Saturday, March 21, 2020


जब भिलाई स्टील प्लांट में स्काईलैब गिरने की
अफवाह से नेलसन परिवार ने खो दिया मां को



कोरोना वायरस को लेकर बनाए जा रहे दहशत के माहौल के बीच
नेलसन बंधु बोले-हमनें मां को खोया था, आप न फैलाएं अफवाहें


मुहम्मद ज़ाकिर हुसैन

12 जुलाई 1979 की दुखद घडी और दूसरी फोटो में (बाएं से ) एरिक, एडवर्ड , पिता बेंजामिन, माँ एग्नेस, हेराल्ड और जेएम नेलसन

कोरोना संक्रमण को लेकर अफवाहों और दहशत के माहौल के बीच फिर एक बार बहुत से लोगों को 42 साल पुराना 'स्काईलैब' से दुनिया के खत्म होने वाला दिन याद आ गया है। प्रख्यात मूर्तिकार पद्मश्री जॉन मार्टिन नेलसन और उनके छोटे भाई जॉन एरिक नेलसन आज भी अफवाहों और दहशत से भरा वह दिन नहीं भूलते जब इसके चलते उन्हें अपनी मां को खोना पड़ा था। नेलसन बंधु कहते हैं-आज कोरोना वायरस को लेकर भी माहौल कुछ इसी तरह का है और लोग अफवाहें व दहशत फैलाने से बाज नहीं आ रहे हैं। नेलसन बंधुओं ने इस माहौल में संयम बरतने और प्रशासनिक दिशा-निर्देशों का पालन करने की अपील की है।
जॉन मार्टिन नेलसन - जॉन एरिक नेलसन
उल्लेखनीय है कि आज जिस तरह कोरोना वायरस को लेकर आम जनता के बीच भय व अफवाह का माहौल गर्म है, इससे कुछ हद तक ज्यादा भय का माहौल 1979 में स्काईलैब गिरने की खबर पर था। तब तो दुनिया खत्म होने की आशंका के चलते लोगों ने खंदक खुदवाने से लेकर घरों में महीनों का राशन जमा करने तक जैसी कई हरकतें दहशत में की थीं। 
42 साल पुराने इस घटनाक्रम से जुड़ी कई यादें आज भी लोगों के जहन में जिंदा है। लेकिन सबसे दुखद अनुभव नेलसन बंधुओं का था। नेलसन द्वय बताते हैं कि तब पूरे भारत में स्काईलैब गिरने की दहशत थी। लोगों ने समझ लिया था कि अब दुनिया खत्म हो जाएगी। इस दौरान 12 जुलाई 1979 में जॉन मार्टिन नेलसन और जॉन एरिक नेलसन अपने नंदिनी स्थित घर से सुबह 7 बजे जनरल शिफ्ट के लिए भिलाई स्टील प्लांट रवाना हुए। एरिक बताते हैं कि-तब दो दिन से एक अफवाह जोर पकड़ रही थी कि स्काईलैब सीधे भिलाई स्टील प्लांट पर ही गिरेगा। इससे हमारी मां इलिशिबा एग्नेस मेरी नेलसन बेहद चिंतित थी। हम दोनों भाई जब सुबह घर से निकल रहे थे तब मां और ज्यादा चिंतित दिखी तो मैनें मजाक में मां से कहा-हम तो जा रहे हैं मां, अगर बीएसपी में स्काईलैब गिरा तो इसे आखिरी मुलाकात समझना।
इसके बाद हम दोनों भाई तो बस में बैठकर भिलाई आ गए। इधर अपने बेटों की चिंता में घुल रही मां ने खाना भी नहीं खाया और कब घर में उन्हें दिल का दौरा पड़ा किसी को पता नहीं चला। तब नंदिनी से भिलाई तक खबर करने शायद किसी को कुछ सूझा नहीं होगा, इसलिए हमें कोई खबर नहीं मिली। दोपहर की बस से जब हम लोग नंदिनी अपने घर लौटे तो मां के अंतिम संस्कार की तैयारियां चल रही थी।
 हमारे भाई जॉन एडवर्ड नेलसन, जॉन हेराल्ड नेलसन और परिवार के दूसरे लोग बस स्टैंड में मिल गए और पूरी बात बताई। तब हमारे पास अफ़सोस करने के अलावा कुछ नहीं बचा था। एरिक कहते हैं-अगर स्काईलैब को लेकर दहशत और अफवाह का माहौल नहीं रहता तो हम मां को नहीं खोते। इस दहशत के चलते उन्हें आज भी मां से किए उस मजाक का अफसोस है। इसलिए हमारी सभी से अपील है कि कोरोना वायरस को लेकर भय का माहौल न बनाएं। किसी तरह की अफवाह के झांसे में न आएं और साहस के साथ कोरोना का मुकाबला करें।

