Tuesday, October 16, 2012

सुप्रीम कोर्ट की राहत के बावजूद पेंच बरकरार

विश्वविद्यालय का रुख अभी भी साफ नहीं, कॉलेज 

आश्वस्त कि दाखिले के बाद नामांकन हो ही जाएगा

सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ के इंजीनियरिंग कॉलेजों को भले ही 15 फीसदी सीटों पर मैनेजमेंट कोटे के तहत दाखिला लेने हरी झंडी दे दी हो लेकिन पेंच अभी भी बरकरार है। पिछले साल दूसरी पाली की कक्षाओं के मामले में अदालती कार्रवाई झेल रहा छत्तीसगढ़ स्वामी विवेकानंद तकनीकी विश्वविद्यालय मैनेजमेंट कोटे के तहत दाखिला लेने वाले स्टूडेंट के नामांकन के लिए 'न्यायसंगत रास्ता' कैसे निकालेगा यह भी बड़ा सवाल है।
सुप्रीम कोर्ट के 3 अक्टूबर के फैसले के बाद तकनीकी शिक्षा संचालनालय (डीटीई) छत्तीसगढ़ ने 34 कॉलेजों को एक पत्र जारी कर मैनेजमेंट कोटे के तहत संस्था स्तर पर 30 अक्टूबर तक दाखिला प्रक्रिया पूरी करने की अनुमति दी है। इसके तहत महीने भर में इन 34 कॉलेजों की 2974 सीटों पर दाखिला शुरू हो गया है। इस दाखिले के बाद स्टूडेंट कक्षा और परीक्षा में शामिल हो सकें, इसके लिए जरूरी होगा कि इनका नामांकन छत्तीसगढ़ स्वामी विवेकानंद तकनीकी विश्वविद्यालय से हो। विश्वविद्यालय ने नियमित दाखिले के तहत 7 काउंसिलिंग के बाद 30 सितंबर को नामांकन समाप्त कर दिया है। अब बड़ा सवाल यही है कि इस माह दाखिला लेने वाले स्टूडेंट का नामांकन कैसे होगा।
हालांकि सुप्रीम कोर्ट के रुख के बाद दाखिला शुरू कर चुके निजी इंजीनियरिंग कॉलेजों को उम्मीद है कि अंतत: विश्वविद्यालय कोई न कोई रास्ता निकाल लेगा। इन कॉलेजों के संचालकों का कहना है कि चूंकि नामांकन 30 सितंबर तक हो चुका है, इसलिए विवि को नए सिरे से प्रक्रिया शुरू करनी होगी। क्योंकि यह सीधा सा मामला है कि काउंसिलिंग 27 सितंबर को खत्म हुई है उसका नामांकन 30 सितंबर तक हुआ है। अब चूंकि डीटीई ने 30 अक्टूबर तक दाखिला लेने कहा है तो विवि भी नामांकन के लिए रास्ता निकालेगा। निजी कॉलेज संचालकों का कहना है कि इस माह दाखिला लेने वाले स्टूडेंट की पढ़ाई न पिछड़े इसके लिए छुट्टियों में कटौती और एक्सट्रा क्लासेस जैसे कदम उठाए जाएंगे। इधर विवि अपने रुख पर कायम है। विवि के जिम्मेदार लोग ऑफ द रिकार्ड कह रहे हैं कि दूसरी पाली के दाखिले को लेकर चल रही अदालती कार्रवाई के बाद इस मामले में भी सोच-समझ कर कदम उठाया जाएगा।
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एक लैंड मार्क को मिटाने की कोशिश हुई थी जो अब दूर हो गई है। हमें पूरी उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट के रुख के बाद जब शासन ने हमें दाखिले की अनुमति दी है तो विश्वविद्यालय भी नामांकन के लिए रास्ता निकालेगा। मैनेजमेंट कोटा हमारा अधिकार है और छुट्टियां कम कर व एक्स्ट्रा क्लासेस के साथ हम हर हाल में कोर्स पूरा करवाएंगे।
संजय रूंगटा, चेयरमैन निजी इंजीनियरिंग कॉलेजों के संगठन 'एपिक'
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सर्वोच्च न्यायालय ने यह कहां कह दिया है कि मैनेजमेंट कोटे से दाखिला लेने वालों के लिए  विश्वविद्यालय अपने सारे नियम शिथिल कर दे। अभी जो दाखिले हो रहे हैं वो मेरिट के आधार पर तो नहीं है। पहले डीटीई इनका परीक्षण करेगा,उसके बाद विश्वविद्यालय भी देखेगा कि ये सारे दाखिले सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देश का पालन करते हुए दिए गए हैं या नहीं। उसके बाद जही हम न्यायसंगत निर्णय लेंगे।
डॉ. अशोक दुबे, रजिस्ट्रार छत्तीसगढ़ स्वामी विवेकानंद तकनीकी विश्वविद्यालय भिलाई

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