Monday, June 6, 2011

दिल्ली के भरोसे आंदोलन खत्म, नीचे उतरे युवा

नई दिल्ली में सारे टीए प्रशिक्षितों को नौकरी देने के संबंध में नीति बनाने के आश्वासन के बाद बुधवार की रात 11:30 बजे आंदोलनकारी सेक्टर-9 की पानी टंकी से उतर गए। इसके पहले अस्पताल के कान्फ्रैंस हॉल में 3:30 घंटे तक चली मैराथन बैठक में कई बार गतिरोध की स्थिति आई, अंतत: कार्पोरेट ऑफिस से आए अफसर के आश्वासन के बाद आंदोलनकारी पानी टंकी से नीचे उतरने राजी हो गए।
बीएसपी में ट्रेड अप्रेंटिसशिप (टीए) का प्रशिक्षण पाए 1998 बैच के युवा आंदोलनकारी 12 अप्रैल की शाम से सेक्टर-9 अस्पताल की पानी टंकी पर चढ़े हुए थे इन लोगों की मांग लिखित तौर पर एनएमआर नियुक्ति पत्र देने की थी। आंदोलन को समाप्त करवाने 24 घंटे में मैनेजमेंट और नई दिल्ली स्तर पर कई कोशिशें हुई।
अंतत: बुधवार की शाम 7:30 बजे आंदोलनकारियों से बातचीत की पहल हुई। जिसमें सेल के ईडी पीएंडए बी. ढल, बीएसपी के ईडी पीएंडए एसके शर्मा, जीएम पर्सनल इंचार्ज राजकुमार नरूला, पूर्व विधायक अरुण वोरा, कलेक्टर ठाकुर रामसिंह व अन्य लोग शामिल हुए।
बातचीत के दौरान कई बार गतिरोध की स्थिति आई। अंतत: सेल के ईडी श्री ढल ने आश्वस्त किया कि नई दिल्ली में कार्पोरेट स्तर पर इस संबंध में नीति बनाने पहल की जाएगी जिससे इन टीए प्रशिक्षितों को नौकरी दी जा सके। बैठक में मौजूद पूर्व विधायक अरूण वोरा की सहमति के बाद अंतत: आंदोलनकारी टंकी से नीचे उतरने राजी हो गए। बैठक से बाहर निकले आंदोलन के नेतृत्वकर्ता कुलदीप सिंह व संतोष सिंह ने साथियों को वस्तुस्थिति से अवगत कराया।अंतत: 11:30 बजे रात को सारे आंदोलनकारी पानी टंकी से नीचे उतर आए।
इससे पहले दोपहर में आंदोलन को समर्थन देने आए कांग्रेस नेता अमित जोगी ने पानी टंकी के नीचे घोषणा की कि यदि मैनेजमेंट इनकी मांग नहीं मानती है तो भिलाई स्टील प्लांट में काम बंद करवा दिया जाएगा। इस आंदोलन की वजह से बुधवार की दोपहर तीन युवाओं की तबीयत बिगड़ गई। बैकुंठधाम के जितेंद्र नारंग, मोरिद के कृष्ण कुमार और खुर्सीपार के गुलाब कुमार को ऊपर टंकी पर ही छांव कर लिटाया गया और चिकित्सकीय सहायता उपलब्ध कराई गई।
आंदोलन स्थल पर दिनभर गहमा-गहमी रही। शाम को बीएसपी के जनरल मैनेजर इंचार्ज पर्सनल राजकुमार नरूला ने मीडिया के समक्ष वस्तुस्थिति रखते हुए बताया कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश की वजह से बीएसपी में सिर्फ खुली भर्ती के माध्यम से ही रोजगार संभव है, वहीं आंदोलनकारियों को बीती रात एमडी विनोद अरोरा की मौजूदगी में तीन विकल्प दिए गए हैं। इसमें बीएसपी की विस्तारीकरण परियोजना में एचएससीएल के माध्यम से डेली रेट में काम दिलाने, को-आपरेटिव सोसाइटी के माध्यम से काम दिलाने और खुली भर्ती के दौरान आवेदन की स्थिति में इंटरव्यू के दौरान प्राथमिकता देने का आश्वासन दिया गया है। श्री नरूला ने स्पष्ट किया कि बीएसपी में टीए प्रशिक्षण ट्रेड अप्रेंटिसशिप अधिनियम 1961 के प्रावधान के तहत दिया जाता है, जिसमें प्रशिक्षण के उपरांत युवाओं को नौकरी पर रखने की बाध्यता कतई नहीं है।
प्रबंधन जुटा था व्यवस्था बनाने में