ऐसे लोगों के लिए ही बनाया है ईश्वर ने स्वर्ग: श्रीवास्तव 

नेलसन परिवार के करीबी और भिलाई स्टील प्लांट के कार्मिक विभाग के रिटायर अफसर नरेंद्र श्रीवास्तव बताते हैं-नेल्सन की माताजी भोली, सरल सहज, मेहनती और संवेदनशील थी। उसने अपना जीवन परिवार की परवरिश मे ही व्यतीत कर दिया था। घर के प्रत्येक व्यक्ति का  ख्याल रखती थी। खाना बहुत स्वादिष्ट बनाती थी। शाम को प्राय: नानवेज बनता था। रिश्तों का निभाना बहुत अच्छी तरह से जानती थी। मेरे ऊपर उनका विशेष स्नेह था। ईश्वर ने  स्वर्ग  ऐसे लोगों के लिए ही बनाया है। शत शत नमन।

क्या थी स्काईलैब, जिससे फैली दुनिया के खत्म होने की अफवाह

स्काई लैब और उसके टुकड़े
यह एक नौ मंजिला ऊंचा और 78 टन वजनी प्रयोगशाला का ढांचा था, जिसे अमेरिका ने 1973 में अंतरिक्ष में छोड़ा था। चार साल तक स्काईलैब ने ठीक काम किया लेकिन 1977-78 के दौरान उठे सौर तूफान से इसे काफी नुकसान हुआ।
इसके सौर पैनल खराब हो गए और यह धीरे-धीरे अपनी कक्षा से फिसलकर पृथ्वी की ओर बढऩे लगी। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए आखिरकार स्काईलैब के धरती पर गिरने की घोषणा कर दी गई। इस घोषणा के साथ एक आशंका यह भी जताई गई थी कि इसका मलबा भारत पर गिर सकता है। जैसे-जैसे स्काईलैब के धरती पर गिरने की तारीख पास आती गई, लोगों में दहशत बढ़ती गई। इस बीच 1979 का वह दिन भी आ गया जब स्काईलैब को धरती के वायुमंडल में प्रवेश करना था।
 12 जुलाई को भारत में सभी राज्यों की पुलिस हाई अलर्ट पर रखी गई।  लेकिन जैसा कि नासा ने आखिरी समय में अनुमान लगाया था स्काईलैब का मलबा ऑस्ट्रेलिया और भारत के बीच हिंद महासागर में गिरा और इसके कुछ टुकड़े पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया के एक कस्बे एस्पेरेंस पर भी गिरे लेकिन इनसे किसी तरह के जानमाल का नुकसान नहीं हुआ। हालांकि अफवाहें इस कदर फैली हुई थीं कि भारत के हर गली-कस्बे मेें लोग इस दहशत में डूबे हुए थे कि स्काईलैब सीधे उन्हीं के क्षेत्र में गिरेगा। लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ और सारी अफवाहों और दहशत पर विराम लगा।

स्काईलैब प्रकरण जिन दिनों जोरों पर था और जैसे-जैसे 12 जुलाई करीब आ रही थी लोगों में दहशत बढ़ते जा रही थी। तब भारत में तैनात विशेष दूत का कहना था कि अगर भारत और अमेरिका सिर्फ दो विकल्प हुए तो नासा निश्चित रूप से स्काईलैब को अमेरिकी जमीन पर ही गिराएगा। लेकिन भारतीयों के बीच इस बयान का उल्टा ही असर हुआ यहां तक कि देश के कई गावों में लोगों ने यह मान लिया कि बस कुछ दिन बाद दुनिया खत्म हो जाएगी। देश के कई हिस्सों में बुजुर्ग बताते हैं कि तब लोगों ने अपनी जमीन-जायदाद बेचकर पैसा ऊलजुलूल तरीके से खर्च करना शुरू कर दिया था।

अमेरिका ने उस समय हर देश के अपने दूतावास में एक विशेष दूत की नियुक्ति सिर्फ इसलिए की थी ताकि वह संबंधित सरकार को स्काईलैब से जुड़ी जानकारियां मुहैया कराता रहे। भारत में यह जिम्मेदारी थॉमस रेबालोविच संभाल रहे थे। इसी समय उन्होंने भारतीय पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि यदि नासा स्काईलैब को नियंत्रित कर सके और उसके पास इसे गिराने के दो विकल्प हों, भारत और अमेरिका तो नासा निश्चित रूप से स्काईलैब को अमेरिकी जमीन पर ही गिराएगा।

