पहले चरण का आधा काम भी नहीं हुआ अब तक
डौंडी के पास रेल लाइन निर्माण कार्य |
रावघाट के लौह अयस्क दल्ली राजहरा के रास्ते भिलाई लाने बीएसपी ने 5 दिसंबर 98 को रेलवे के साथ पहला एमओयू किया था। सरकारी औपचारिकताएं पूरी करते-करते कब यह एमओयू ठंडे बस्ते में चले गया, बीएसपी अफसरों को भी नहीं मालूम। फिर बीते दशक में रावघाट के निजीकरण का मुद्दा गरमाया और इसी माहौल में 11 दिसंबर 2007 को दल्ली राजहरा-रावघाट-जगदलपुर के बीच 265 किमी लंबे रेल लिंक प्रोजेक्ट के लिए रेलवे, छत्तीसगढ़ शासन और स्टील अथारिटी आफ इंडिया (सेल) ने एमओयू किए। योजना थी अगले 5 साल यानि 2012 तक हर हाल में पहला चरण (दल्ली राजहरा से रावघाट) पूरा कर लिया जाए। लेकिन जमीनी हालात वैसे नहीं है। नक्सल प्रभाव व अन्य वजहों से यहां कार्य बुरी तरह प्रभावित है।
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केवटी गाँव में नक्सल वारदात के निशान |
रावघाट रेल परियोजना के लिए रेल विकास निगम लिमिटेड (आरवीएनएल) नई दिल्ली ने राजहरा से भानुप्रतापपुर (केवटी) तक रेलमार्ग का ठेका मेसर्स शक्तिकुमार मदनलाल संचेती इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (एसएमएस लि.) नागपुर को 20 अक्टूबर 09 को जारी किया। इसके बाद शुरूआती कार्यों के लिए 26 अक्टूबर 09 को एसएमएस लि. ने 20 करोड़ रुपए साउथ इस्टर्न सेंट्रल रेलवे बिलासपुुर में जमा करवाए। एसएमएस लि. का काम भी जोरों से शुरू हो गया। भानुप्रतापपुर में रेडी मिक्स कांक्रीट प्लांट लगाया गया। भानुप्रतापपुर में ही 24 रेलवे क्वार्टर का निर्माण जोरों पर है। आरवीएनएल इस रेलमार्ग के लिए भिलाई स्टील प्लांट से 2272.24 टन टीएमटी बार मार्च 11 तक भानुप्रताप पुर के लिए ले जा चुका है। फिलहाल कुल 23 ब्रिज का निर्माण कार्य चल रहा है। इस बीच दो साल पहले 14 मार्च 11 को केवटी में शाम करीब 4 बजे माओवादियों ने मेसर्स एसएमएस के 10 से ज्यादा वाहनों को आग के हवाले कर दिया था। केंवटी में आज भी एक जला हुआ ट्रक खड़ा हुआ है। इस घटना के बाद केवटी में तो काम रुक ही गया , साथ ही इसके आगे रावघाट तक काम शुरू नहीं हो पाया है। केंवटी से रावघाट तक 53 किमी का काम पूरी तरह बंद है। यहां का ठेका मेसर्स जेएमसी अहमदाबाद को दिया गया है। जेएमसी अपनी सहायक कंपनी कल्पतरू के साथ मिलकर जमीन समतलीकरण का काम कहीं-कहीं शुरू करवा पाई है।
रेल लाइन की स्थिति-2013
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एसएमएस कंपनी की जानकारी देते श्री सिंह |
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डौंडी में बन रहा रेलवे स्टेशन भवन |
रावघाट रेल परियोजना के मुख्य बिंदु
1-टनल (सुरंग) 60 मीटर लंबी
40- सडक़ अंडर ब्रिज
16- रोड ओवर ब्रिज
42-बड़े ब्रिज
303- छोटेब्रिज
विवाद हैं कि थम नहीं रहे
रावघाट रेल परियोजना में विवाद मुआवजा व नौकरी की मांग को लेकर है। प्रभावितों की एक लंबी सूची है। रेलवे ने यहां की जमीनों के लिए एक लाख प्रति एकड़ का मुआवजा दिया है। लोग रेलवे में नौकरी भी चाहते हैं लेकिन नियमों का पेंच ऐसा है कि ज्यादातर अपात्र घोषित हो रहे हैं।
रेलवे जहां 10 लोगों को नौकरी की बात कहता है तो वहां 200 से ज्यादा दावेदार सामने आ जाते हैं। पिछले साल से रेलवे ने नियम बदल दिए हैं, जिसके तहत 60 फीसदी या उससे ज्यादा जमीन रेलवे लाइन की जद में आने वाले प्रभावितों को ही नौकरी मिलेगी,लेकिन इसके लिए आईटीआई में दक्षता का प्रशिक्षण प्रभावित को खुद ही लेना होगा। इससे आदिवासी परेशान हैं कि आखिर रेल यहां विकास के लिए आ रही है या सिर्फ उनके इलाके का दोहन करने।
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