
इस्पात मंत्री बीजू पटनायक के भिलाई दौरे पर 30 /1 /1978
सेल के रिटायर डायरेक्टर पर्सनल हिमांशु शेखर पति लिखते हैं-डॉ. एसआर जैन एक शानदार टेक्नोक्रेट थे। उन्हें संभवत: तीन सार्वजनिक कंपनियों के अध्यक्ष होने का अनोखा सौभाग्य प्राप्त है, जिनमें से दो महारत्न कंपनियां थीं। वह सही मायनों में सार्वजनिक क्षेत्र के पितामह थे। ओडिशा के साथ उनका गहरा जुड़ाव रहा है। सेल से अपनी सेवानिवृत्ति के बाद, उन्होंने अन्य आकर्षक प्रस्तावों को पीछे छोड़ते हुए नीलांचल इस्पात निगम के सलाहकार का कार्यभार संभालने का विकल्प चुना था। डॉ. सुब्रत रे के साथ मिलकर उन्होंने एक दशक से अधिक समय से खराब पड़े प्रोजेक्ट को अपने हाथ में लिया और कमाल कर दिखाया। 77 साल की उम्र में भी वह आधुनिक इस्को स्टील प्लांट को पटरी पर लाने सेल प्रबंधन को गंभीरता से सलाह दे रहे थे। मैंने उन्हें समस्याओं का अध्ययन करने के लिए किसी जवान सी ऊर्जा के साथ ब्लास्ट फर्नेस पर चढ़ते हुए देखा है। तकनीकी विषयों पर चर्चा के दौरान वे बेहद उत्साहित नजर आते थे। वह समस्याओं के समाधान में डूब जाते और फिर कोई कोई अप्रत्याशित समाधान निकाल लाते थे। उनके साथ किसी भी वक्त जुड़े रहे लोगों की ताकत और कमजोरियों से जुड़ा ज्ञान और उनका मूल्यांकन अद्भुत था। समय आने पर उन्होंने इस आंकड़े से लोगों को आकर्षित किया। उनके जाने से संगठन, उद्योग और पेशे को हुआ नुकसान अपूरणीय है। उनकी आत्मा को शांति मिले।
बीएसपी के रिटायर अफसर शंभूशरण शुक्ल लिखते हैं-शिवराज जैन मुझे हमेशा शंभू नाम से बुलाते थे। भिलाई में उन्होंने असिस्टेंट इंजीनियर से मैनेजिंग डायरेक्टर तक और दिल्ली में सेल चेयरमैन तक का सफर तय किया। एक ईमानदार और गंभीर प्रकृति वाले व्यक्तित्व के धनी शिवराज जैन ने कभी किसी को नुकसान नहीं पहुंचाया। ईश्वर उनके परिवार को इस दुख को सहने की शक्ति प्रदान करे। प्रख्यात कार्टूनिस्ट और बीएसपी से रिटायर बीवी पांडुरंगा राव लिखते हैं-उनके विचार बेबाक थे। एक मौका ऐसा भी आया जब उन्होंने भिलाई स्टील प्लांट की मैगजीन में बीएसपी की खूबियों और खामियों दोनों से जुड़े कार्टून बनाने कहा था।भिलाई निवासी कृष्णेंदु मुखर्जी लिखते हैं-एक शानदार टेक्नोक्रेट हमें छोड़ कर चले गए। हम भिलाईवाले उन्हें सदा याद रखेंगे। भिलाई से उनका तबादला एचईसी रांची हुआ तो हमारे घर आए थे और पिताजी से मिले। पिताजी से उनका पुराना दोस्ताना था। मैनें अपने अंकल को खो दिया। विनम्र श्रद्धांजलि।  एचएससीएल के जनरल मैनेजर रहे आनंदमय लाहिरी लिखते हैं-पुण्यात्मा एसआर जैन को प्रणाम। नीलांचल इस्पात निगम लिमिटेड जाजपुर में प्रोजेक्ट को पटरी में लाने के दौरान उन्हें हम लोगों नें डूब कर काम करते हुए देखा है। वे एक शानदार इंजीनियर और नए भारत के निर्माण के अग्रगामी थे। मेरी विनम्र श्रद्धांजलि।
भिलाई नगर मस्जिद ट्रस्ट सेक्टर-6 में सम्मान  (1980 )
