फिल्म के ज्यादातर फ्रेम में नजर आता है अनुराग का भिलाई
![]() न्यू बसंत टाकिज में बर्फी देखने उमड़े दर्शक 14 सितम्बर 2012 |
अनुराग बसु कोई फिल्म बनाएं और उसमें उनका शहर भिलाई नजर न आए ऐसा हो नहीं सकता। शुक्रवार को रिलीज हुई अनुराग की फिल्म 'बरफी' को क्रिटिक और दर्शकों दोनों की तारीफ मिल रही है। बहुत कम लोगों को मालूम है कि अनुराग ने अपनी 'बरफी' का बेसिक आइडिया भिलाई के ही एक मानसिक विकलांग स्कूल से लिया है। इसके अलावा भी फिल्म में कई ऐसे फ्रेम हैं, जहां अनुराग और उनका भिलाई जीवंत हो उठता है।
अनुराग की 'बरफी' एक जिंदादिल मूक-बधिर युवक की कहानी है। फिल्म भले ही दार्जिलिंग और कोलकाता के माहौल में शूट की गई है लेकिन उसका मूल भिलाई से उठाया गया है। सेक्टर-2 में बीएसपी की प्राथमिक शाला क्रमांक 19 में मुस्कान मानसिक विकलांग विद्यालय एवं पुनर्वास केंद्र चल रहा है। इस स्कूल से जुड़े ज्यादातर सदस्य अनुराग बसु व उनके परिवार के करीबी रहे हैं। अपने पिता व भिलाई के प्रख्यात रंगकर्मी सुब्रत बोस के गुजरने के बाद अक्टूबर 07 में भिलाई आए अनुराग ने खास तौर पर इस स्कूल का दौरा किया था। इसके बाद सितंबर 2010 में 'सुरता सुबरत के' आयोजन में भिलाई आए अनुराग ने इस स्कूल के बच्चों के साथ कुछ वक्त बिताया था। इस स्कूल के संचालकों में से एक बीएसपी के अफसर अजयकांत भट्ट ने बताया कि उस वक्त अनुराग ने हल्का सा हिंट दिया था कि वह इन बच्चों की गतिविधियों को अपने जहन में बसा कर ले जा रहे हैं।
आज जब फिल्म रिलीज हुई तो 'मुस्कान' संस्था से परिचित ज्यादातर लोगों को भी हैरत हुई कि अनुराग ने अपनी फिल्म में मंदबुद्धि किरदार निभा रही झिलमिल (प्रियंका चोपड़ा) के स्कूल का नाम भी 'मुस्कान' ही रखा है। इसके अलावा शुरूआती दृश्य में जब बरफी (रणबीर कपूर) साइकिल में मरफी का रेडियो लटकाए जाते रहता है तो विविध भारती से फरमाइश में अनुराग ने भिलाई और रायपुर से अपने दोस्तों के नाम बुलवाए हैं। बसु परिवार के करीबी और अंचल के रंगकर्मी यश ओबेरॉय बताते हैं कि फिल्म में जहां-जहां बरफी और उसके पिता के भावनात्मक दृश्य आए हैं। उसमें अनुराग और उनके पिता सुब्रत बसु के आपसी रिश्तों को पहचाना जा सकता है। दोनों पिता पुत्र भी इसी तरह एक दूसरे के बेहद करीब थे। एक दृश्य जहां बरफी के पिता को अटैक आता है, वह भी पूरा का पूरा अनुराग ने अपने निजी जीवन से उठाया है। यश ने बताया कि दो दशक पहले मुंबई में एक रात अचानक सुब्रत बसु को अटैक आया था और लगभग कुछ ऐसी ही हालत में घर वालों को उन्हें अस्पताल लेकर जाना पड़ा था। फिल्म में और भी कई फ्रेम हैं, जिनमें भिलाई या अनुराग के निजी जीवन की झलकियां नजर आती है।
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