Monday, February 17, 2020

भिलाई का  इतिहास जीवंत हुआ प्रेजेंटेशन में 


एसएसबी-बीएसएफ-सीआईएसएफ और एफएसएनएल में मेरी किताब

 'वोल्गा से शिवनाथ तक ' पर केंद्रित भिलाई के इतिहास पर प्रस्तुतिकरण



लेखक को सम्मानित करते डीआईजी  वि विक्रमण और बीएसएफ में प्रस्तुतीकरण के दौरान अफसरों के मध्य लेखक 
भिलाई स्टील प्लांट की रावघाट खदान क्षेत्र की सुरक्षा में अपने कर्त्तव्य का निर्वहन कर रहे सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) और सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) ने भिलाई का इतिहास जानने के उद्देश्य से दो अलग-अलग सत्रों का आयोजन क्रमशः 7 मई 2019 और 23 मई  2019 को किया। इन सत्रों में भिलाई के इतिहास पर केंद्रित किताब ‘वोल्गा से शिवनाथ तक’ के लेखक व पत्रकार मुहम्मद जाकिर हुसैन ने पीपीटी व आडियो-वीडियो आधारित रोचक प्रस्तुतिकरण दिया। दोनों सत्रों में सुरक्षा बलों के जवानों व अफसरों में भिलाई व इसकी खदानों के इतिहास से जुड़े कई सवाल पूछ कर अपनी जिज्ञासा शांत की।
एसएसबी क्षेत्रीय मुख्यालय (विशेष अभियान) भिलाई में हुए सत्र में बल के डीआईजी वी. विक्रमन ने लेखक मुहम्मद जाकिर हुसैन को प्रशस्ति पत्र व स्मृति चिह्न भेंट कर सम्मानित किया। उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा कि किताब ‘वोल्गा से शिवनाथ तक’ भिलाई के कई अंजाने और रोचक तथ्यों से रूबरू कराती है और जिसे भिलाई में जरा भी दिलचस्पी हो, इस किताब को जरूर पढ़ना चाहिए।
इसी तरह बीएसएफ सीमांत मुख्यालय रिसाली भिलाई में आयोजित प्रस्तुतिकरण सत्र को संबोधित करते हुए महानिरीक्षक जेबी सांगवान ने कहा कि लेखक जाकिर हुसैन ने भिलाई कारखाना, शहर और इसकी खदानों से जुड़ा इतिहास पाठकों के समक्ष रोचक ढंग से लाने में कड़ी मेहनत की है। एक औद्योगिक शहर के बनने और बसने का सफर जानने पाठकों को यह किताब जरूर पढ़नी चाहिए।
एसएसबी और बीएसएफ में अपने प्रस्तुतिकरण के दौरान लेखक मुहम्मद जाकिर हुसैन ने भिलाई से जुड़े कई रोचक तथ्यों से जवानों व अफसरों को रूबरू कराया। इस दौरान भिलाई पर केंद्रित फिल्म्स डिवीजन की डाक्यूमेंट्री ‘भिलाई स्टोरी’ का भी प्रदर्शन किया गया। लेखक ने अपने प्रस्तुतिकरण के दौरान बताया कि किस तरह 1955 में 6 जून की भरी दोपहरी में माइनस डिग्री वाले ठंडे मुल्क रशिया से कुछ इंजीनियरों की टीम अपने भारतीय इंजीनियरों के साथ पहली बार दुर्ग पहुंची थी। 
उन्होंने भिलाई से रशिया जाकर प्रशिक्षण लेने वाले भारतीय इंजीनियरों के पहले दल के साथ जुड़े किस्से और पहले रूसी चीफ इंजीनियर की आकस्मिक मौत के बाद उपजी परिस्थितियों को भी बताया। इसी तरह भिलाई के परिप्रेक्ष्य में प्रगतिशील रशियन इंजीनियरों के अंधविश्वास और उनकी कुछ अनूठी परंपराओं का उन्होंने विशेष उल्लेख किया। लेखक ने अपने प्रस्तुतिकरण में छह दशक में बदलते भिलाई की तस्वीरों के साथ जुड़े कई उल्लेखनीय तथ्य और भिलाई की संस्कृति का हिस्सा रहे रशियन परिवारों से जुड़ी बहुत सी रोचक बातें भी उन्होंने बताई।
 इसके साथ ही शहर की पहचान बन चुके कुछ महत्वपूर्ण भवनों के साथ जुड़े किस्से भी उन्होंने बताए। उन्होंने फिल्मों में इस्तेमाल भिलाई के महत्वपूर्ण दृश्यों पर भी जानकारी दी। प्रस्तुतिकरण के बाद मौजूद जवानों और अफसरों ने लेखक से भिलाई के इतिहास और वतर्मान से जुड़े कई सवाल भी पूछे। इस दौरान बीएसएफ के डीआईजी डॉ. एसके त्यागी, आईएस राणा, उम्मेद सिंह, प्रदीप कटियाल, कमांडेंट आरएस कंवर और अजय लूथरा सहित तमाम अफसर मौजूद थे।