इस घटना के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति जिमी कार्टर ने ऑस्ट्रेलिया सरकार से माफी मांगी थी। वहीं दूसरी तरफ कस्बे एस्पेरेंस के स्थानीय निकाय ने अमेरिका पर 400 डॉलर का जुर्माना लगाया था। हालांकि अमेरिकी सरकार ने यह कभी नहीं चुकाया। स्काईलैब के धरती पर गिरने के इतने सालों के बीच अंतरिक्ष विज्ञान ने खासी तरक्की की है लेकिन अभी-अभी वह इस काबिल नहीं हो पाया है कि संपर्क टूटने के बाद किसी उपग्रह या अंतरिक्ष स्टेशन के धरती पर गिरने का सही समय और स्थान बता सके।


याद रखना कोरोना एक दिन तुझे पड़ेगा रोना: नायकर 
रायपुर में मुलाक़ात 26 जनवरी 2020 
जाने-माने मिमिक्री कलाकार केके नायकर स्काईलैब से लेकर आज कोरोना के खौफ तक के दौर के गवाह है। तब स्काईलैब पर उनकी मिमिक्री बेहद लोकप्रिय हुई थी। नायकर 26 जनवरी 2020 को रायपुर आए थे। 27 जनवरी को उनका सफल शो रायपुर के शहीद स्मारक भवन में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मौजूदगी में हुआ। उस मुलाक़ात के बाद  आज कोरोना खौफ को देखते हुए नायकर ने जबलपुर से यह टिप्पणी भेजी है।
नायकर कहते हैं- उस समय स्काईलैब से आदमी डरा मगर,आजा़द था उससे निपटने के लिये अपने अपने विचारों से स्वतंत्र था और भीड़ भी जमा कर तरीकों का आदान प्रदान भी कर रहा धा। मगर ये कोरोना पिद्दी का शोरबा न जाने किस उस्ताद के अखाड़े का पठ्ठा है जो भीड़ को भी ललकार रहा है।
अगर दवा के बस में आ गया तब तो ठीक वर्ना किसी विरोधी पार्टी ने रोकडा़ देकर अपनी ओर मिला लिया तो बहुमत की कहानी और उसकी कल्पना ही कुछ और ही होगी। मगर यह विद्रोही और साहसी भी है। इससे बड़ा डान किसे समझूं जिसने अपने दम पर बिना आवाज किए बिना आवाज दिए। रुतबा तो देखो,जिसके पास डराने का हथियार बस खाँसी,सरदर्द,नाक बहना और दम घुटना और पसन्द दो पैर वाले। न रंग से मतलब है न रूप से न जात पात से बस मोहब्बत सबसे ज्यादा सीनियर सिटीजऩ से। बड़ा विचित्र है। सुना है उम्र बहुत थोड़ी सी है और हौसले बुलंद है। जिसकी हुंकार से आज संसार के बड़े बड़े देश-महानगर घुटने टेक चुके हैं। मगर वो सिर्फ जान का दुश्मन है।
भगवान ने अगर तुझे बनाया है तो याद रखना कोरोना एक दिन तुझे पड़ेगा रोना। भगवान का बनाया इस जमीन पर इंसान भी है तुझे यदि ऊपर वाले ने बनाया है दम निकालने के लिए तो आज भी इंसान कितना भी विरोधाभास आपस में कर ले मगर इंसान और इंसानियत की खातिर वो एक दूसरे के साथ है। हम सब्र रखना जानते हैं कोरोना तुम्हारे गले का फंदा कुछ दिनों में वो बना लेगा तब तुझे पड़ेगा रोना। यह दौर भारत भूलेगा नहीं सारे योद्धाओं को प्रणाम जो इस कोराना को हराने के लिए दिन रात एक किये हुऐ है और विशेष प्रणाम उन्हें जो इस लॉक डाउन के दौर में घर पर खा पीकर लुगाई के संघ कंधे से कंधा मिला कर प्याज काट रहे हैं। हांथ भी साबुन से धो रहे हैं और किचन में बर्तन भी धो रहे हैं।
ऐसे श्रम दान की कोरोना तुमने कल्पना भी नहीं की होगी। अब इस पृथ्वी से बिदा हो जाईऐ ,आप हमारे किसी काम के नहीं हैं। हम इंसान मिलनसार हैं। भले आपस में लड़ ले,एक दूसरे की बुराई भी कर लें मगर दुख सुख में भी ज्यादातर रिशते निभा भी लेते है। मगर तुमने जब से अपनी जात दिखाई है तब से दोस्त कम दुश्मन ही ज्यादा बनाऐ है। अब बिदा हो जाओ बहुत सम्मान आपको मिल चुका। हमारे यहां कहावत है कि घूरे के भी दिन फिरते है। मगर शायद इंसान तुम्हारी गिनती इस कहावत से नही करेगा। हमारा शेयर बाजार तुम्हारी वजह से औंधे मुंह गिरा था अब तुम भी औंधे मुंह गिरोगे। ये हमारी कल्पना अब कामना में बदल जाएगी फिर इस पृथ्वी पर नया सबेरा और सुख समृृद्धि का बसंत आएगा।

