Wednesday, June 8, 2011

रशियन खुशबू फिर फैलाने की कोशिश

तत्कालीन सोवियत संघ सरकार की वाणिज्यिक फर्म त्याशप्रोम एक्सपोर्ट (टीपीई) फिर एक बार भिलाई में रूसी हलचल बढ़ाने की तैयारी में। रूसी तकनीशियनों के साथ डॉक्टर व टीचर भी लाना चाहते हैं। उद्योगों से भी हाथ मिलाने का वादा। ब्लास्ट फर्नेस से लेकर प्लेट मिल तक बीएसपी की सारी यूनिट तैयार करने वाली रूसी फर्म त्याशप्रोम एक्सपोर्ट (टीपीई) फिर एक बार सक्रिय हुई है। टीपीई की तैयारी न सिर्फ प्लांट के स्तर पर अपनी सक्रियता बढ़ाने की है बल्कि भिलाई के सामाजिक माहौल में भी अपनी भागीदारी देने आगे आना चाहती है। टीपीई के स्थानीय प्रमुख अलेक्जेंडर एस. करयुकिन ने ‘भास्कर’ से खास मुलाकात में अपनी भविष्य की रणनीतियों का खुलासा किया।
श्री करयुकिन ने बताया कि वर्तमान में टीपीई न सिर्फ स्टील सेक्टर बल्कि एग्रीकल्चर सेक्टर व अन्य बुनियादी सुविधाओं से जुड़े क्षेत्र में भी सक्रिय है। भिलाई स्टील प्लांट में फिलहाल कोक ओवन और ब्लास्ट फर्नेस के लिए रशियन एक्सपर्ट कंपनी की ओर से भेजे गए हैं। वहीं बहुत ही सीमित मात्रा में इक्विपमेंट सप्लाई का कार्य भी मिला हुआ है। कंपनी कारखाने के स्तर पर विस्तारीकरण और आधुनिकीकरण प्रोजेक्ट में ज्यादा से ज्यादा काम लेने की इच्छुक है।
उन्होंने बताया कि इसके अलावा वह भिलाई के सामाजिक माहौल में भी अपना योगदान देना चाहते हैं। श्री करयुकिन ने कहा कि-उन्हें यह अच्छी तरह मालूम है कि 1990 तक भिलाई में रशियंस ने काफी योगदान दिया है और हमारे टेक्निकल एक्सपर्ट के अलावा डॉक्टर व टीचर भी हुआ करते थे। इसे ध्यान में रखते हुए हाल ही में उन्होंने बीएसपी के डायरेक्टर इंचार्ज (एमएंडएच) डॉ. सुबोध हिरेन से मुलाकात की थी। जिसमें उन्होंने टीपीई की तरफ बीएसपी अस्पताल में रशियन स्पेशलिस्ट डॉक्टर्स और नर्स के जॉब के लिए संभावनाओं पर चर्चा की। टीपीई की तरफ से यहां मेडिकल इक्विपमेंट सप्लाई के लिए उन्होंने संभावनाएं तलाशी हैं। उन्होंने बताया कि शिक्षा के क्षेत्र में भी टीपीई योगदान की इच्छुक है। जिसमें बीएसपी स्कूलों और दुर्ग-भिलाई के दूसरे शैक्षणिक संस्थानों में रूसी भाषा सिखाने टीचर उपलब्ध कराने के भी हम इच्छुक हैं। वहीं रूसी फिजिक्स पढ़ाने भी हम टीचर उपलब्ध कराना चाहते हैं। इस संबंध में उनकी बीएसपी के मुख्य शिक्षा अधिकारी कृष्ण कुमार सिंह से चर्चा हुई थी। वहीं दुर्ग के एक इंजीनियरिंग कॉलेज में भी उनकी बात हुई है। श्री करयुकिन ने बताया कि डॉ. हिरेन और श्री सिंह से उनकी चर्चा सार्थक रही और उम्मीद है कि जल्द ही कोई नतीजा निकलेगा। श्री करयुकिन ने बताया कि वह स्थानीय सहायक उद्योगों के साथ भी मिल कर काम करने के इच्छुक हैं। यदि कोई एंसीलरी आगे आए तो वह उनके साथ वाणिज्यिक संबंध बनाना चाहेंगे।
भिलाई और रशियन का साथ पुराना
भिलाई इस्पात संयंत्र की स्थापना मेें सोवियत संघ का सहयोग किसी से छिपा नहीं है। बहुत कम लोगों को मालू्म है कि बीएसपी मेें सोवियत संघ की तरफ से त्याशप्रोम एक्सपोर्ट की वह एकमात्र कंपनी थी,जिसने 1मिलियन टन की पहली ब्लास्ट फर्नेस से लेकर 4 मिलियन टन की आखिरी यूनिट प्लेट मिल तक की स्थापना की है। 1984 में प्लेट मिल की स्थापना के बाद अंतरर्राष्ट्रीय परिस्थितियां बदली और बीएसपी के विस्तारीकरण व आधुनिकीकरण में अन्य देशों की कंपनियां भी ठेके लेने लगी। इससे टीपीई पिछड़ते गई। फिर 1991 में सोवियत संघ के विखंडन के बाद टीपीई की भिलाई में सक्रियता धीरे-धीरे कम होती गई। अब बदलती परिस्थितियों के मद्देनजर टीपीई फिर एक बार सक्रिय हुई है।

No comments:

Post a Comment