Sunday, February 2, 2020

आईबीएम के नए चीफ अरविंद कृष्ण का 

भिलाई कनेक्शन जानते हैं आप..?



नाना से सुनी थी इस्पात नगरी के बनने की कहानी, नानी रहीं
 हैं भिलाई की पहली डॉक्टर, पिता थे  सेना में मेजर जनरल



मुहम्मद जाकिर हुसैन

भारतीय मूल के अरविंद कृष्ण को बहुप्रतिष्ठित अमेरिकी आईटी कंपनी इंटरनेशनल बिजनेस मशीन (आईबीएम) का मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) बनाया गया है। 
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपना अहम स्थान रखने वाली आईबीएम कंपनी के इस नए चीफ का भिलाई कनेक्शन बेहद भावनात्मक है। अरविंद की माता आरती कृष्ण इन दिनों गुड़गांव में रहती हैं। फोन पर चर्चा करते हुए आरती ने बताया कि अरविंद कभी भिलाई तो नहीं गए लेकिन अपने नाना कर्नल ताराचंद के बेहद करीब रहे हैं और बचपन में भिलाई के शुरूआती दौर की बहुत सी कहानियां उन्होंने अपने नाना से सुनी हैं। 
अरविंद को नई जवाबदारी मिलने आरती कृष्ण भी बेहद खुश हैं। अरविन्द कृष्ण का भिलाई कनेक्शन मिलना भी एक संयोग रहा। दरअसल भिलाई के इतिहास पर मेरी किताब ‘वोल्गा से शिवनाथ तक’ से ही मुझे अपने एक पाठक के ज़रिये मिला। भिलाई के शुरूआती दौर में आने वाले रिटायर अफसर विश्वनाथ नागेश मजुमदार यहाँ हुडको में रहते हैं उन्होंने मेरी किताब ‘वोल्गा से शिवनाथ तक’ पढ़ी  है।
लिहाज़ा आज 1 फरवरी को जब देश भर के अखबारों में अरविंद कृष्ण के सीईओ बनने की खबर छपी तो उन्होंने मुझे फोन किया और कहा कि-बेटा तुम्हारी किताब में जिस कर्नल ताराचंद परिवार का जिक्र है, शायद ये अरविंद कृष्ण उन्हीं के घर से है।
वैसे बताते चलूँ कि कर्नल ताराचंद परिवार से मेरा बीते दशक में 2006 में परिचय हुआ था। तब कर्नल ताराचंद की पत्नी डॉ. मोहिनी ताराचंद भी जीवित थीं। नई  दिल्ली में उनके निवास पर डॉ. मोहिनी और आरती कृश्न से भिलाई में बिताये उनके दिन और कर्नल ताराचंद पर मेरी बात हुयी थी। उसी बातचीत को मैंने में प्रकाशित किया है । 
99 साल की उम्र में डॉ मोहिनी का नई दिल्ली में 2013 में निधन हुआ था। कर्नल ताराचंद की बेटी आरती कृष्ण से तब से हुआ परिचय आज भी बरकरार है, लिहाजा आज मजुमदार अंकल का फोन आने के बाद मैनें आरती कृष्ण को फोन कर पूछा तो उन्होंने हंसते हुए कहा-''मेरा बेटा है भई अरविंद।'' इसके बाद तो फिर उनसे आज फिर लंबी बात हुई।

अप्रैल में कार्यभार संभालेंगे अरविंद

आरती कृष्ण -डॉ मोहिनी ताराचंद  
57 साल के अरविंद कृष्णा फिलहाल क्लाउड और कॉग्निटिव सॉफ्टवेयर विभाग में आईबीएम के वाईस प्रेसिडेंट हैं। 
यहां वह आईबीएम बिजनेस यूनिट का नेतृत्व करते हैं जो क्लाउड और डेटा प्लेटफॉर्म प्रदान करता है। इस पर आईबीएम के क्लाइंट काम करते हैं।
उनकी वतर्मान जिम्मेदारियों में आईबीएम क्लाउड, आईबीएम सिक्योरिटी और कॉग्निटिव एप्लीकेशन बिजनेस और आईबीएम रिसर्च शामिल हैं। अरविंद वहां लंबे समय से सीईओ 62 वर्षीय वर्जीनिया रोमेट्टी की जगह लेने जा रहे हैं।
 कंपनी ने इसकी औपचारिक घोषणा कर दी है और 6 अप्रैल को औपचारिक रूप से नए सीईओ का पदभार ग्रहण कर लेंगे। कृष्णा 1990 में आईबीएम से जुड़े थे। वतर्मान सीईओ रोमेटी ने बयान में कहा, 'अरविंद आईबीएम में अगले युग के लिए सही सीईओ हैं।'वर्जीनिया रोमेटी फिलहाल कंपनी की एग्जीक्यूटिव चेयरमैन रहेंगी। 
अरविंद वर्तमान में आईबीएम में एक एग्जीक्यूटिव के तौर पर काम कर रहे हैं। जब उन्हें जनवरी में सीईओ के तौर पर नामित किया गया तो वो आईबीएम के क्लाउक्लाउड और कॉग्न‍िटिव सॉफ्टवेयर में सीनियर वाइस प्रेसीडेंट के पद पर थे। 2018 में 34 बिलियन अमेरिकी डॉलर में रेड हैट के आईबीएम के अधिग्रहण का श्रेय उन्हें दिया जाता है। वह एक प्रमुख अमेरिकी टेक समूह के चौथे भारतीय मूल के सीईओ होंगे। इस सूची में माइक्रोसॉफ्ट के सत्या नडेला, गूगल के सुंदर पिचाई और एडोब के शांतनु नारायण का नाम शामिल है। 