आज भी परेशान हैं स्काईलैब वाले 'सुगनामल' 

नायकर स्काईलैब और आज के कोरोना को याद करते हुए कहते हैं-हमने स्काईलैब का डर हंसी में बदला था। आज भी हमारे सुगनामल परेशान हैं। उनको आज भी नुकसान हो रहा है वो सबसे कह कह कर रो रहा है। हमने स्काईलैब के समय उसके आधा किलो के वजन के टुकड़े से बांट बनाया था। अब धंधा बदला तो फिर कोरोना ने परेशान कर दिया इसके चक्कर में हमारा पूरा माल फंस गया है, कोई दुकान में आता नहीं ।
मैने पूछा अब क्या बेच रहे हो ? सुगनामल बोल- कोरोना का चप्पल जूता। हमने कहा अपने को सम्हालो। कहने लगे डाक्टर को भी बताया डाक्टर हंसता है। चप्पल से बीमारी का क्या उसी समय एक लड़का भी डाक्टर से बोला हमको भी कोरोना का असर हुआ है। हम पूछा कैसे ? वो बोला तुम्हारी दुकान से जो लड़की निकली थी उसकी चप्पल कोरोना की थी। डाक्टर बोला आगे से दूरी बना के रखना।कम से कम एक मीटर। सुगनामल भी दुकान बन्द कर के आपनी किस्मत को रो रहा है। हे भगवान अब स्काईलैब के बाद ये क्या हो रहा है। 

धूमकेतु, प्लेग से लेकर बर्ड फ्लू तक दहशत कैसी कैसी


सूरत प्लेग 1994 और हेली पुच्छल तारा 1986
अब बात कोरोना वायरस और हाल के बरसों में फैली अलग-अलग दहशत की। 2001 में भारत में एंथ्रेक्स वायरस की जबरदस्त दहशत थी। राधिका नगर में रहने वाले अमीर अहमद के घर एक गुमनाम लिफाफा आया, जिसमें चॉक का पावडर था। दहशत के माहौल में सबने समझा एंथ्रेक्स का वायरस मिलाकर किसी ने भेज दिया है। पुलिस से लेकर मीडिया तक सब सक्रिय हुए। बड़ी-बड़ी हेडलाइन के साथ चॉक पावडर को फ्रंट पेज पर जगह मिली। हालांकि बाद में सब कुछ सामान्य हो गया। अब इस बात को 20 साल होने जा रहे हैं और हमारे सामने कोरोना की दहशत है। इस बार मामला हद से ज्यादा अतिसक्रियता वाला दिख रहा है। संयुक्त राष्ट्र संघ (यूएनओ) ने इसे वैश्विक महामारी घोषित कर दिया है और अपने मुल्क से लेकर पूरी दुनिया में सब कुछ 'बंद-बंद' है। ऐसे में एहतियात बरतना बुरा नहीं है।