सीआईएसएफ जवानों के बीच यादगार पल

सेक्टर 3 के सभागार में प्रेजेंटेशन के दौरान 
भिलाई स्टील प्लांट को सुरक्षा देने का दायित्व केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) का है। सेक्टर-3 में आज जहां सीआईएसएफ का सभागार है, वहां पहले खुला मैदान हुआ करता था,जहां बल के जवान एक्सरसाइज करते थे। तब वहां एक आटा चक्की और कुछ टपरीनुमा दुकान भी हुआ करती थी। वहां कुछ बड़े-बड़े पेड़ भी लगे हुए थे और सेक्टर-1 से हम बहुत से हमउम्र बच्चे यहां कदम्ब का फल लेने आते थे।
इस फल को हम लोग शरारतन अपने साथियों के सिर पर मारते थे, जिससे काफी जोर से लगता था। शायद इसलिए हम लोग कदम्ब फल को 'टकला' कहते थे, अभी बच्चे इसे जानते हैं या नहीं मुझे नहीं मालूम। वो किस्सा फिर कभी। वैसे उसी दौरान कुछ दिन बाद यहां दीवारें उठा दी गईं और सीआईएसएफ का विस्तार हुआ। लेकिन हम बच्चों का जाना यहां नहीं रुका।
यहां तब खुले मैदान में सीआईएसएफ जवानों को परदे पर फिल्म दिखाई जाती थी। तब चुपके से नजर बचा कर फिल्म शुरू होने के दौरान हम बच्चे भी अंदर पहुंच जाते थे। यहां शायद तब हर शनिवार शाम को फिल्म दिखाई जाती थी।
खैर, अब वह सब छूट गया और पिछले दिनों 28 अगस्त 2019 को  बल के डीआईजी उत्तम कुमार सरकार ने मुझे यहां आमंत्रित किया तो उसी जगह बने सभागार में खड़े होकर सीआईएसएफ जवानों से संवाद करते सारी यादें उमड़ने लगी, जिसे मैनें सरकार सर के साथ शेयर भी की।
डीआईजी उत्तम कुमार सरकार धनबाद से भिलाई बीते साल ट्रांसफर होकर आए हैं। उन्हें भिलाई शहर और इसके इतिहास के बारे में जानने में गहरी दिलचस्पी है,इसलिए उन्होंने मेरी किताब ''वोल्गा से शिवनाथ तक'' न सिर्फ पढ़ी, बल्कि अपने अफसरों को उपहार में भी दी है।
उनके बुलावे पर पिछले दिनों मैं सीआईएसएफ जवानों के सैनिक सम्मेलन में शामिल हुआ। जहां मुझे जवानों के बीच इस्पात नगरी भिलाई के निर्माण से अब तक के घटनाक्रम पर पीपीटी प्रेजेंटेशन देने का मौका मिला। इस प्रेजेंटेशन में दुर्लभ स्टिल फोटोग्राफ्स, आडियो और वीडियो के माध्यम से मैनें भिलाई के पूरे 65 साल का खाका खींचने की कोशिश की।
सीआईएसएफ के अफसरों और जवानों ने बेहद दिलचस्पी के साथ प्रेजेंटेशन देखा और सभी लोगों की राय थी कि उन्हें भिलाई से जुड़े इन पहलुओं के बारे में आज तक पता नहीं था। इन जवानों ने भिलाई से जुड़े कई सवाल भी पूछे और अपनी जिज्ञासा शांत की। कुल मिलाकर जवानों के बीच मेरे लिए यह दिन बेहद यादगार रहा।

