Wednesday, May 29, 2013

अगले 3 साल में भी मुश्किल होगा अयस्क निकालना


रावघाट की परिस्थितियां कभी नहीं रही अनुकूल

रावघाट खदान  का खनन पट्टा (माइनिंग लीज ) मिलने के बाद बी एस पी  की टीम 
रावघाट के लोगों का दिल जीतने भिलाई स्टील प्लांट आदिवासी अंचल के चुनिंदा गांवों में घर-घर सोलर लैंप बांट रहा है और सार्वजनिक जगहों पर सोलर लैंप भी लगवा रहा है। रावबाबा मंदिर के ठीक सामने स्थित माई मंदिर में भी सोलर लैंप लगे हंै। इसे विडंबना ही कह सकते हैं कि इसी सोलर लैंप के ठीक नीचे माओवादियों ने वार्निश से ‘रावघाट परियोजना का विरोध’ लिख दिया है, ताकि रात में भी इसे साफ-साफ पढ़ा जा सके। हालांकि माओवादियों की मौजूदगी को देखते हुए और ज्यादा अर्धसैनिक बलों की तैनाती, अत्याधुनिक बैरक और दूसरे कई इंतजाम किए जा रहे हैं लेकिन इन सबके बावजूद जमीनी हालात ऐसे नहीं है कि बीएसपी अपने मौजूदा प्लान के मुताबिक रावघाट से 2016 तक भी लौह अयस्क का एक ढेला भिलाई ला सके।
1984 से रावघाट लौह अयस्क भंडारों के खनन पट्टे (एमएल) के लिए भिलाई स्टील प्लांट की कोशिशों को 2009 में जाकर अंजाम मिला। सारी प्रक्रियाएं पूरी हो गई हैं, इसके बावजूद बाधाओं का पहाड़ कायम है। हालात यह है कि बहुराष्ट्रीय कंपनी ‘हैच’ को रावघाट माइंस की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) बनाने ठेका डेढ़ साल पहले दिया गया है। डीपीआर के लिए ‘हैच’ कंपनी को वहां जाकर कम से कम ट्रक भर के सैंपल इक_ा कर प्रयोगशाला में लाना है और उसका तमाम पैरामीटर्स पर विश्लेषण करना होगा। इसके आधार पर हैच ‘पायलट प्लांट’ की रिपोर्ट भी बनाएगा। डीपीआर में ही रावघाट से दल्ली राजहरा होते हुए भिलाई तक लौह अयस्क पहुंचाने की पूरी रणनीति भी ‘हैच’ को बना कर देना है। यह तो सब तकनीकी बातें हैं लेकिन हकीकत यह है कि ‘हैच’ का अमला अभी तक वहां से एक ट्रक तो दूर मु_ी भर लौह अयस्क भी नहीं निकाल पाया है।
दूसरी सबसे बड़ी दिक्कत रेल परियोजना को लेकर है। दल्ली राजहरा से डौंडी तक रेल लाइन का काम तो जोरों पर चल रहा है लेकिन दो साल पहले 14 मार्च 11 को केवटी गांव में दिन दहाड़े हुई नक्सली वारदात के बाद से यहां से आगे रावघाट तक रेल परियोजना का कार्य पूरी तरह ठप पड़ा है। पेड़ों की कटाई के लिए सारी प्रक्रिया पूरी हो गई है लेकिन पेड़ों की मार्किंग के बाद अब तक सिर्फ कुहचे, खसगांव, लामपुरी, पोडग़ांव, हरहरपानी, गोड़बिनापाल और हवेचुल जैसे इक्का-दुक्का गांव में सुरक्षा दस्तों की मौजूदगी में पेड़ कटाई और ढुलाई का काम हो पा रहा है। केवटी से रावघाट तक 53 किमी की पट्टी में रेल लाइन के लिए लाखों पेड़ काटे जाने हैं। यहां पेड़ कटाई के काम में लगे एक ठेकेदार ने उम्मीद जताते हुए कहा कि आगे रावघाट के लिए और भी बल आएगा तो संभव है कि काम में तेजी आए। यहां बीएसपी के सेवाकार्य और टाउनशिप को लेकर भी विवाद की स्थिति है। बीएसपी ने इन्हीं सारी बाधाओं को देखते हुए पहले 2012 तक यहां से अयस्क ले जाने की योजना बनाई थी। ये अवधी भी पिछले साल पूरी हो गई है। अब फिर अगले तीन साल की उम्मीद बीएसपी को है लेकिन अभी भी हालात ऐसे नहीं है कि 2016 तक यहां से लौह अयस्क निकला जा सकेगा।
रावघाट तारीखों में