दुनिया के खत्म होने की दहशत की बात करें तो करीब 34 बरस पहले कुछ ऐसी ही दहशत हेली पुच्छल तारा (धूमकेतू) ने मचाई थी। तब 1986 में 9 फरवरी से 10 अप्रैल तक माहौल ऐसा था कि बहुतों ने सोच लिया था कि बस हेली पुच्छल तारा हमारी पृथ्वी से टकराएगा और दुनिया खत्म हो जाएगी। दरअसल हेली धूमकेतु सबसे प्रसिद्घ पुच्छल तारा है। इसका नाम प्रसिद्घ खगोलशास्त्री एडमंड हैली के नाम पर रखा गया है। न्यूटन के समकालीन हैली ने धूमकेतुओं के बारे में अध्ययन किया। उनका कहना था कि जो धूमकेतु सन् 1682, में दिखायी दिया था यह वही धूमकेतु है जो सन् 1531 व 1607 तथा संभवत: सन् 1465 में भी दिखायी पड़ा था। उन्होंने गणना द्वारा भविष्यवाणी की कि यह सन् 1758 के अन्त के समय पुन: दिखायी पड़ेगा। ऐसा हुआ भी कि यह पुच्छल तारा 1758 के बड़े दिन की रात्रि (क्रिसमस रात्रि) को दिखलायी दिया। तब से इसका नाम हैली का धूमकेतु पड़ गया। हैली की मृत्यु 14 जनवरी 1742 को हो गयी यानि उन्होंने अपनी भविष्यवाणी सच होते नहीं देखी। इसके बाद यह पुच्छल तारा नवम्बर 1835, अप्रैल 1910, और फरवरी 1986 में दिखायी पड़ा। यह पुन: 2061 में दिखायी पड़ेगा।

आज जैसी दहशत कोरोना वायरस को लेकर है, कुछ ऐसा माहौल पहले भी रहा है और वैज्ञानिक चेतना वाले लोग जानते हैं कि इस तरह का वायरस फैलना कोई नई बात नहीं है। हजारों साल से प्लेग से पूरी की पूरी आबादी का सफाया सुनते-पढ़ते आ रहे थे और यह भरोसा पाल बैठे थे कि आधुनिक युग में तो प्लेग आ ही नहीं सकता। लेकिन 1994 में गुजरात के सूरत शहर में प्लेग ने दस्तक दी और इसकी 'सूरत' बिगाड़ दी।

हाल के दौर में 2002 में पश्चिमी नील वायरस और 2003 में सार्स ने पूरी दुनिया की जान हलक में अटका दी थी। इसके बाद 2005 में बर्ड फ्लू की ऐसी दहशत मची कि लोगों का खानपान तक बदल गया और मुर्गी फार्म व्यवसायियों को 5 रूपए में भरपेट चिकन खिलाने की पार्टी तक रखनी पड़ी। 2009 में स्वाइन फ्लू की दहशत भी जबरदस्त तरीके से फैली क्योंकि इसमें मौत के आंकड़े बढ़ते गए। तब रुमाल में नीलगिरी का तेल, कपूर और लौंग का मिश्रण रख सूंघने का फैशन शुरू हुआ।

2012 में तो इन सारे वायरस को पीछे छोड़ते हुए एक शोशा छोड़ा गया कि माया सभ्यता की भविष्यवाणी के मुताबिक इस साल दुनिया खत्म हो जाएगी। इसे भुनाने में ऐसे कई चैनलों का कारोबार चल निकला, जो आज हिंदु-मुस्लिम कर अपना पेट पाल रहे हैं। 2014 में ईबोला, 2016 में झीका और 2018 में निपाह वायरस की दहशत हमारे यहां कम रही लेकिन दूसरे मुल्कों में मौतें भी हुई, इसलिए दहशत भी बढ़ती गई।
बहरहाल डर का अपना मनोविज्ञान है, इसे समझिए और मुस्कुराइए। फिलहाल सबकुछ बंद के हालात है। इस बीच केंद्रीय मंत्री रामदास आठवले का 'गो कोरोना' राइम खूब चल रहा है। कोरोना को लेकर एहतियात बरतने में बुराई नहीं है। लिहाजा सतर्क रहें और दहशत का माहौल न बनाएं।