टीए आंदोलन को देखते हुए बीएसपी नगर सेवाएं विभाग बुधवार को सक्रिय रहा। सेक्टर-9 अस्पताल की सभी पानी टंकियों की एहतियातन जांच की गई और चारों तरफ रोशनी की व्यवस्था की गई। गतिरोध बरकरार रहने की स्थिति में संभावित स्थिति को देखते हुए मैनेजमेंट ने पानी टंकी के चारों ओर रेत बिछाने की योजना भी बना ली थी।
सीएम ने किया हवाई मुआयना
बुधवार की शाम एक कार्यक्रम में शामिल होने आए मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह का हैलीकॉप्टर भी पानी टंकी के ऊपर से गुजरा। इससे कुछ देर के लिए आंदोलनकारियों में चर्चा थी कि मुख्यमंत्री उनके आंदोलन का हवाई मुआयना कर रहे हैं।
आंदोलनकारियों को उम्मीद बंधी
टीए आंदोलकारियों को इस बैठक के बाद उम्मीद बंधी है कि नई दिल्ली में इस बार सार्थक हल जरूर निकलेगा। पिछले 32 घंटे तक उपर रहे अपने साथियों के लिए नीचे आंदोलनकारी युवाओं ने हर संभव सहयोग व समर्थन दिया। वक्त-वक्त पर इन युवाओं के लिए खाने की व्यवस्था की गई साथ ही ग्लूकोज व पानी भी भिजवाया गया।
टीओटी लड़ रहे 13 साल से हक की लड़ाई
एक तरफ टीए प्रशिक्षितों की बीएसपी में नौकरी के लिए जद्दोजहद चल रही है तो दूसरी तरफ टेक्नीकल कम ऑपरेटर (टीओटी) की नियुक्ति से वंचित 88 युवा भी 13 साल से नौकरी की बाट जोह रहे हैं। इन प्रभावित युवाओं में 30 भिलाई-दुर्ग के और शेष छत्तीसगढ़ के अलग-अलग जिलों से हैं। इस वजह से कई बार यह युवा पूरी तरह संगठित भी नहीं हो पाते हैं। आंदोलन इन युवाओं ने भी किया और अभी भी दिल्ली कूच का सिलसिला जारी है। इसके बावजूद अभी तक इन्हें कोई ठोस जवाब नहीं मिल पाया है।
क्या है टीओटी का मामला
भिलाई स्टील प्लांट में आईआईटी से प्रशिक्षित और बीएसपी पास युवाओं को 1996 तक रोजगार दफ्तर के माध्यम से बुलावा पत्र भेज टीओटी में निश्चित प्रक्रिया के बाद नियुक्त किया जाता था। इसी के तहत अगस्त 1996 मेें टीओटी के लिए रोजगार दफ्तर के माध्यम से नाम मंगाए गए और प्रक्रिया के तहत 18 जनवरी 1997 को लिखित परीक्षा हुई। इनका साक्षात्कार दिसंबर 1997 को हुआ और चयनित युवाओं के 4 समूह बनाए गए। जिनका स्वास्थ्य परीक्षण क्रमश: जनवरी, फरवरी, जून एवं अक्टूबर 1998 को हुआ। इसके बाद पहले समूह के 119 को मार्च 1998, दूसरे समूह के 231 को जुलाई 1998 और तीसरे समूह के 113 की नियुक्ति मार्च 2001 को हुई। चौथे समूह में कुल 138 उम्मीदवार थे। जिनमें से 50 को मार्च 2003 में नियुक्ति दी गई और शेष 88 उम्मीदवार आज तक भटकर रहे हैं।
अब तक सिर्फ आश्वासन ही मिला
टीओटी के युवाओं ने बड़े पैमाने पर आंदोलन अक्टूबर 2000 से शुरू किया था। लगातार आंदोलनों के चलते 2001 और 2003 में टीओटी में भर्तियां हुई। इसके बावजूद 50 युवा नौकरी से वंचित रह गए। इन युवाओं ने 2004 में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में दस्तक दी। जहां मामला 6 साल तक चलता रहा। इस बीच कथित तौर पर बीएसपी के कुछ अफसरों के कहने पर याचिकाकर्ताओं ने 12 जनवरी 2010 को मामला इस उम्मीद पर वापस ले लिया कि उन्हें नौकरी मिल जाएगी लेकिन अब तक ऐसा नहीं हुआ। इस बीच सेल-बीएसपी से लेकर इस्पात मंत्रालय तक कई फेरबदल हो गए लेकिन अभी तक इन्हें आश्वासन ही मिलता रहा।
हाईकोर्ट के निर्देश के बावजूद नियुक्तियां कैसे..?