वामपंथी श्रमिक नेता और बीएसपी से रिटायर कमल राय लिखते हैं-उनके जाना मेरा व्यक्तिगत नुकसान है। भिलाई स्टील प्लांट में मेरी नियुक्ति उनकी विशेष रूचि के चलते हुई थी। सही मायने में वे बेहतरीन इंसान थे। आज उनके जाने की खबर सुन कर मन भर गया। बीएसपी के रिटायर अफसर और वरिष्ठ साहित्यकार विनोद साव लिखते हैं-उन्हें अंतिम बार मैंने भिलाई इस्पात संयंत्र में प्रधानमंत्री ट्रॉफी प्रतिनिधि मंडल में आकर सीएसआर प्रदर्शनी का अवलोकन करते हुए देखा था। वे बढ़ी हुई उम्र में भी काफी ऊर्जावान लगे थे। वे एक बड़े और सफल टेक्नोक्रेट थे। बीएसपी के रिटायर फोटो अफसर प्रमोद यादव का दिवंगत शिवराज जैन से आत्मीय लगाव रहा है। उन्होंने समय-समय पर सोशल मीडिया में इस बारे में काफी लिखा भी है। उनके निधन की खबर मिलने के बाद प्रमोद यादव ने अपनी भावनाएं कुछ इस तरह व्यक्त की है-एक बहुत ही लंबा समय उन्होंने भिलाई स्टील प्लांट को दिया। हमेशा भिलाई के हितों को सर्वोपरि रखा। जब सेल चेयरमैन बने तो मैगजीन के लिए कुछ नई तस्वीरें लेने मुझे दिल्ली बुलाया गया तब उनकी सादगी और सौहाद्र से मैं काफी प्रभावित हुआ था। मुझसे हाथ मिलाते ही वे बोले थे-'भिलाई से कोई भी आता है तो लगता है कोई अपना घर का व्यक्ति आया है।' जब उनसे मिला और फोटो सेशन के लिए कहा तो बोले-मैं तो कल सुबह बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर की मीटिंग में बोकारो जा रहा हूँ, तुम कब तक रुकोगे? मैंने बताया कि फोटो हो जाए तो कल ही निकल जाता।
वे बोले-'ऐसा करो,कुछ फोटो तो अभी के अभी ले लो..कल सुबह 9 बजे निकलना है..तुम 8 बजे ऑफिस जाओ..और बता दो,किस कलर का सूट लेते आऊँ..' सुबह ठीक समय पर वे पहुंचे और मैंने कई एंगल से उनकी फोटो ली..तब डिजिटल का ज़माना नहीं था..निगेटिव का ज़माना था। यहां भिलाई आकर प्रोसेस किया और उनके फोटो बनाकर दिल्ली भेजा..उन्होंने फोटो काफी पसंद किये जो बाद में लगातार 'सेल न्यूज' के अध्यक्ष के कलम में छपते रहे। यादें तो बहुत सी हैं। एक बार जब बिनोद कुमार सिंह प्रबंध निदेशक थे,तब शिवराज जैन शायद पीएम ट्रॉफी के मुख्य जज के तौर पर भिलाई आये और भिलाई होटल के अपने कमरे में एमडी बीके सिंह साहब की मौजूदगी में बोले-'मेरी एक अच्छी सी पोट्रेट खींचो और बड़ा बनाकर आज ही दो। तुम्हारी आंटी (स्व.मीना जैन) की फोटो के बगल में लगाउँगा, साइज तो तुम्हें मालुम है।'
मैनें उसी दिन फोटो बनाकर बीके सिंह के माध्यम उन्हें दे दी। तब वे तस्वीर देख काफी खुश हुए थे। अब वे नहीं रहे लेकिन अभी भी विश्वास नहीं होता। भिलाई के कण-कण में वे बसे हैं। भिलाईवासियों के दिल में वे हमेशा विद्यमान रहेंगे।1990 में शिवराज जैन सेल चेयरमेन बनने के बाद भिलाई पहुंचे थे। तब भी उतने ही सहज और सामान्य थे जैसे भिलाई में हुआ करते थे। भिलाई के रग रग से वे परिचित और यहां की संस्कृति के दीवाने थे। 

इस्पात भवन में हुई श्रद्धांजलि सभा

मंगलवार 31 दिसंबर को इस्पात भवन के सभागार में एक श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। इस अवसर पर श्रद्धांजलि देने हेतु मुख्य कार्यपालक अधिकारी अनिर्बान दासगुप्ता सहित सभी ने शिवराज जैन के योगदान को याद किया।
 इस सभा में निदेशक प्रभारी (चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएँ) डॉ एस के इस्सर, कार्यपालक निदेशक (सामग्री प्रबंधन) राकेश, कार्यपालक निदेशक (परियोजनाएँ) अनीश कुमार भट्टा,कार्यपालक निदेशक (कार्मिक एवं प्रशासन) एस के दुबे, कार्यपालक निदेशक (वक्र्स) बी पी सिंह एवं मुख्य महाप्रबंधक (वित्त एवं लेखा) एस रंगानी सहित बीएसपी के मुख्य महाप्रबंधकगण, महाप्रबंधकगण भिलाई की इस्पात बिरादरी के सदस्यगण उपस्थित थे।
                                                              

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