Wednesday, June 8, 2011

आईआईटी जेईई के गिरते परिणाम खतरे की घंटी

आईआईटी की परीक्षा में इस साल दुर्ग भिलाई से बैठे - 3600 स्टूडेंट

25 मई को जारी परिणाम स्कूलवार सफल स्टूडेंट
डीपीएस भिलाई-23
डीपीएस दुर्ग-2
गुरुनानक स्कूल से.6 -2
इंदु आईटी स्कूल-1
कृष्णा पब्लिक स्कूल-6
केंद्रीय विद्यालय दुर्ग-1
मां शारदा पब्लिक स्कूल-1
एमजीएम से.6 -4
शंकराचार्य हुडको- 2
शिवा पब्लिक स्कूल-2
बीएसपी से-10 व से.4-14
स्वामी विवेकानंद से.2-1
विश्वदीप दुर्ग-1
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सफल स्टूडेंट कुल-60
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बीएसपी के स्कूलों से आईआईटी चयनित
वर्ष स्टूडेंट
1984 29
1985 21
1986 23
1987 27
1988 25
1989 17
1990 19
1991 16
1992 17
1993 13
1994 15
1995 25
1996 31
1997 29
1998 28
1999 27
2000 24
2001 23
2002 24
2003 28
2004 18
2005 14
2006 15
2007 19
2008 05
2009 09
2010 08
2011 14
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वास्तविकता कुछ और है
इस साल के आईआईटी जेईई परिणाम को देखकर भले ही कुछ लोग खुश हो सकते हैं कि पहली बार इतने ज्यादा स्कूलों से भिलाई-दुर्ग के स्टूडेंट सफल हुए हैं लेकिन वास्तविकता कुछ और है। इन आंकड़ों का तुलनात्मक विश्लेषण करें तो यह एजुकेशन हब कहलाने वाले भिलाई के लिए खतरे की घंटी है। हर सफल स्टूडेंट को सिर्फ अपना बताने वाले कोचिंग और ट्यूशन के बढ़ते जाल के बीच आईआईटी एक्जाम एक फैशन की तरह हो गए हैं। जितने स्टूडेंट परीक्षा देने बैठ रहे हैं उसके मुकाबले सफलता का प्रतिशत बेहद कम है। शिक्षाविद् भी इस गिरावट से चिंतित हैं।
हैरान कर देने वाले आंकड़े
आईआईटी के ज्वाइंट एंट्रेंस एक्जाम (जेईई) में देश भर से इस साल कुल 4 लाख 68 हजार 240 स्टूडेंट शामिल हुए। जिसमें 25 मई को जारी परिणाम अनुसार कुल 13 हजार 602 (2.9 प्रतिशत) को सफलता मिली। एजुकेशन हब या सेंटर ऑफ एक्सीलेंस कहलाने वाले भिलाई में (दुर्ग सहित) इस साल 3600 स्टूडेंट इस परीक्षा में शामिल हुए जिसमें महज 60 (1.6 प्रतिशत) को सफलता मिली। इसके विपरीत दो दशक पुराने रिकार्ड देखें तो 1984 में देश भर के 30 हजार प्रतिभागियों के बीच कोचिंग के जंजाल से मुक्त अकेले भिलाई से ही 29 स्टूडेंट सफल हुए थे। आज के भिलाई के गिरते आईआईटी परिणाम के मुकाबले पुणे जैसे शहर में इस साल 5 हजार स्टूडेंट शामिल हुए जिनमेें से 150 सफल रहे।
परीक्षार्थी बढ़े लेकिन सफलता घटी
आईआईटी की परीक्षा में शामिल होने वाले स्टूडेंट्स की तादाद दिनों दिन बढ़ती जा रही है। जहां 1998 के पहले सिर्फ 4 सेंटरों में यह परीक्षा होती थी और लगभग 2 हजार बच्चे शामिल होते थे वहीं अब दुर्ग-भिलाई के 8 सेंटरों में यह परीक्षा होती है और 3600 स्टूडेंट बैठते हैं। आने वाले सालों में सेंटर और परीक्षार्थियों की तादाद में और इजाफा होने की संभावनाएं जताई जा रही है। स्टूडेंट की बढ़ती तादाद और कोचिंग सेंटरों के बढ़ते दावों के बीच सफल प्रतियोगियों की तादाद भी इसी अनुपात में बढऩी चाहिए थी लेकिन ऐसा कुछ हो नहीं रहा है। हालत यह है कि 100 के अंदर सिर्फ एक स्टूडेंट का नाम आया है और 1000 के अंदर सिर्फ 4 स्टूडेंट हैं। इसके विपरीत 90 के दशक में ऑल इंडिया रैंकिंग में टॉप 10 में ज्यादातर स्टूडेंट भिलाई के होते थे।
क्या फैशन हो गया है आईआईटी?
जिस तरह आईआईटी में बैठने वाले स्टूडेंट की तादाद बढ़ी है, उससे साफ है कि समाज में आईआईटी-जेईई को लेकर क्रेज सा बना दिया गया है। इंडस्ट्रियल टाउनशिप मेें रहने वाले हर पालक का सपना होता है उनका बच्चा इंजीनियर बनें। बाजार इसका फायदा उठाना खूब जानता है लिहाजा बेतहाशा कोचिंग खुल गए हैं लेकिन इसके अनुपात में सफलता की दर गिरती जा रही है। पहले जहां राष्ट्रीय स्तर पर सफल 3000 स्टूडेंट की सूची जारी होती थी और उसमें भिलाई (दुर्ग सहित) से 20 से 30 स्टूडेंट सफलता दर्ज करते थे। इसके विपरीत आज 10 हजार का चयन हो रहा है और भिलाई के स्टूडेंट 1000 के अंदर कम और 5 हजार से 10 हजार के बीच बड़ी मुश्किल से रैंकिंग हासिल कर पा रहे हैं। ज्यादातर असफल स्टूडेंट और उनके पालकों की धारणा यह रहती है कि अगर आईआईटी में नहीं लगा तो एआई ट्रिपल ई या फिर पीईटी में अच्छा परफार्म कर लेंगे।

