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पनीन कशीर (हमारे कश्मीरी)
Wednesday, October 3, 2012
बरकरार रहेगा मैनेजमेंट कोटा
भिलाई छत्तीसगढ़ के निजी इंजीनियरिंग कॉलेजों में फिलहाल मैनेजमेंट कोटा बरकरार रहेगा। मैनेजमेंट कोटे की 15 फीसदी सीटें तय करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ स्टे देने से इनकार कर दिया है। राज्य शासन ने इस फैसले के खिलाफ स्टे देने की अपील की थी। निजी इंजीनियरिंग कॉलेज जहां इसे मैनेजमेंट कोटे की बहाली मान रहे हैं, वहीं राज्य सरकार और विवि लिखित आदेश मिलने के बाद ही आगे की कार्यवाही की बात कह रहे हैं। हालांकि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का अंतिम फैसला आना अभी बाकी है। इसलिए पूरे मामले में अधिकारी कुछ भी कहने से बच रहे हैं। राज्य के इंजीनियरिंग, मेडिकल और डेंटल कॉलेजों में दाखिला व फीस तय करने वाली एडमिशन एंड फी रेगुलेटरी कमेटी ने 24 जनवरी 2011 को सुप्रीम कोर्ट के 2006 तक के विभिन्न निर्देशों का हवाला देते हुए निजी व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में कॉमन एंट्रेंस टेस्ट से ही दाखिला देने का संकल्प पारित किया था। इसके बाद तकनीकी शिक्षा संचालनालय ने पीईटी के सिलेबस में 3 अप्रैल 2012 की अधिसूचना का हवाला देते हुए स्पष्ट कर दिया कि इस साल से इंजीनियरिंग कॉलेजों में 10 फीसदी सीटें एआईईईई से और 90 फीसदी सीटें पीईटी से भरी जाएंगी। इससे साफ हो गया कि इंजीनियरिंग में मैनेजमेंट कोटा खत्म कर दिया गया है। राज्य सरकार के इस फैसले के खिलाफ रूंगटा कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी भिलाई सहित 14 निजी इंजीनियरिंग कॉलेज हाईकोर्ट चले गए। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के आदेश को निरस्त करते हुए मैनेजमेंट कोटा बहाल रखने का आदेश दिया। इस फैसले के खिलाफ स्थगन हासिल करने के लिए राज्य शासन ने सुप्रीम कोर्ट में दस्तक दी। राज्य सरकार ने हाईकोर्ट के फैसले पर स्थगन देने और पूर्व की पॉलिसी को यथावत लागू करने का आदेश देने की मांग की। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने सभी 14 कॉलेजों को उनका पक्ष जानने को नोटिस जारी किया। इसके बाद बुधवार को इस मामले में सुनवाई हुई। जस्टिस राधाकृष्णन और जस्टिस दीपक मिश्रा की पीठ ने राज्य सरकार को स्थगन देने से मना कर दिया। रूंगटा कॉलेज की ओर से डायरेक्टर सोनल रूंगटा ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने हमारे वकील से यह भी पूछा कि राज्य शासन के इस कदम के बाद आप लोगों ने अवमानना का केस क्यों नहीं दाखिल किया। इस केस में कॉलेजों की तरफ से डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी और ऋषभ संचेती, छत्तीसगढ़ शासन की ओर से रविंद्र श्रीवास्तव और छत्तीसगढ़ स्वामी विवेकानंद तकनीकी विश्वविद्यालय भिलाई की ओर से विवेक तन्खा ने पैरवी की।
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