टीओटी बैच के युवा बीएसपी मैनेजमेंट के रवैये से उद्वेलित हैं। इन लोगों का कहना है कि बीएसपी मैनेजेंट जनवरी 2004 के छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के उस निर्देश का हवाला देता है जिसमें नियुक्ति सिर्फ खुली भर्ती और रोजगार कार्यालय के माध्यम से करने कहा गया है। इन युवाओं के मुताबिक इसके बावजूद मार्च 04 में 50 टीओटी और 84 टीए को एसीटी के पद पर नियमित किया गया। वहीं क्रीड़ा एवं मनोरंजन विभाग में 40 लोगों को टीओटी का स्टेटस देकर मार्च 07 में नियमित किया गया। टीओटी युवाओं का सवाल है कि मैनेजमेंट उनके मामले में जब हाईकोर्ट के निर्णय का हवाला देता है तो इन मामलों में कैसे नियुक्ति हो गई। टीओटी युवाओं में अब भी उम्मीद बरकरार है कि नई दिल्ली में उनके साथ इंसाफ होगा।
सीधे इंटरव्यू से नियुक्ति की मांग भी उठी
टीए आंदोलनकारियों में दल्ली राजहरा के युवाओं का समूह भिलाई के कुछ साथियों और संयुक्त खदान मजदूर संघ के महासचिव कमलजीत सिंह मान के साथ 14 अप्रैल की दोपहर इस्पात भवन में एमडी वीके अरोरा से मिला। बैठक में शामिल युवाओं के मुताबिक डेढ़ घंटे की चर्चा के दौरान मैनेजमेंट ने अपनी मजबूरी जाहिर कर दी वहीं यह बात भी निकल कर आई कि विस्तारीकरण परियोजना में 1000 पदों पर खुली भर्ती की जानी है, जिसमें टीए बैच के लिए मैनेजमेंट की ओर से आयुसीमा में छूट का प्रावधान रखा जा सकता है। इस मुद्दे पर दोनों पक्षों में चर्चा हुई,जिसमें आंदोलनकारियों ने यह मांग उठाई की उन्हें आयु सीमा में छूट के साथ सीधे इंटरव्यू के माध्यम से लिया जाए। युवाओं के मुताबिक एमडी श्री अरोरा ने आश्वस्त किया है कि दिल्ली में इस संबंध में चर्चा की जाएगी। युवाओं ने बताया कि श्री मान भी सोमवार 18 अप्रैल को दिल्ली जाकर इस संबंध में प्रस्ताव कार्पोरेट ऑफिस में रखेंगे।

गिरी को बर्दाश्त नहीं हुई उपेक्षा
जिस युवक की वजह से तीन दिन भिलाई में बीएसपी-पुलिस व जिला प्रशासन को हलाकान होना पड़ा, वह युवक पवन गिरी अब पूरी तरह स्वस्थ्य है। सिरसाकलां निवासी पवन गिरी वर्तमान में निगम में सफाई कर्मी के रूप में दैनिक वेतनभोगी के तौर पर काम करता है। शादी-शुदा पवन गिरी ने जिन हालातों में 10 अप्रैल को जान देने की कोशिश की वह वर्तमान सामाजिक ढांचे की विसंगति को बयान करती है। सिरसाकलां निवासी पवन 1997 के टीए बैच का प्रशिक्षण प्राप्त युवा है। पवन के बैच में 173 लोगों ने एक साथ ट्रेनिंग की लेकिन बीएसपी में नौकरी मिली सिर्फ 127 को। शेष आज भी नौकरी के लिए भटक रहे हैं। पवन की मानें तो उसके बैच का ही एक साथी नौकरी लगने के बाद संपन्नता का जीवन बिता रहा है। यह साथी रविवार 10 अप्रैल की सुबह अपनी कार से गुजर रहा था और उसने साइकिल से जाते गिरी को रोका और व्यंग्यात्मक लहजे में पूछ दिया कि तुम लोगों की संडे की बैठक में क्या हुआ..? इससे गिरी को बुरा लगा और उसने अपने परिवार को ऐसा सुविधा संपन्न जीवन न दे पाने के मलाल के साथ जान देने का फैसला कर लिया। हालांकि सभी की तत्परता से गिरी की जान बच गई है। सेक्टर-9 अस्पताल से छुट्टी के बाद उसके साथियों ने भरोसा दिलाया है कि हालात जरूर बदलेंगे। इसी भरोसे के सहारे गिरी अब अपने परिवार में लौट गया है।

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