गेट पर 'उपचार' के बाद मस्जिद में पहुंचे नमाजी, माइक से अजान बंद



सेक्टर-6 जामा मस्जिद 20 मार्च 20 
शुक्रवार 20 मार्च 2020 को दोपहर की नमाज में मस्जिदों में खास एहतियात बरती गई। प्रशासनिक व्यवस्था के तहत धारा 144 लगा दिए जाने के चलते आम जुमा के बजाए इस बार नमाजी गिनती के पहुंचे। मस्जिद कमेटी ने अंदर आने से पहले गेट पर ही इन नमाजियों के लिए एल्कोहल रहित सैनिटाइजर की व्यवस्था कर रखी थी। जिसके लिए बाकायदा कमेटी की ंओर से लोगों को सैनिटाइजर लेकर खड़ा किया गया था।
ज्यादातर नमाजी मास्क पहन कर आए थे। मस्जिद के अंदर आने के नमाजियों को एहतियात के साथ नमाज पढऩे कहा गया। जामा मस्जिद सेक्टर-6 में अपनी तकरीर में इमाम हाफिज इकबाल अंजुम हैदर ने कोरोना वायरस को लेकर सावधानी बरतने की अपील करते हुए कहा कि मस्जिद में आने के बजाए घर पर ही नमाज अदा करें। वहीं उन्होंने बताया कि धारा-144 लगने के बाद मस्जिद से लाउड स्पीकर पर अजान बंद कर दी गई है। नमाज के बाद सभी से बिना इकठ्ठा हुए सीधे घर जाने की अपील की गई। जिसका नमाजियों ने पालन किया। वहीं मस्जिद के सामने लगने वाले फल व अन्य ठेलों को भी नमाज से पहले ही हटा दिया गया।


हुजूरे अकरम ने कहा था-एक ऐसा फितना आएगा, जिसमें जिसे

 जहां पनाह मिले, वो वहां पनाह हासिल कर ले तो रहेगा महफूज 

जमा मस्जिद सेक्टर-6 में नमाज़ियों के लिए लगई गई नोटिस 
कोरोना वायरस के प्रकोप को देखते हुए मस्जिदों में ताले लगा दिए गए हैं। इसी कड़ी में जामा मस्जिद सेक्टर-6 के इमाम हाफिज इकबाल अंजुम हैदर ने 24 मार्च 2020 को एक अपील जारी की है। जिसमें उन्होंने नबी करीम सललल्लाहो अलैहि वसल्लम से  जुड़ी हदीस (हदीस सही बुखारी शरीफ) में कोरोना वायरस से बचाव के इशारे का जिक्र करते हुए मस्जिदों के बजाए अपने घरों में नमाज कायम करने का कहा है। उन्होंने इस मुश्किल घड़ी में उन परिवारों की फिक्र करने की भी अपील की है,जो गरीबी, नादारी और फाकाकशी की जिंदगी गुजारते हैं और जिनके यहां दो वक्त की रोटी जुटाना मुश्किल होता है।
हाफिज हैदर ने कहा कि-आज सभी लोग अपना पूरा वक्त घर पर गुजारें। हदीस सही बुखारी शरीफ  में इस बारे में कुछ इशारे भी है जिसमें हमारे प्यारे नबी सललल्लाहो अलैहि वस्सलम का फरमान है कि एक फितना, एक दौर ऐसा आएगा जब  ऐसी आजमाइश (बला) आएगी जिसे हम और आप आज के लिहाज से कोरोना वायरस भी कह सकते हैं कि जिसमें बैठने वाला खड़े रहने वाले से बेहतर होगा और खड़ा रहने वाला चलने वाले से ज्यादा फायदेमंद होगा और चलने वाला दौडऩे वाले से बेहतर हालात में होगा। जो कोई भी उस बला में जाएगा उसमें गिरफ्तार हो जाएगा।
 यह हदीस भी कोरोना वायरस की तरफ इशारा है, लिहाजा उसी हदीस के आखिर में प्यारे नबी सललल्लाहो अलैहि वसल्लम ने कहा है कि जिसे जहां पनाह मिले, वो वहां पनाह हासिल कर ले। तो जो जहां है, वो फिर वहीं रह जाए तो हर इंसान उस बला से महफूज रहेगा।
हाफिज हैदर ने कहा कि शासन-प्रशासन ने कोरोना वायरस को देखते हुए जो कदम उठाए गए हैं उस पर हम सभी को 'लब्बैक' कहते हुए साथ देना है। क्योंकि यह कदम हमारी बेहतर के लिए उठाए गए हैं। धारा 144 का उल्लंघन करने से लोग बचें और बेहद जरूरी काम होने पर ही घर से निकले। इसलिए कोरोना वायरस से सबसे बेहतर लड़ाई का तरीका यह है कि हम समाजी दूरी बनाए रखें और अपने-अपने घरों में कैद रहें। इसके साथ ही हम समाज के ऐसे तबके का खयाल रखें जो मुफलिसी और फाकाकशी की जिंदगी गुजारते हैं। उन्होंने अपील की है कि जो साहिबे हैसियत हैं, मालदार हैं और जिनके अपने घरों में राशन पानी लाकर इंतजाम कर लिया है,वो अपने आसपास और गरीबों का खयाल रखें। दूसरों की भी मदद करें।
हाफिज हैदर ने कहा कि जो मुसीबत-बलाएं आती है, उन्हें दूर करने का जो तरीका है वो आज बताया ही जा रहा है। लेकिन मजहबे इस्लाम में इन बलाओं को दूर करने का एक तरीका यह भी है कि आप कसरत से जरूरतमंदों को खैरात करें, जरूरतमंद लोगों पर मुहब्बत और शफकत का हाथ फेरें।
 कोई गरीब हो, मुफलिस हो,नादार हों तो कोशिश करें कि उन घरों में भी राशन लाकर दे दें। जिस तरह से हमें कोरोना वायरस से डर है और मौत का खौफ है। लेकिन उस गरीब की भी सोचिए जिसे कोरोना वायरस का खौफ तो है साथ ही गरीबी व भूख का भी। गुजारिश है तमाम भिलाई के लोगों से कि वो इस दहशत, वहशत और खौफ के माहौल में अपने आसपास, पड़ोसियों और गरीबों का खास खयाल रखें। जो हुकूमत गाइडलाइन दे रही है, उस पर हम सख्ती के साथ अमल करें। आज हमारी हिफाजत घरों में महफूज होने से ही है।

