Tuesday, February 7, 2012

माओवादियों पर अंकुश लगाना सरकार की जवाबदारी


Suneel Gangopadhyay

प्रख्यात बांग्ला साहित्यकार और साहित्य अकादमी के अध्यक्ष सुनील गंगोपाध्याय का कहना है कि माओवाद पर अंकुश लगाना सरकारों का काम है। 78 वर्षीय श्री गंगोपाध्याय अपने लेखन को फिलहाल आराम देकर भारत भ्रमण पर निकले हैं। उनका कहना है कि हर लेखक को ऐसा करना चाहिए जिससे कि उसे नए विचार आए और लेखन निखरे। छत्तीसगढ़ के तीन दिवसीय प्रवास के बाद भिलाई से कान्हा किसली रवाना होने से पहले 'भास्करÓ से एक्सक्लूसिव बातचीत करते हुए श्री गंगोपाध्याय ने कहा कि यह समय उनके लिए फिर एक बार अपने पिछले लेखन के अवलोकन का है। नक्सलवाद और युवा आक्रोश पर आधारित उपन्यास 'प्रतिद्वंदीÓ लिख चुके श्री गंगोपाध्याय का कहना है कि हालात आज बदले नहीं है, हां नक्सलवाद का मूल विचार जरूर खत्म हो गया है। नक्सलवादी पूरा तंत्र बदलना चाहते थे वो विचार तो आज कहीं नहीं है। आजादी के बाद युवा में गरीबी, बेरोजगारी को लेकर जो आक्रोश था, आज उतनी खराब स्थिति नहीं है। फिर भी नक्सलवाद के नाम पर माओवादी जो हिंसा कर रहे हैं वह बिल्कुल गलत है। वह कहते हैं- इस हिंसा पर काबू करना और माओवादियों को मुख्य धारा में लाने की जवाबदारी सरकारों की है। 
साहित्य अकादमी से जुड़े सवाल पर उन्होंने कहा कि -हम लोग 24 भाषाओं के साहित्य और साहित्यकारों को समान रुप से अवसर उपलब्ध करा रहे हैं। अकादमी के माध्यम से देश के एक हिस्से से दूसरे हिस्से में रहने वाले साहित्यकारों का आपस में परिसंवाद करवाने भी पहल की जाती रही है। सुदूर मणिपुर का साहित्यकार यहां छत्तीसगढ़ के साहित्यकार के साथ मिल कर आपसी विचार विमर्श कर रहा है। साहित्य अकादमी में किसी तरह की खेमेबाजी से उन्होंने इंकार किया।

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