Wednesday, August 19, 2020

 कुमकुम (जैबुन्निसा), तेरा जलवा
   जिसने देखा वो तेरा हो गया.......


बीते जमाने की मशहूर अदाकारा और नृत्यांगना कुमकुम (मूल नाम-जैबुन्निसा) ने 28 जुलाई 2020 मंगलवार को मुंबई में 86 साल की उम्र में आखिरी सांस ली। 

कुमकुम बीते करीब 4 दशक से फिल्मी चकाचौंधी के जीवन से दूर अपने घर-परिवार में जिंदगी बसर कर रही थी। 

उनके गुजरने की खबर मशहूर एक्टर जॉनी वॉकर के बेटे नासिर और जगदीप के बेटे नावेद ने सोशल मीडिया पर जानकारी दी।

कुमकुम के योगदान पर लिखने को ढेर सारी फिल्मों के नाम दिए जा सकते हैं लेकिन कुछ उल्लेखनीय फिल्मों की बात करें तो उनकी धमाकेदार इंट्री हुई थी ''आर-पार'' के गीत ''कभी आर कभी पार लागा तीरे नजर.. से।''

निर्देशक गुरुदत्त ने पहले यह गीत 15 साल के जगदीप पर फिल्माया था लेकिन सेंसर बोर्ड ने गाने के बोल और जगदीप की उम्र को देखते हुए एतराज जताते हुए गाना निकालने कह दिया। इस पर गुरुदत्त ने बीच का रास्ता निकाला और फिर कुमकुम को तैयार कर उन पर यह गीत फिल्मा लिया। इसके बाद तो कुमकुम की फिल्मों में सक्रियता बढ़ती गई।

जिन गीतों पर उनके नृत्य की धूम मची

परदे पर उनके नृत्य कौशल के नाम से जिन गानों की धूम मची उनमें ''कोहेनूर'' में ''मधुबन में राधिका नाची रे'' को आप सबसे उपर रख सकते हैं। इसके बाद ''मदर इंडिया'' में ''होली आई रे'' गीत का शुरूआती हिस्सा देखिए, जिसमेें सितारा देवी के साथ कुमकुम की अद्भुत जुगलबंदी नजर आएंगी।

वैसे ही ''नया दौर'' में मीनू मुमताज के साथ ''रेशमी सलवार कुरता जाली दा'' गीत में छा जाती है। इसके साथ ही ''दगा दगा वई वई'' (काली टोपी लाल रुमाल), ''तेरा जलवा जिसने देखा वो तेरा हो गया'' (उजाला) और ''मेरा नाम है चमेली, मैं हूं मालन अलबेली'' (राजा और रंक) सहित एक लंबी फेहरिस्त है। ऐसे ही गीतों के लिए अखबारों में फिल्मों के इश्तिहार के नीचे लिखा जाता था कि गाने के दौरान परदे पर चिल्हर न फेंके।

उनकी कुछ और उल्लेखनीय फिल्मों में 'मिस्टर एक्स इन बॉम्बे','सन ऑफ इंडिया', 'बसंत बहार', 'एक सपेरा, एक लुटेरा','आंखें','गंगा की लहरें','गीत', 'ललकार','एक कंवारा, एक कंवारी', 'जलते बदन' और 'किंग कॉन्ग' शामिल हैं।

प्रेरणा थी पहली छत्तीसगढ़ी फिल्म की

कुमकुम का योगदान सिर्फ हिंदी फिल्मों में नहीं है बल्कि वह 1963 में आई पहली भोजपुरी फिल्म ''गंगा मइया तोहे पीयरी चढ़इबो'' की नायिका थीं। यही वह फिल्म थी,जिसने रायपुर से जाकर बंबई में संघर्ष कर रहे युवा मनु नायक को पहली छत्तीसगढ़ी फिल्म ''कहि देबे संदेस'' बनाने की प्रेरणा मिली थी। 

मनु नायक छत्तीसगढ़ी फिल्म में कुमकुम को नायिका और  उस वक़्त अपनी  बनाने पहचान बनाने संघर्ष कर रहे युवा सलीम खान (सलमान के पिता ) को नायक लेना चाहते थे। 

मनु नायक बताते हैं कि दोनों से बात हुई लेकिन कई वजहों से यह बात नहीं जमी। खैर, कुमकुम बाद के दिनों में कई भोजपुरी फिल्मों में नजर आईं और कुछ फिल्में उन्होंने बनाई भी।

निजी जिंदगी उथल-पुथल से भरी, गोविंदा की खाला हैं कुमकुम..?