जुमा की नमाज नहीं होगी आज से ,कब्रिस्तान में भी बरत रहे एहतियात

कब्रिस्तान के बाहर लगाई गई नोटिस 
कोरोना वायरस के प्रसार की आशंका को देखते हुए मुस्लिम समुदाय भी एहतियात बरतने की अपीलें जारी कर रहा है। 27 मार्च शुक्रवार से  दोपहर जुमा की नमाज लॉक डाउन की मियाद 14 अप्रैल तक किसी भी मस्जिद में नहीं होगी। इसके लिए बाकायदा आडियो-वीडियो संदेश सोशल मीडिया पर और प्रसार माध्यमों से जारी किया गया है।
इसी तरह कब्रिस्तान हैदरगंज कैम्प-2 में मैय्यत के दफन के दौरान अधिकतम 20 लोगों को अंदर आने की इजाजत होगी। इस आशय का निर्देश कब्रिस्तान इंतेजामिया कमेटी की ओर से गेट पर भी लगा दिया गया है। उल्लेखनीय है कि मस्जिदों में रोजाना की फर्ज नमाज बा-जमाअत पहले ही बंद कर दी गई है और लोगों से घरों में नमाज पढ़ने कहा गया है। वहीं माइक से अजान भी बंद कर दी गई है।
27 मार्च को जुमा की नमाज को देखते हुए गुरुवार को जामा मस्जिद सेक्टर-6 के इमामो खतीब हाफिज मुहम्मद इकबाल हैदर अशरफी ने अपील जारी की है। इसे आप यू ट्यूब लिंक पर क्लिक कर  भी देख सकते हैं।जिसमें उन्होंने बताया है कि इज्तेमाई तौर पर जुमा की नमाज कायम नहीं की जाएगी इसलिए सभी से अपने-अपने घरों में दोपहर के वक्त जुहर की नमाज अदा करने अपील की गई है। ऐसी ही अपील शहर की दूसरी मस्जिदों से भी जारी की गई है।
इसी तरह कब्रिस्तान इंतेजामिया कमेटी कैम्प-2 के सदर शमशीर कुरैशी ने जारी अपील में कहा है कि मुल्क व समाज के हित को देखते हुए कम से कम तादाद में मैयत दफन करने कब्रिस्तान पहुंचे। उन्होंने कहा कि कोरोना संक्रमण की आशंका और धारा-144 व लॉक डाउन के मद्देनजर कब्रिस्तान में एहतियात बरता जाए। प्रशासनिक निर्देश के मुताबिक शहर में मैयत होने पर कब्रिस्तान हैदरगंज में दफन करने सिर्फ 20 लोगों को आने की इजाजत होगी।
 इस संबंध में इंतेजामिया कमेटी की ओर से कब्रिस्तान के गेट पर नोटिस भी लगा दी गई है। मस्जिद हजरत बिलाल हुडको के मुतवल्ली/सदर शाहिद अहमद रज्जन ने भी जानकारी दी है कि 14 अप्रैल तक मस्जिद में लाउड स्पीकर से अजान नहीं दी जा रही है और फर्ज व जुमा की नमाज बाजमाअत नहीं होगी। उन्होंने कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए किए जा रहे सरकारी उपायों पर सहयोग की अपील की है।

15 comments:

