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Saturday, September 8, 2012

...तो मैं जादू से देश की गरीबी दूर कर देता



चैप्टर-888 के आयोजन 'विरासतÓ  में जादूगर शर्मा ने दिए बच्चों के अजब सवालों के गजब जवाब
भिलाई । बीएसपी के सर्वप्रथम स्कूल पीएस-1 (वर्तमान में ईएमएमएस-1) के पूर्व छात्रों के संगठन चैप्टर-888 के मासिक आयोजन 'विरासतÓ में बुधवार को जादूगर ओपी शर्मा ने बच्चों बच्चों के अजब सवालों के गजब जवाब दिए। किसी बच्चे में जादू को करियर बनाने की जिज्ञासा थी तो कोई जादू से करोड़पति बनने का नुस्खा चाहता था, वहीं कुछ बच्चे ऐसे भी थे जो जादू की हकीकत जानना चाहते थे।
वर्तमान में इंग्लिश मीडियम मिडिल स्कूल के नाम से संचालित सेक्टर-1 की इस शाला  में 'विरासतÓ की शुरूआत पर शाला परिवार की ओर से एचएम शीबा जेम्स ने स्वागत भाषण दिया। बच्चों से बात करते हुए जादूगर शर्मा ने बताया कि जादू पूरी तरह विज्ञान सम्मत कला है। जिसमें समय का सटीक कैलकुलेशन और दिमाग की स्थिरता बहुत जरूरी है। उन्होंने बताया कि वह खुद एक इंजीनियर के तौर पर आर्डिनेंस फैक्ट्री में सेवा दे चुके हैं और उनके 3 बेटे और एक बेटी भी इंजीनियर हैं। इसके बावजूद वह जादू के प्रति समर्पित हैं, क्योंकि वह मानते हंै कि लोगों के बीच अंधविश्वास दूर करने जादू ही सबसे महत्वपूर्ण माध्यम है।
इसके बाद बच्चों के सवालों का सिलसिला शुरू हुआ। एक बच्चे ने पूछा-अंकल आप जादू से करोड़पति क्यों नहीं बन जाते..? श्री शर्मा ने जवाब दिया कि जादू विशुद्ध रुप से एक कला है। इसेक सिर्फ कला के रुप में ही लिया जाना चाहिए। और जहां तक जादू से करोड़पति बनने की बात है तो अगर ऐसा संभव होता तो मैं देश का वित्तमंत्री बन कर अपने देश की गरीबी ही दूर कर देता। एक स्टूडेंट ने पूछा कि जादू को करियर के तौर पर लिया जा सकता है? श्री शर्मा ने कहा कि बिल्कुल, मैंनें तो क्लास 2 से ही जादू के प्रयोग शुरु कर दिए थे। बाद में इंजीनियरिंग करते हुए इसे प्रोफेशनल ढंग से शुरु किया और 1971 से नियमित शो कर रहा हूं। आज मेरे साथ 200 लोगों की टीम है। इतने लोगों को साल भर रोजगार मिल रहा है। इसलिए आप भी सीखना शुरु करें और जादू को करियर बनाएं। एक बच्चे ने पूछा कि क्या हिप्नोटिज्म ही जादू है? श्री शर्मा ने कहा कि हिप्नोटिज्म या सम्मोहन एक विज्ञान है और जादू भी विज्ञान पर ही आधारित है। उन्होंने कहा कि इस कला को कई लोगों ने गलत प्रचारित किया है और वे जादू का गलत प्रयोग कर लोगों को ठग रहे हैं। उन्होंने एक सवाल के जवाब में बताया कि नींबू काटकर खून निकालना जैसी चीजें दिखाकर वे लोगों में अंधविश्वास पैदा करते हैं, जबकि ऐसा नहीं होता। इसके लिए वे चाकू में ही केमिकल लगाते हैं
इस दौरान जादूगर शर्मा ने कई छोटे-छोटे मनोरंजक ट्रिक दिखा कर बच्चों की तालियां बटोरी। उन्होंने 100 रुपए के नोट से पेन आर-पार कर दी और नोट सही सलामत था। ऐसे ही बच्चे को बुलाकर उसे रुपए थमा दिए और रुपए गायब हो गया। एक बच्चे के हाथ से सिक्का लेकर उसे दुगुना कर दिया। ऐसे बहुत से ट्रिक थे, जिनका बच्चों ने खूब मजा लिया। अंत में एलुमनी चैप्टर-888 की तरफ से जादूगर शर्मा को स्मृति चिह्न भेंट कर उनका सम्मान किया गया। कार्यक्रम को सफल बनाने में स्कूल के शिक्षकगण पीआर साहू, निधि त्रिवेदी, मिताली मित्रा, सत्यवती साहू, शीतलचंद्र शर्मा, आरजी मिश्रा, ए. रवानी व एसएन साहू सहित अन्य शिक्षक तथा चैप्टर-888 एलुमनी के प्रवीण जैन, मुकीत खान, कमलजीत सिंह, केएस सुशील, तुषार रणदिवे, जगेंद्र बिसने, प्रवीण चाफले, अवधेश यादव व सुनीता पासी सहित अन्य का योगदान रहा। संचालन शीतलचंद्र शर्मा  तथा आभार प्रदर्शन मोहम्मद जाकिर हुसैन ने किया।