अब कुछ बातें कुमकुम की निजी जिंदगी को लेकर। दरअसल कई सवाल उनके जाने के बाद भी बरकरार हैं। लगभग सभी वेबसाइट और अखबारों ने उन्हें हुसैनाबाद (बिहार) के नवाब मंजूर हुसैन खां की बेटी लिखा है और कुमकुम का भी एक इंटरव्यू जो मेरी नजर से गुजरा है, उसमें वह खुद भी अपनी पहचान यही जाहिर करती हैं।

लेकिन फिल्म इतिहासकार शिशिर कृष्ण शर्मा ने अपने ब्लॉग बीते हुए दिन  में जो इंटरव्यू शामिल किया है, उससे इस तथ्य की पुष्टि होती हैं कि कुमकुम दरअसल बीते दौर की शास्त्रीय संगीत की गायिका निर्मला देवी की बहन और अभिनेता गोविंदा की खाला हैं।

इस इंटरव्यू में उन्होंने मशहूर नृत्यांगना सितारा देवी के हवाले से बताया है कि कुमकुम और निर्मला देवी के पिता एक हैं मां अलग-अलग। उनके पिता तबला वादक वासुदेव नारायण सिंह (वासुदेव महाराज) की पहली हिंदू पत्नी की बेटी निर्मला देवी हैं तो दूसरी मुस्लिम पत्नी (जिन्हें सितारा देवी मुन्नन आपा बताती हैें) की दो बेटियां कुमकुम और राधा हुई।

वैसे कुछ दूसरी वेबसाइट खंगालने पर यह उल्लेख भी सामने आता है कि मुस्लिम महिला से दूसरा विवाह करने के साथ ही कुमकुम के पिता ने इस्लाम धर्म कुबूल कर लिया था। हालांकि कहीं भी यह साफ नहीं होता कि वासुदेव नारायण सिंह और नवाब मंजूर हुसैन खां एक ही व्यक्ति है या अलग-अलग...।

खैर, अब न तो कुमकुम इस दुनिया में हैं ना ही उनकी बहन और गोविंदा की माता निर्मला देवी। वहीं सितारा देवी भी गुजर चुकी हैं। इसलिए जब तक कोई और जानकारी न आए, तब तक इसे ऐसे ही छोड़ देना बेहतर है।

रांची था ससुराल, शिया परंपरा का पूरी तरह किया पालन

1975 में कुमकुम की शादी सज्जाद अकबर खान से हुई। इस बारे में रांची के पत्रकार-लेखक सैयद शहरोज कमर  ने उर्दू अदीब हुसैन कच्छी के हवाले से लिखा हैं कि-कुमकुम की शादी रांची के नौजवान सज्जाद अकबर खान उर्फ पिंकी खान से हुई थी। 

शहरोज के मुताबिक शादी के बाद कुछ दिनों तक कुमकुम रांची आकर रहीं भी। मूलत: इलाहाबाद के रहने वाले पिंकी के पिता अकबर हुसैन खान हैवी इंजीनियरिंग कार्पोरेशन (एचईसी) में उच्च पदाधिकारी थे। 

यह परिवार एचईसी के सेक्टर-3 में रहता था। पिंकी का फिल्मी नगरी आना-जाना होता था। इसी दौरान कुमकुम से मुलाक़ात हुई और बाद में बात निकाह तक आ पहुंची। 

शादी करके जब दोनों रांची आये तो हम दोस्तों ने उनका इस्तक़बाल किया। दोनों की एक बेटी अंदलीब है। वहीँ पत्रकार फज़ल इमाम मालिक लिखते हैं कि कुमकुम के परिवार में उनका बेटा हादी अली अबरार फिल्मों से जुड़ा  हैं ।

कुछ और माध्यमों से भी जानकारी मिलती है कि सज्जाद-जैबुन्निसा (कुमकुम) कुछ दिनों बाद सऊदी अरब चले गए। वहां 20 बरस गुजारने के बाद 1995 में यह जोड़ा मुंबई लौटा और तब से कुमकुम शिया मुस्लिम परिवार की परंपरा का पूरी तरह निर्वहन करते हुए रह रही थी। उनके पति बिल्डर रहे हैं और कुमकुम अपना बुटीक चलाती थी।

अभिनेत्री कुमकुम पर फेसबुक में एक पेज मौजूद है। जिसमें उनका एक वीडियो भी देख सकते हैं। बहरहाल एक कुशल नृत्यांगना और बेहतरीन अभिनेत्री कुमकुम को श्रद्धांजलि।


No comments:

Post a Comment