Friday, October 19, 2012

एक राग में दो बंदिशें, रोमू की बांसुरी ने बांधा समा

श्री शंकराचार्य टेक्निकल कैंपस में पं. रोनू मजुमदार की प्रस्तुति

हिंदी फिल्मों के अलावा देश-विदेश में शास्त्रीय संगीत के क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बनाने वाले प्रख्यात बांसुरी वादक रोनू मजुमदार की बांसुरी ने 17 अक्टूबर 2012 बुधवार की शाम कुछ ऐसा रंग जमाया कि सुनने वाले दम साधे बैठे रहे। एक राग में दो बंदिशें, कुछ कजरी का रंग और 'ठुमक चलत रामचंद्र' भजन में दिग्गज पं. विष्णु दिगंबर पलुस्कर की याद दिलाता 'रामचंद्र' का उच्चारण...सब कुछ घंटे भर की छोटी सी सभा में कब बीत गया श्रोताओं को पता ही नहीं चला।


मौका था श्री शंकराचार्य टेक्निकल कैंपस के सहयोग से संस्था स्पिक-मैके की ओर से 'विरासत-2012' के आयोजन का। इसमें जाने-माने बांसुरी वादक पं. रोनू मजुमदार ने अपनी बांसुरी का जादू जगाया। इंजीनियरिंग स्टूडेंट और शहर के गणमान्य लोगों के बीच पं. मजूमदार ने परिसंवाद के साथ अपनी प्रस्तुति दी। इंजीनियरिंग स्टूडेंट से रूबरू होते हुए उन्होंने पूछा कि इस वक्त (शाम) का राग प्रस्तुत करुंगा, क्या कोई इस राग का नाम बता सकता है? इस पर स्टूडेंट के बीच से सही जवाब आया-मधुवंती। पं. मजुमदार ने राग मधुवंती में झप ताल और तीन ताल में दो बंदिशें पेश की। इस दौरान कई मौके ऐसे आए जब उनकी बांसुरी के सुरों का सुरूर लोगों के सिर चढ़ कर बोला और तालियां गूंजने लगी। इस पर पं. मजुमदार ने विनम्रता से कहा कि-इससे और अच्छा बजाउंगा तब ताली बजाइए। हालांकि इसके बाद भी तालियां रुकी नहीं। उनके साथ तबले पर संगत की देश-विदेश में अपनी थाप का रंग जमा रहे भिलाई के युवा पं. पार्थसारथी मुखर्जी ने। वहीं सहायक के तौर पर पं. मजुमदार के साथ कमलेश भी बांसुरी थामे मंच पर थे।
इसके बाद पं. मजुमदार ने दर्शकों की फरमाइशों को ध्यान में रखते हुए 'ठुमक चलत रामचंद्रÓ भजन बांसुरी की धुन पर सुनाया। हालांकि बांसुरी वादन करते-करते पं. मजुमदार इस कदर भावुक हो गए कि उन्हें शास्त्रीय संगीत के दिग्गज पं. विष्णु दिगंबर पलुस्कर की याद आ गई और उन्होंने भजन की कुछ पंक्तियों के आधार पर हूबहू पं. पलुस्कर की शैली में 'रामचंद्र' का उच्चारण कर एक अलग समा बांध दिया। इसके बाद उन्होंने बांसुरी से कजरी का रंग भी बिखेरा। प्रस्तुति के बाद पं. मजुमदार का सम्मान करते हुए श्री शंकराचार्य ग्रुप के निदेशक डॉ. पीबी देशमुख ने सिर्फ एक पंक्ति में पूरी बात कह दी कि-आज कृष्ण के दर्शन हो गए। पं. पार्थसारथी का डॉ. साकेत रंजन प्रवीर और कमलेश का डॉ. आरएन खरे ने सम्मान किया। इस पूरे आयोजन में युवाओं के बीच शास्त्रीय संगीत और संस्कृति के प्रचार-प्रसार के लिए सक्रिय संस्था सोसाइटी फॉर प्रमोशन ऑफ इंडियन क्लासिकल म्यूजिक एंड कल्चर अमंग्स्ट यूथ-स्पिक मैके के दुर्ग जिला प्रमुख एसवी नंदनवार की सराहनीय भूमिका रही।
..तो कैलिफोर्निया से आएंगे राग
इंजीनियरिंग स्टूडेंट के बीच से कॉलेज के रॉक बैंड के विपुल ने पं. मजुमदार के बांसुरी वादन के बाद अपनी बात रखते हुए कहा कि आज ऐसा लग रहा है कि हम अपने कल्चर से दूर होते जा रहे हैं। अब हम कोशिश करेंगे कि हम अपने संगीत को बढ़ावा देने कुछ करें। इस पर पं. मजुमदार ने कहा कि युवा अपनी जवाबदारी समझ रहे हैं यह बहुत अच्छा संकेत है। वरना आज आयुर्वेद में जर्मनी हमसे कहीं आगे निकल गया है और वह दिन दूर नहीं जब हमें अपने रागों के लिए कैलिफोर्निया का मुंह ताकना पड़ेगा।

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