Saturday, December 17, 2011

बीएसपी के प्रथम स्‍कूल के पूर्व छात्रों की एलुमनी चैप्टर-888 ने ‘गुरुदक्षिणा’ में सम्मानित किया अपने गुरुजनों को

भिलाई इस्पात संयंत्र के सर्वप्रथम स्‍कूल प्राइमरी स्‍कू ल क्रमांक -1 (पीएस-1) के पूर्व छात्रों की एलुमनी चैप्टर-888 ने अपने गुरूजनों को 4 सितंबर 2011 को स्‍कू ल प्रांगण मे आयोजित एक भव्य समारोह ‘गुरुदक्षिणा’ में सम्मानित किया। 

चैप्टर-888 यानि 88 में 8 वीं पास आउट स्टूडेंट का संगठन। 1 जुलाई 1957 को सेक्टर-1 के ट्यूबलरशेड आवास में बीएसपी का पहला स्‍कूल शुरू हुआ था। यहां से बीएसपी के ज्यादातर स्‍कू ल निक ले। बाद के वर्षों में 1975 में इस स्‍कूल को अपना नया भवन मिला। 1984-85 से यहां मिडिल स्‍कूल भी लगने लगा और अब 2003 से यह इंग्लिश मीडियम मिडिल स्‍कू ल में तब्दील हो गया। बीएसपी के शिक्षा जगत की नींव तैयार करने वाले इस स्‍कूल के 40 से ज्यादा शिक्षकों के सम्मान समारोह में मुख्य अतिथि बीएसपी के मुख्य कार्यपालक अधिकारी पंकज गौतम थे।

चैप्टर-888 ने इस भव्य समारोह के लिए तीन माह से युद्ध स्तर पर तैयारी शुरू क र दी थी। 4 सितंबर की सुबह स्‍कू ल प्रांगण में एक के बाद शिक्षकों के आने का सिलसिला शुरू हुआ। इनमें ज्यादातर शिक्षक तो ऐसे थे, जो 20 से 25 साल बाद एक दूसरे से रूबरू हो रहे थे। सारे शिक्षक एक दूसरे से गले मिलक र बेहद भावुक हो गए थे। सीईओ श्री गौतम कार्यक्रम में उपस्थित नहीं हो सके लेकिन उन्होंने अपना शुभकामना संदेश भिजवाया। बीएसपी के ईडी इंचार्ज मानस कुमार बिंदु ने अपने उद्बोधन में खास तौर पर इस बात को रेखांकिंत किया कि जो काम वह और उनके साथी आज तक नहीं क र पाए, वह काम चैप्टर-888 ने अपने गुरूजनों का सम्मान करके कर दिखाया। डीजीएम जनसंपर्क एसपीएस जग्गी, सीईओ सचिवालय के डीजीएम कृष्ण कुमार सिंह, एजीएम एजुकेशन डीपी सत्पथी और ईएमएमएस-1 की एचएम श्रीमती शीबा जेम्स ने भी अपने उद्गार व्यक्त किए।