कुछ बातें कर्नल ताराचंद-डॉ. मोहिनी ताराचंद की


ताराचंद दम्पति 
जहां तक अरविंद कृष्णा के भिलाई कनेक्शन की बात है तो उनके नाना कर्नल ताराचंद 1956 में सेना से भिलाई स्टील प्रोजेक्ट में सुप्रिटेंडेंट (ट्रेनी) बनाकर भेजे गए थे। 
यहां कर्नल ताराचंद की जिम्मेदारी देश भर से आने वाले युवा इंजीनियरों के लिए भिलाई से लेकर तत्कालीन सोवियत संघ तक में तकनीकी प्रशिक्षण की व्यवस्था को देखने की थी। 
आज का मानव संसाधन विभाग (एचआरडी) भवन तब भिलाई टेक्नीकल इंस्टीट्यूट (बीटीआई) के नाम से कर्नल ताराचंद के नेतृत्व में शुरू हुआ था और यहां ना सिर्फ इंजीनियरों बल्कि बाद के दौर में देश भर से आने वाले हजारों कर्मियों के प्रशिक्षण की भी व्यवस्था शुरू की गई थीं।
 इसी तरह अरविंद कृष्ण की नानी और कर्नल ताराचंद की पत्नी डॉ. मोहिनी ताराचंद का भी भिलाई के शुरूआती दौर में अहम योगदान रहा है। डॉ. मोहिनी एक कुशल चिकित्सक थी। 1956 में जब भिलाई में किसी भी डाक्टर की औपचारिक नियुक्ति नहीं हुई थी, तब उन्होंने भिलाई हाउस (आज का बीआईटी) के अपने घर में स्वैच्छिक क्लिनिक शुरू किया था। 
ताराचंद दंपति 1961 तक भिलाई में रहे और तब तक भिलाई में औपचारिक रूप से आमदी भाठा (सेक्टर-9) का अस्पताल शुरू हो गया था।
 इसके बावजूद डॉ. मोहिनी बगैर किसी औपचारिक नियुक्ति के स्वैच्छिक तौर पर भिलाई के कर्मियों व उनके परिवारों की चिकित्सा सेवा के लिहाज से बीएसपी के डाक्टरों के साथ सेवा देती रहीं। ताराचंद दंपति की बेटी आरती तब दिल्ली में पढ़ रही थीं। अब वे गुड़गांव में रहती हैं। 

देहरादून-कुन्नूर  में हुई है अरविंद की पढ़ाई


फोन पर बातचीत के दौरान आरती कृष्ण ने कहा-अरविंद की स्कूली पढ़ाई देहरादून में हुई है और अपने नाना के बेहद करीबी रहे हैं। इसलिए बचपन में मेरे पिता कर्नल ताराचंद उन्हें अक्सर एक पब्लिक सेक्टर के तौर पर भिलाई की तरक्की और वहां के शुरूआती संघर्ष के बारे में बताते थे। 
अरविंद के पिता मेजर जनरल विनोद कृष्ण अब इस दुनिया में नहीं है। अरविंद ने आईआईटी कानपुर से इंजीनियरिंग में डिग्री (1980 से 1985 तक) लेने के बाद अमेरिका का रुख किया। 
उन्होंने यूनिवर्सिटी ऑफ इलनॉइज, अर्बाना शैंपेन से इलेक्ट्रिकल और कंप्यूटर इंजीनियरिंग में पीएचडी की पढ़ाई की। 
इससे पहले उन्होंने देहरादून के बाद स्टेन्स हायर सेकेंडरी स्कूल, कुन्नूर से स्कूली पढ़ाई की। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर उत्तर प्रदेश भारत से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में बैचलर इन इंजीनियरिंग की पढ़ाई की थी। अब वहां सबसे प्रतिष्ठित कंपनी के चीफ होने जा रहे हैं। अरविंद को आईबीएम में नई जवाबदारी मिलने से पूरे परिवार में खुशियों का माहौल है।
1 फरवरी 2020 

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