भिलाई के इतिहास से रूबरू हुआ एफएसएनएल परिवार


एफएसएनएल में प्रेज़ेंटेशन की झलकियां 
सार्वजनिक उपक्रम फेरो स्क्रैप निगम लिमिटेड ने 8 अक्टूबर 2019 को भिलाई के इतिहास पर प्रेजेंटेशन देने बुलाया। भिलाई स्टील प्लांट सहित देश के प्रमुख स्टील प्लांट से निकलने वाले स्क्रैप (कचरे) की सफाई कर उसमें से लौह अंश निकालने का काम बखूबी कर रही इस कंपनी पर भी निजीकरण की गाज गिरने वाली है।
यह मुद्दा फिर कभी। अभी बात मेरे प्रेजेंटेशन की। यहां मौका था सार्वजनिक उपक्रम फेरो स्क्रैप निगम लिमिटेड निगमन कार्यालय भिलाई में राजभाषा माह-2019 के समापन का।
इस दौरान स्कूली बच्चों और विभागीय कर्मियों और नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति के अंतर्गत आने वाले दुर्ग-भिलाई के 110 से ज्यादा केंद्र व राज्य सरकार के संस्थानों के प्रतिनिधियों के लिए कुछ प्रतियोगिताएं भी रखी गईं थीं। इसमें मुझे निर्णायक की भूमिका भी अदा करने की जवाबदारी दी गई थी।
इस प्रतियोगिता के बाद मेरा पीपीटी प्रेजेंटेशन रखा गया। जिसमें आडियो-वीडियो और कुछ दुर्लभ फोटोग्राफ्स के जरिए मैनें भिलाई का सफरनामा रोचक ढंग से बताने की कोशिश की।
मेरा प्रेजेंटेशन न सिर्फ एफएसएनएल के कर्मियों-अफसरों व अन्य मेहमानों को पसंद आया बल्कि नवोदय विद्यालय बोरई से आए विद्यार्थियों और शिक्षकों ने भी इसमें खूब दिलचस्पी दिखाई। इस मौके पर एफएसएनएल के महाप्रबंधक कार्मिक एवं प्रशासन/विधि व्हीव्ही सत्यनारायण ने मुझे सम्मानित किया।
इस दौरान भिलाई एजुकेशन ट्रस्ट भिलाई के ट्रस्टी एवं सचिव सुरेन्द्र गुप्ता, कंप्यूटर साइंस की प्रोफेसर डॉ. सिपी दुबे, शिक्षा विभाग की सहायक प्राध्यापक ज्योति मिश्रा के साथ साथ विभिन्न सरकारी संस्थानों के प्रतिनिधि, स्कूली बच्चे व शिक्षकगण मौजूद थे।
इस दौरान सहायक प्रबंधक (प्रणाली विश्लेषक एवं कार्यक्रमक) प्रशांत कुमार साहू ने एफएसएनएल कार्पोरेट वीडियो का प्रदर्शन किया और सुरेन्द्र गुप्ता ने उत्पादन, उत्पादकता एवं सुरक्षा को पावर पाइंट के माध्यम से विस्तार से बताया। राजभाषा अधिकारी छगन लाल नागवंशी ने राजभाषा संवैधानिक प्रावधानों की जानकारी दी। कुल मिलाकर मेरे लिए एफएसएनएल में प्रेजेंटेशन देना एक यादगार अनुभव रहा।

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