  • 30 अगस्त 1983- बीएसपी (सेल) की ओर से रावघाट की लौह अयस्क खदानों में खनन के लिए पहला औपचारिक आवेदन दिया।
  • 21 मई 1991- खान मंत्रालय ने माइनिंग लीज हेतु वन विभाग की क्लियरेंस के लिए आवेदन वन एवं पर्यावरण मंत्रालय को भेजा।
  • 4 अगस्त 98- वन विभाग ने क्लियरेंस का आवेदन पर्यावरणीय वजहों से रद्द किया।
  • 5 दिसंबर 98- राजहरा-रावघाट रेललाइन के लिए रेलवे के साथ पहला एमओयू।
  • 5 नवंबर 2000- वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने कुछ शर्तों के साथ नए सिरे से माइनिंग प्लान बनाने कहा।
  • 9 जून 2003- छत्तीसगढ़ राज्य सरकार ने यह तय किया कि ‘एफ’ डिपॅाजिट का कोरेगांव ब्लॅाक निजी क्षेत्र को दिया जाए।
  • 23 नवंबर 2004-भारतीय खनन ब्यूरो द्वारा बीएसपी के लिए रावघाट का माइनिंग प्लान बनाया गया।
  • 20 मई 2005- केंद्रीय संस्थान बोटानिकल सर्वे आफ इंडिया तथा जुलाजिकल सर्वे आफ इंडिया रावघाट का विस्तृत सर्वे प्रारंभ किया।
  • 11 दिसंबर 2007- दल्ली राजहरा-रावघाट-जगदलपुर के बीच 265 किमी लंबे रेल लिंक प्रोजेक्ट एमओयू पर रेलवे, छत्तीसगढ़ शासन और स्टील अथारिटी आफ इंडिया (सेल) ने हस्ताक्षर किए।
  • 4 जून 2009-भारत सरकार के वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने रावघाट के समूचे ‘एफ’ ब्लाक में माइनिंग के लिए सेल-बीएसपी के पक्ष में प्रथम चरण की पर्यावरणीय मंजूरी दी।
  • 13 नवंबर 12-सेल को रावघाट की सुरक्षा के लिए 5 बटालियन देने केेंद्रीय गृह मंत्रालय का फैेसला। पहले चरण में 1500 अर्ध सैनिक जवानों की तैनाती होगी।
  • रावघाट आयरन ओर माइंस की खास बातें

भिलाई से राजहरा 85 किमी और राजहरा से रावघाट 95 किमी की दूरी पर है। रावघाट की आयरन ओर माइंस में कुल छह ब्लाक हैं जिनमें ए ब्लाक में 08.06 मिलियन टन, बी ब्लाक में 10.80 मिलियन टन, सी ब्लाक में 56.22 मिलियन टन, डी ब्लाक में 167.00 मिलियन टन, ई ब्लाक में 14.40 मिलियन टन और एफ ब्लाक में 456.00 मिलियन टन इस तरह कुल 711 मिलियन टन लौह अयस्क का भंडार है। बीएसपी को फिलहाल ‘एफ’ ब्लॉक के 2028.797 हेक्टेयर क्षेत्र में खनन का पट्टा हासिल हुआ है।

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