इसके पहले ‘गुरुदक्षिणा’ की शुरूआत अनूठे ढंग से हुई। चैप्टर-888 के स्टूडेंट के साथ तमाम अतिथियों व गुरुजनों से मिलक र इस स्‍कू ल में पूर्व में की जाने वाली प्रार्थना ‘वह शक्ति हमे दो दया निधे’ को समवेत स्वर में गाया। इसके बाद स्वागत की परंपरा शुरू हुई। चैप्टर-888 के प्रवीण जैन, क मलजीत सिंह, केएस सुशील, बालन स्वामी, प्रदीप पात्रो, मुकी त खान, जगेंद्र बिसने, रोहित वरखेड़क र व सुनीता पासी सहित अन्य लोगों ने अतिथियों का स्वागत किया। एलुमनी से जुड़े मोहम्मद जाकिर हुसैन ने स्वागत भाषण मे आयोजन के महत्व पर प्रकाश डाला। इसके उपरांत एलुमनी द्वारा निकाले गए विशेषांक ‘गुरूदक्षिणा’ का विमोचन अतिथियों ने किया। फिर शुरू हुई सम्मान की परंपरा। पहला सम्मान स्‍कू ल की संस्थापक प्रधानपाठिका स्व. श्रीमती शिरीन लुसियस पन्नालाल को दिया गया। स्व. लाल की सुपुत्री वनिता लाल यह सम्मान लेते हुए बेहद भावुक हो उठीं, उन्होंने अपने उद्बोधन में बताया कि कैसे उनकी मम्मी और उनके दौर के लोगों ने मुश्किल हालात में इस स्‍कूल को शुरूआती दौर में चलाया। इसके उपरांत स्‍कूल में सर्वाधिक समय तक प्रधानपाठिका रही सुश्री प्रेमी शिरीन गैब्रिएल को सम्मानित किया गया। सुश्री गैब्रिएल ने सम्मान के लिए शुक्रिया अदा क रते हुए ट्यूबलर शेड से इस पक्की बिल्डिंग में आने के चुनौतीपूर्ण दौर का खास तौर पर जिक्र किया।

इसी तरह स्‍कूल के रिटायर प्रधानपाठक एसके भटनागर, एसआर शेवलीकर, एसएस पॉल, ए. पीटर, फ्लोरिया मार्टिन, सुनंदा वाटवे, शांता अर्नाल्ड, सुरेखा हंबीर निंबालकर, विमला तिवारी, भगीरथी ठाकुर, सुरेशचंद सेन, रमेश कु मार देशमुख, हरीश प्रसाद निगम, पुष्पादेवी सचदेव, पूर्णिमा हॉफमैन, फिरोज सरवर सुल्तान सिद्दीकी , शहनाज रहमान, चीनू बोस, वीणा कमल रवानी, जंत्री देवांगन, स्वतंत्र कुमार सोनी, ऊषा नंद, शीला पॉल, कमल प्रसाद डोंगरवार, शशिक कांत गिडियन, कविता रामवानी, प्रतिमा मित्तल, प्रकाश डोगरा, मीना अग्रवाल, वीणा अग्रवाल, गीता गोखले, धनलक्ष्मी आचारी और स्वर्णलता दुआ को भी अतिथियों ने ‘गुरुदक्षिणा’ में सम्मानित किया। बरसों बाद मिले शिक्षकों और छात्रों ने सम्मान समारोह के बाद रूबरू बैठक क र एक दूसरे का हाल जाना। आयोजन में एलमुनी के सदस्य प्रवीण चाफले ने ‘है प्रीत जहां की रीत सदा’ गीत सुना क र लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया। जैक्सन ब्वायज डांस ग्रुप और ईएमएमएस-1 की ओर से रंगारंग सांस्‍कृतिक कार्यक्ररम भी प्रस्तुत किया गया।