क्या कहते हैं एक्सपर्ट
इतने कंपटीशन के माहौल में 60 बच्चों का चयन होना संतोषजनक तो है लेकिन इसमें और सुधार की जरूरत है। भिलाई के स्टूडेंट अगर सोचें कि उन्हें कोई एजेंसी, कोई संस्था या कोई व्यक्ति ज्यादा बेहतर हेल्प कर सकता है तो इसमें सफलता कम भ्रम ज्यादा है। स्टूडेंट को खुद पर भरोसा रखना चाहिए और पालक अपने बच्चों के साथ खुद तय करें कि क्या उनका बच्चा आईआईटी की परीक्षा में बैठने योग्य है अथवा नहीं? बेहतर रिजल्ट के लिए और अधिक समर्पण की जरूरत है।
कृष्ण कुमार सिंह, मुख्य शिक्षा अधिकारी, बीएसपी
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आज जब नर्सरी प्रवेश को मिशन आईआईटी बोला जा रहा है तो इसमें क्रेज ज्यादा और गंभीरता कम है। हर पालक अपने बच्चे को आईआईटी में भेजने का ख्वाब पाल रहा है इससे परीक्षार्थी बढ़ रहे हैं और कोचिंग भी खूब फल-फूल रहे हैं लेकिन इसके अनुपात में सफलता की दर गिर रही है। स्कूल की पढ़ाई और खुद की तैयारी पर पालक और स्टूडेंट का ध्यान कम हो गया है। अफसोस की बात है कि भिलाई से आईआईटी का परिणाम ढलान की ओर जा रहा है।
आरसी सिंह, सेवानिवृत्त मुख्य शिक्षा अधिकारी बीएसपी
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हम अपने स्कूल के परिणाम से संतुष्ट हैं। स्कूल में जो माहौल दिया जा रहा है उसकी वजह से सकारात्मक परिणाम आ रहा है। आज स्टूडेंट अपना सेल्फ एप्लीकेशन,सेल्फ मोटिवेशन और खुद की रूचि के साथ यह सफलता दर्ज कर रहे है। बाहर के बारे में मुझे ज्यादा कुछ नहीं कहना। हां, कहीं जाने से सफलता मिल जाएगी, यह दौर चल पड़ा है और फैशन सा हो गया। इससे फायदे को लेकर मुझे डाउट है। इसके चलते कई बार स्टूडेंट प्रेशर में भी आ जाते है। जरूरत इस बात की है कि स्टूडेंट अपने स्कूल में रेगुलर, सिलेबस ठीक से कवर करे और खुद पर भरोसा रखे।
एमपी यादव, प्राचार्य डीपीएस, भिलाई
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