  1. उस दौर में हालांकि हम बहुत छोटे थे लेकिन एक बात आज भी जेहन में है कि हमारे गांव में (उस समय बोरसी एक गांव हुआ करता था😇) शाकाहारी लोगों ने चिकन खाना शुरू कर दिया था और जो चिकन खाते थे वो सब छोड़ छाड़ के पूजा पाठ में लग गए थे।

    मौत का डर इंसान से क्या न करा दे।

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  2. मुझे तो सारे वाकये याद है। के के नायकर ने स्काईलैब पर बहुत अच्छी कामेडी भी की थी जिसके केसेट खूब बिके थे। हमने तो कई लोगों को विभिन्न भविष्यवाणियों के बारे में पूरी संजीदगी से दावे करते देखा कि दुनियां का अंत बस होने ही वाला है मगर आज भी दुनियां मौजूद है और हम भी इसके गवाह बनकर खड़े हैं। सच कहा जाये तो यह डर का बाजार है। दफ्तरों से लेकर अस्पतालों तक, स्कूलों से लेकर शेयर मार्केट तक और जैसा कि पीके फिल्म में दिखाया गया था तथाकथित धर्म के एजेंटो तक सब लालच और डर का व्यापार करते दिखाई देते हैं।
    अच्छे लेख के लिए बधाई जाकिर।

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  3. Nice article. We were not affected by the skylab fear. Being an Industrial Engineer, we knew that the probability of the skylab falling in Bhilai, leave alone Bhilai Steel Plant, was as remote as at any other specific place. Most of it would burn down. A few pieces that might fall might not hit anyone! So, not much of fear.
    That was dependent on law of probability. But Corona is different. Here, people must behave. They must obey decisions. A number of people are jumping guidelines as we read in news. Not only are they endangering their lives, but they are also creating problem for mankind. I repeat, everyone must behave, must behave and follow instructions.

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  4. कोरोना वायरस को लेकर जो भी परिस्थितियां निर्मित हो रही है,वह बहुत ही भयावह है। एक तरफ करोना से जान बचाने की कवायद की जा रही है,तो दूसरी ओर ऐसे हमारे लोग हैं जो रोज कमाते है,तब उनका चुल्हा जलता है।ऐसे लोगों का ख्याल आस पास के लोगों को मानवीय मूल्यों के आधार पर रखने की जरूरत है। यदि ऐसा नहीं हुआ तो शायद हमारे मेहनतकस लोगों के पास भूख से लड़ने की बड़ी चुनौती रहेगी।
    नोहर सिंह गजेन्द्र
    वरिष्ठ उपाध्यक्ष
    बीएसपी वर्कर्स यूनियन भिलाई

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  5. निश्चित रूप से इस मुश्किल घडी मे हमे धैर्य और एकता का परिचय देना होगा ।हम स्वंय अफ़वाहों से बचें और अफवाह फैलाने वाले लोगों से सावधान रहें ।

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  6. We can not compare coronavirous with sky lab. Skylab was made by mankind,many things about it were known. As such scientists at NASA could ascertain the probable eventualities. But in case of Coronavirous nothing is known. What ever is coming to our knowledge -- individual opinion

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    1. धन्यवाद सर आपका कहना सही है दोनों मामलों की तुलना नहीं हो सकती। इसका उल्लेख सिर्फ इसलिए कि पहले भी ऐसे हालात बने हैं, जब आम जनता की सांसे अटक गई थी।

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  7. हम तब बच्चे थे, बड़े बुजुर्ग चिंतित तो थे पर हमारे सामने बात करने से कतराते थे,जो बातें होती थीं वैज्ञानिक तथ्यों पर थी ,कुछ जगहों से पत्थर गिरने की अफवाह भी फैलती थी पर उस समय का सूचना तंत्र रेडियो काफी गंभीर ,बी बी सी लंदन और आकाशवाणी संतुलन व संयमित खबरें दें रहे थे, राजनैतिक बयानबाजी तो कतई नहीं थीं,पर चूकी लोग महत्वकांक्षी कम थे इसलिए अपने को हाल पर ही छोड़ चुके थे,पर आज की परिस्थितियों पर हम अविश्वास के दौर में हैं आधी अधूरी , तथ्यहीन जानकारी, राजनैतिक महत्वाकांक्षा के इंवेट,वैज्ञानिक,अवैज्ञानिक आंकड़ों , दिशाहीन सोशल मीडिया ,तेज तर्रार अवसरवादी बाजार विकसित देशों की अपनी रणनीति समस्या को उलझाने में लगे ... इस तरह मरीज और इलाज का तो कोई तालमेल ही नहीं बन रहा ....

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