समूचे कार्यक्रम का संचालन सुबोध पांडेय व अभय आनंद मुखरैया ने किया। धन्यवाद ज्ञापन आनंद साहू ने दिया। चैप्टर-888 के सिल्वर जुबली समारोह में मिलने के वायदे के साथ शिक्षको और स्टूडेंट ने एक दूसरे से विदा ली। चैप्टर-888 से जुड़े स्टूडेंट में आशुतोष अग्रवाल,अवधेश यादव, डॉ. सीवी राजशेखर, धनंजय पांडेय, गिरीराज देशमुख, हनुमंत इंगवले, हर्षदेव नाफड़े,हितेंद्र बोरकर, जितेंद्र कटझरे, कमलेश सेन, मछंदर प्रसाद, मनहरण लाल साहू, मंगल कन्नौजिया, मनीष जैन, मिर्जा जाहिद बेग, मोहम्मद मूसा, मुख्तार खान, नागेंद्र सिंह, नावेद आमिर खान, पवनजीत सिंह, प्रसन्ना टोकेकर, पुष्पक कौशिक , आर. राजेश, राम प्रवेश, शहनाज खान, शौकत अली, शुभराज सिंह, सुधीर खोब्रागढ़े, तुषार रणदिवे, विनय नायडू, जफर जावेद, जाहिद खान, जाकिर अहमद, अजय त्रिपाठी, तलत अफजा, बसंती बोस, प्रतिमा गेडाम, शम्सुन्निसा और अर्चना तिवारी सहित अन्य शामिल हैं।

Wednesday, June 8, 2011

फिर मचेगी धूम ‘888’ के दौर की

सेक्टर-1 मिडिल स्कूल के 1988 बैच स्टूड़ेंट हुए एकजुट
888 यानि 1988 में पास आउट 8 वीं का बैच। सेक्टर-1 का बीएसपी प्रायमरी स्कूल मिडिल में तब्दील हुआ और इंग्लिश मीडियम होने के बाद अब यह स्कूल ईएमएमएस-1 कहलाता है। इस स्कूल का नाम और मीडियम बदला लेकिन इस स्कूल से भावनात्मक लगाव रखने वालों का यहां से आज भी रिश्ता कायम है। इस स्कूल में 1980 से 1988 तक अपनी पढ़ाई करने वाले स्टूडेंट एकजुट हुए हैं। तैयारी है पुराने दोस्तों को इक_ा कर अपने स्कूल के दिनों की यादों में खो जाने की। आगे और भी कार्यक्रम होने हैं जिसमें एलुमनी का गठन के साथ ही आगामी सालों में 1988 बैच की सिल्वर जुबली मनाना भी शामिल है।
इस्पात नगरी के विभिन्न स्कूलों की एलुमनी की तर्ज पर सेक्टर-1 के इस स्कूल के पुराने स्टूडेंट भी एलुमनी बनाने सक्रिय हुए हैं। इस स्कूल से पास आउट प्रवीण जैन, नवेद आमिर खान और के एस सुशील बताते हैं-1988 के बाद 22 साल का अरसा बीत गया है और इस दौरान कभी ऐसा मौका नहीं आया कि सारे दोस्त एक साथ इक_े हुए हों। दरअसल मिडिल स्कूल के बाद पूरा बैच बिखर गया और सभी साथी अलग-अलग स्कूलों में चले गए। इसके बाद जॉब व अन्य कारणों से बहुत से साथी देश के विभिन्न हिस्सों और विदेश में भी बस गए। इस बैच के सीवी राजशेखर, आनंद साहू और हर्षदेव नाफड़े ने बताया कि हाल ही में भिलाई में रहने वाले सेक्टर-1 के 88 बैच के 10-12 साथी इक_े हुए। इसके बाद तय हुआ कि सभी की तलाश की जाए। ऐसे में बहुतों का पता मिला, कुछ के मोबाइल नंबर मिले और इस तरह धीरे-धीरे 40 से ज्यादा साथियों से संपर्क हो पाया। अभी भी मिर्जा जाहिद बेग, श्रीधर, गोपीनाथ, लालसिंह, गुरदीप सिंह, जगेंद्र बिसने व पीवी राममूर्ति सहित बहुत से ऐसे क्लासमेट हैं, जिनका संपर्क सूत्र मिल नही पाया है।
इस ग्रुप के हितेंद्र बोरकर, कमलजीत सिंह व मनहरण लाल साहू ने बताया कि सेक्टर-1 मिडिल स्कूल से 1988 में 8 वीं पास आउट स्टूडेंट 29 मई रविवार की शाम छह बजे सेक्टर-1 के पार्क में इक_ा हो रहे हैं। जहां आगे के कार्यक्रमों की रणनीति बनाई जाएगी।